Highlights
- पैन कार्ड और आधार कार्ड के लिंकिंग के बाद बड़े ट्रांजेक्शन की जानकारी IT के पास पहुंच जाती है
- जानकारियों को छिपाने की कोशिश की तो आपको इनकम टैक्स का नोटिस मिल सकता है
- आयकर का रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि इस साल 31 दिसंबर तय की गई है
ITR FY 2020-21: आयकर का रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि इस साल 31 दिसंबर तय की गई है। अभी भी अंतिम तारीख में तीन हफ्तों का वक्त बचा है। लेकिन आखिरी दिनों की भगदड़ से बचने के लिए आपको अभी ही टैक्स रिटर्न फाइल करने की सलाह दी जाती है। आईटीआर एक तरह से आपकी साल भर की कमाई का एक विवरण होता है, जिसके आधार पर आपकी टैक्स देनदारी तय होती है। इसमें आपको अपने सभी प्रकार के ट्रांजेक्शन की जानकारी देनी होती है। यदि आपने इन जानकारियों को छिपाने की कोशिश की तो आपको इनकम टैक्स का नोटिस मिल सकता है साथ ही हजारों रुपये का जुर्माना भी भरना होता है।
दरअसल पैन कार्ड और आधार कार्ड के लिंक होने के बाद अगर आपने भी कोई बड़ी ट्रांजेक्शन की है तो उसकी जानकारी आयकर विभाग के पास पहुंच जाती है। ऐसे में यदि आईटीआर फाइल करते वक्त आप उसे छुपाते हैं तो आपको नोटिस आ सकता है। इंडिया टीवी की टीम आपको बताने जा रही है ऐसे ही ट्रांजेक्शन के बारे में जिन्हें छिपाना आपको भारी पड़ सकता है।
प्रॉपर्टी की खरीद या बिक्री
अगर आपने वित्त वर्ष के दौरान कोई प्रॉपर्टी खरीदी है और उसकी कीमत 30 लाख रुपये या उससे अधिक है तो उसके बारे में आयकर विभाग को इसके बारे में जरूर बता दें। आयकर विभाग ने सभी प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार से 30 लाख या उससे अधिक की प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त की जानकारी मांगी है। यानी आपकी प्रॉपर्टी के बारे में आयकर विभाग को पहले से ही पता चल चुका होगा, इसलिए आपको भी उसके बारे में आईटीआर में बताना जरूरी है।
नकद राशि में यदि आपने की है 10 लाख से अधिक की एफडी
आपको अपने आईटीआर में सभी प्रकार के ट्रांजेक्शन की जानकारी जरूर देनी चाहिए। खासतौर पर बैंक में हुए लेनदेन की जानकारी देना और भी जरूरी होता है, क्योंकि आपकी पाई पाई का हिसाब पहले ही सरकार के पास है। अगर आपने कैश का इस्तेमाल करते हुए 10 लाख रुपये से अधिक की एफडी कराई है तो आपको आईटीआर फाइल करते वक्त उसकी जानकारी देना जरूरी है। बता दें कि सीबीडीटी ने हाल ही में बैंकों से यह जानकारी मांगी है।
क्रेडिट कार्ड का बिल
आज के समय में क्रेडिट कार्ड का बिल तो सभी जमा करते हैं। बहुत से लोग आज इंटरनेट बैंकिंग या यूपीआई से बिल पेमेंट कर रहे हैं। लेकिन यदि आपको कैश में पैसा जमा करना पसंद है तो आपको इनकम टैक्स को भी इसकी जानकारी देनी होगी। क्रेडिट कार्ड का बिल अगर 1 लाख रुपये से अधिक है और आप उसका भुगतान कैश में कर रहे हैं, तो आयकर विभाग को यह बात जरूर बताएं। वहीं दूसरी ओर अगर आपने किसी वित्त वर्ष में 10 लाख रुपये से अधिक का क्रेडिट कार्ड बिल चुकाया है तो भी आईटीआर में इसकी जानकारी देना जरूरी है।
शेयर, म्यूचुअल फंड, डिबेंचर और बॉन्ड की खरीद
अगर डिजिटल इंडिया के दौर में भी आप कैश देकर शेयर, म्यूचुअल फंड, डिबेंचर या बॉन्ड खरीदते हैं तो आपको इसके लिए आयकर विभाग को जानकारी देनी होगी। हालांकि यहां पर भी कैश की लिमिट 10 लाख है। अगर आप ऐसा करते हैं तो आईटीआर में उसकी जानकारी जरूर दें वरना आयकर विभाग की तरफ से आपको नोटिस आना तय है।
बचत खाते में 10 लाख से अधिक का कैश जमा करने पर
आपके बैंक खाते के हर लेनदेन पर सरकार की नजर है, खासतौर पर सरकार के कान तब और खड़े हो जाते हैं जब आपने कोई मोटा ट्रांजेक्शन किया हो। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अनुसार अगर आप अपने सेविंग अकाउंट में 10 लाख रुपये से अधिक कैश जमा करते हैं तो रिटर्न फाइल करते वक्त यह बताना जरूरी है। करंट अकाउंट के मामले में यह सीमा 50 लाख रुपये है।