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Insurance Ombudsman : बीमा कंपनियां करें परेशान तो यहां करें शिकायत, कम समय में मिलेगा न्‍याय

Insurance Ombudsman : भारत सरकार के 11 नवंबर, 1998 के सूचनापत्र के द्वारा बीमा Ombudsman संस्थान अस्तित्व में आई। इसका मुख्य उद्देश्य,बीमाधारकों के शिकायतों का जल्दी निपटारा करना है

Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: August 02, 2022 16:42 IST
Insurance Ombudsman- India TV Paisa
Photo:FILE Insurance Ombudsman

Highlights

  • ओम्बड्समैन, बीमा उद्योग,सिविल सेवा या न्यायिक सेवा से चयनित किए जाते हैं
  • 11 नवंबर, 1998 के सूचनापत्र के द्वारा बीमा ओम्बड्समैन संस्थान अस्तित्व में आया
  • भारत भर में ओम्बड्समैन के बारह कार्यालय हैं, जो विभिन्न जोन में बंटे हुए हैं

Insurance Ombudsman : क्या आप जीवन बीमा कंपनियों के लचर रवैये से परेशान हो चुके हैं? आपने क्लेम किया और कई महीने गुजरने के बाद भी आपको दावे का भुगतान नहीं किया गया? प्रीमियम का चेक, बीमा कंपनी के खाते में तो चला गया पर आपको न तो पॉलिसी ही मिली और न ही आपके पैसे वापिस मिले। क्या आप ग्राहक सेवा प्रतिनिधि को बार-बार फोन कर और बीमा कंपनी के ऑफिस के चक्कर लगा-लगाकर थक चुके हैं और इसके बावजूद नतीजा वही ढाक के तीन पात जैसे नजर आ रहे हैं। तो फिर,आपको ओम्बड्समैन के सामने अपनी शिकायत लिखित तौर पर रखनी चाहिए। यहां आपको 90 दिनों के भीतर न्याय मिल सकता है।

क्या है Ombudsman ?

भारत सरकार के 11 नवंबर, 1998 के सूचनापत्र के द्वारा बीमा ओम्बड्समैन संस्थान अस्तित्व में आया। इसका मुख्य उद्देश्य,बीमाधारकों के शिकायतों का जल्दी निपटारा करना है, साथ ही यह उन समस्याओं का भी समाधान करती है, जो बीमाधारकों के शिकायत को निपटाने में बाधक होता है। बीमाधारकों के हितों की रक्षा के लिए यह संस्था महत्वपूर्ण है। सिस्टम में लोगों का विश्वास बनाने में भी इसका महत्त्व है। ग्राहकों और बीमा कंपनियों के बीच भरोसा बनाए रखने में इसकी अहम भूमिका है। ओमबड्समैन की नियुक्ति के लिए कमेटी के सुझाव के आधार पर प्रशासनिक निकाय आदेश देता है। कमेटी में, आइआरडीए के अध्यक्ष, एलआइसी और जीआईसी के अध्यक्ष तथा केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। ओम्बड्समैन, बीमा उद्योग,सिविल सेवा या न्यायिक सेवा से चयनित किए जाते हैं।

ओम्बड्समैन के क्रिया-कलाप

  • ग्राहक संतुष्टिकरण।
  • पंचायत करना।

बीमा ओम्बड्समैन किसी भी व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत्त आधार पर, किसी बीमा कंपनी के विरुद्घ शिकायतों को लेने और उन पर विचार करने को अधिकृत है। लेकिन जरूरी है कि ग्राहक ने पहले अपनी शिकयत बीमा कंपनी से की हो और बीमा कंपनी ने 30 दिनों के भीतर उसका निपटारा न किया हो या निपटारा संतोषजनक न रहा हो। दूसरी बात यह है कि यही शिकायत किसी अदालत, उपभोक्ता अदालत या आर्बिट्रेटर के यहां दायर नहीं हो। बीमा कंपनियों के खिलाफ ऐसी शिकयतें निम्नलिखित प्रकार की हो सकती हैं।

  • दावे के निपटारे में बीमा कंपनियों द्वारा ढील बरतना
  • बीमे के लिए दिए गए या दिए जाने वाले प्रीमियम संबंधी विवाद
  • बीमा पॉलिसी में व्यवहृत शब्दो से दावे के समय होने वाली परेशानी
  • दावों के निपटारे में विलंब और
  • बीमा कंपनी द्वारा प्रीमियम लिए जाने के बावजूद किसी तरह का बीमा-दस्तावेज न दिया जाना आदि।

ओम्बड्समैन, 20 लाख रुपए तक के बीमा संबंधी विवादों के निपटारे के लिए अधिकृत है। ओम्बड्समैन तीन महीने में अपना फैसला देता है और बीमा कंपनियां इसे मानने के लिए बाध्य होती हैं।

शिकायत ऐसे करें

भारत भर में ओम्बड्समैन के बारह कार्यालय हैं, जो विभिन्न जोन में बंटे हुए हैं। एक कार्यालय का न्याय क्षेत्र केवल एक राज्य तक सीमित नहीं है। शिकायतकर्ता की शिकायत लिखित रूप में उसे न्यायिक क्षेत्र के ओम्बड्समैन को भेजी जानी चाहिए, जिसमें बीमा कंपनी का कार्यालय आता है। शिकायत, बीमाधारक के कानूनी-वारिसों द्वारा भी दर्ज कराया जा सकता है। ओम्बड्समैन में शिकायत दर्ज करवाने से पहले ध्यान रखें कि -

  • शिकायकर्ता द्वारा बीमा कंपनी के समक्ष अपने शिकायत रखने पर कंपनी द्वारा उसका खारिज कर दिया जाना या शिकायत मिलने की तारिख से एक महीने तक कंपनी द्वारा कोई जवाब नहीं दिया जाना या बीमा कंपनी के जवाबों से बीमा धारक का असंतुष्ट होना चाहिए।
  • शिकायत, बीमा कंपनी के जवाब देने के एम साल बाद की नहीं होनी चाहिए।
  • वही शिकायत, न्यायालय या कन्ज्यूमर फोरम में नहीं होनी चाहिए।

सिफारिशें ओम्बड्समैन की

ओम्बड्समैन द्वारा सुलझाए गए किसी मामले में, ओम्बड्ïसमैन मामले की गंभीरता और परिस्थितियों को देखते हुए, उचित सिफारिश करता है। ऐसे सिफारिश, मामला दर्ज होने के एक महीने के अंदर संबंधित शिकायतकर्ता और बीमा कंपनी को भेज दिया जाता है। अगर शिकायतकर्ता, ओम्बड्ïसमैन की सिफारिशों और सुझावों से संतुष्टï है तो सुझाव प्राप्त होने की तारीख से 15 दिनों के अंदर लिखित रूप में ओम्बड्समैन को अपनी स्वीकृति देनी होती है। बीमा धारक के सुरक्षा नियमों के मुताबिक प्रत्येक बीमा कंपनी को पॉलिसी दस्तावेज के साथ उस न्यायिक क्षेत्र के ओम्बड्समैन, जिसमें वह बीमा कंपनी आती है, का विवरण देना होगा।

अगर संतुष्टिना न मिले

अगर आप ओम्बड्समैन के फैसलों से सहमत नहीं है, तो कन्ज्यूमर फोरम या अदालत का रुख कर सकते हैं, ताकि आपकी समस्याओं का समुचित समाधान हो पाये।

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