आपका नियोक्ता आपको आपके इन्वेस्टमेंट डिक्लेयरेशन यानी आपके टैक्स बचत डॉक्यूमेंट्स के प्रमाण के तौर पर प्रस्तुत करने के बारे में एक ईमेल भेज सकता है। जब टैक्स बचत की बात आती है, तो आमतौर पर पुराने या अनुभवी कर्मचारी तुरंत इसके लिए उपाय करने में सक्षम होते हैं और बेहतर कदम उठा सकते हैं। लेकिन अगर आप युवा हैं और नया-नया कमाना शुरू किया है, तो इस मामले में युवा लोग कन्फ्यूज रह जाते हैं और अक्सर गलत फैसले ले लेते हैं। आइए, यहां हम यहां कुछ खास बातों की चर्चा करते हैं, ताकि आपको कुछ मदद हो सके।
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम में निवेश पर सोचें
इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम्स (ईएलएसएस) विविध पोर्टफोलियो वाले इक्विटी म्यूचुअल फंड हैं जो आपको हाई रिटर्न के साथ-साथ इक्विटी मार्केट में निवेश करने का मौका देते हैं। हाई रिटर्न के अलावा, यह आपको आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत टैक्स कटौती का दावा करने की परमिशन देता है। कटौती की अधिकतम राशि जिसका दावा किया जा सकता है वह एक वित्तीय वर्ष में 1.50 लाख रुपये है।
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले सकते हैं
इलाज कराना लगातार महंगा होता जा रहा है। इस क्षेत्र में करीब डबल डिजिट में महंगाई बढ़ रही है। इसको देखते हुए हेल्थ इंश्योरेंस (स्वास्थ्य बीमा) खरीदना जरूरी है। स्वास्थ्य बीमा आपको चिकित्सा आपातकाल से जुड़े वित्तीय जोखिम को कम करने और मेडिकल इमरजेंसी के दौरान आपके अस्पताल में भर्ती होने के खर्चों का ख्याल रखने की अनुमति देता है। साथ ही, यह आपको एक साल में भुगतान किए गए प्रीमियम की राशि के लिए आयकर अधिनियम की धारा 80D के तहत टैक्स कटौती का दावा करने की परमिशन देता है।
खुद, आश्रित बच्चों और जीवनसाथी के लिए बीमा पर प्रीमियम का भुगतान करने के लिए कटौती की राशि 25,000 रुपये तक हो सकती है। माता-पिता के लिए 25,000 रुपये का अतिरिक्त क्लेम किया जा सकता है। साथ ही अगर आप या आपके माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं तो कुल सीमा 1,00,000 रुपये तक हो सकती है।
फाइनेंशियल प्लानिंग पर विचार करें
ऐसा नहीं है कि आप इनकम टैक्स के स्लैब में हों, तभी फाइनेंशियल प्लानिंग करें। युवा कमाने वाले लोग टैक्स फ्री लिमिट (पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत 2.5 लाख रुपये और नई टैक्स व्यवस्था के तहत 3 लाख रुपये) में आते हैं। एचडीएफसी लाइफ के मुताबिक, आयकर रिटर्न दाखिल करने से एक पेपर ट्रेल बनाने में मदद मिलती है जो लोन या किसी भी क्रेडिट उत्पाद के लिए अप्लाई करते समय आय के प्रमाण के रूप में कार्य कर सकता है।
टारगेट के मुताबिक निवेश करें
निवेश में टारगेट का काफी महत्व है। निवेश शुरू करते समय हमेशा एक स्पष्ट मकसद तय करें और उसके आधार पर सही राशि, अवधि और निवेश का प्रकार चुनें। जैसे आप अगले 4 सालों में 10 लाख रुपये की कार खरीदना चाहते हैं। ऐसे में, आप ELSS जैसी इक्विटी म्यूचुअल फंड योजनाओं में निवेश करना शुरू कर सकते हैं, जिससे आपको टैक्स लाभ के साथ-साथ बेहतर रिटर्न भी मिलेगा।
हमेशा एक्टिव रहें
टैक्स नियोजन की बात करें तो हमेशा सक्रिय रहने की कोशिश करें। आखिरी समय की भागदौड़ से बचें, क्योंकि इससे निवेश के गलत फैसले और गलतियां हो सकती हैं। वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही अपनी टैक्स प्लानिंग की शुरुआत करें। इससे आपको जरूरतों के हिसाब से सबसे अच्छे टैक्स सेविंग के रास्ते खोजने के लिए पूरा एक साल मिल जाता है। एक बात और, आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप आयकर रिटर्न तय तारीख पर फाइल करें। सामान्य तौर पर इसकी तारीख 31 जुलाई होती है। देरी पर आपको कई तरह के दंड, ब्याज और विलंब शुल्क चुकाने पड़ सकते हैं। वित्तीय योजना तैयार करने और टैक्स फाइल करने में मदद के लिए एक्सपर्ट से सलाह ले सकते हैं।