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प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने जा रहे तो जरूर ध्यान रखें ये 10 बातें, नुकसान से बच जाएंगे आप

Property News : सेल डीड में ओनरशिप ट्रांसफर,पेमेंट के तरीके, पैसे के आदान-प्रदान, स्टांप ड्यूटी, मिडलमैन आदि की जानकारी होती है। यह भी जान लें कि प्रॉपर्टी पर क्या कोई लैंड एग्रीमेंट है या नहीं।

Written By: Pawan Jayaswal
Updated on: March 11, 2024 14:48 IST
प्रॉपर्टी न्यूज- India TV Paisa
Photo:PIXABAY प्रॉपर्टी न्यूज

Property News : प्रॉपर्टी खरीदना सबसे बड़ी शॉपिंग होती है। आम आदमी अपने जीवन में 1-2 बार ही प्रॉपर्टी खरीदता-बेचता है। ऐसे में यह सौदा बिना किसी व्यवधान के हो, यह बहुत जरूरी है। आपकी थोड़ी सी लापरवाही आपको एक फ्रॉड की तरफ धकेल सकती है। इसलिए जब आप प्रॉपर्टी खरीद-बेच रहे हैं, तो सौदे में सावधानी बरतें। आज हम आपको 10 ऐसे टिप्स बताने जा रहे हैं, जिनको आप फॉलो करेंगे तो आपको प्रॉपर्टी खरीदते-बेचते समय आने वाली समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा। आइए जानते हैं।

1. अगर आप प्रॉपर्टी बेचना चाहते हैं, तो या तो स्वयं से या किसी एजेंट के माध्यम से बेच सकते हैं। एजेंट इसमें काफी मददगार साबित हो सकते हैं। प्रॉपर्टी का विज्ञापन करना, ग्राहक को खोजना, उसे प्रॉपर्टी दिखाना, फिर उससे बातचीत करना, लेन-देन करना आदि में काफी समय लगता है।

2. वर्तमान में रियल एस्टेट की कई वेबसाइट्स हैं। यहां प्रॉपर्टी बेची या खरीदी जा सकती है। ऐसी वेबसाइट्स के माध्यम से संभावित ग्राहक तक पहुंचना आसान हो जाता है। यह जरूर ध्यान रखें कि बेची जाने वाली प्रॉपर्टी पर सेलर की ओनरशिप होनी चाहिए।

3. सेलर के पास इस बात का विवरण होना चाहिए कि बेची जाने वाली प्रॉपर्टी कब से सेलर के कब्जे में है। इससे जुड़ी जानकारी सबरजिस्ट्रार के ऑफिस से हासिल की जा सकती है। संबंधित प्रॉपर्टी पर कोई अन्य अधिकार या दावा नहीं होना चाहिए।

4. प्रॉपर्टी खरीदने से कम से कम 15 दिन पहले खरीदार को सबरजिस्ट्रार के ऑफिस से एक सर्टिफिकेट प्राप्त करना चाहिए कि प्रॉपर्टी किसी भी तरीके के लोन या लोन के सभी मामलों से मुक्त है। इस सर्टिफिकेट के लिए चार्ज देना होगा। यह सर्टिफिकेट सेलर के लिए भी अच्छा है।

5. सेल वैल्यू और प्रॉपर्टी का पीरियड तय किया जाना जरूरी होता है। सेल के लेन-देन में सेलर को प्रॉपर्टी के राइट्स ग्राहक को ट्रांसफर करने होते हैं। इसके लिए एक सेल डीड बनानी होती है। इस डीड को रजिस्टर भी करना होता है। यह रजिस्ट्रेशन भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से होता है।

6. लेन-देन को पूरा करने के लिए एक समय सीमा तय करें और उस समय सीमा के भीतर ही प्रॉपर्टी से संबंधित लेनदेन का निपटारा करें। प्रॉपर्टी बेचने के लिए हाउसिंग सोसाइटी से परमिशन या नो-ऑबजेक्शन सर्टिफिकेट लेने में ही समझदारी है। इसके अलावा इनकम टैक्स विभाग, सिटी लैंड सीलिंग ट्रीब्यूनल या नगरपालिका से अनुमति ले लें।

7. प्रॉपर्टी से जुड़ा एग्रीमेंट खरीदार और सेलर के बीच होता है। इस एग्रीमेंट में इस बात का जिक्र होता है कि जब तक खरीदार पूरी राशि का पेमेंट नहीं करता, तब तक प्रॉपर्टी का कब्जा सेलर के पास रहेगा।

8. सेल डीड में ओनरशिप ट्रांसफर,पेमेंट के तरीके, पैसे के आदान-प्रदान, स्टांप ड्यूटी, मिडलमैन आदि की जानकारी होती है। यह भी जान लें कि प्रॉपर्टी पर क्या कोई लैंड एग्रीमेंट है या नहीं।

9. लेन देन में यह स्पष्ट कर लें कि पेमेंट मंथली आधार पर किया जाना है या एकसाथ। साथ ही, किसी भी तरह के एग्रीमेंट में दोनों पक्षों की सहमति लिखित तौर पर जरूरी होती है।

 
10. अगर प्रॉपर्टी पर कोई कर्ज है, तो खरीदार यह मान लेगा कि विक्रेता सभी पे किए जाने वाले लोन, टैक्स और चार्जेस (यदि कोई हो) का भुगतान करेगा। इस मुद्दे को पहले ही सुलझा लें और एग्रीमेंट में भी इसका जरूर उल्लेख करें।

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