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Tax on freelancers : फ्रीलांसिंग से हो रही है कमाई, जानिए कितना देना होता है इनकम टैक्स

आपको बता दें कि आप फ्रीलांसिंग के माध्यम से जो आय प्राप्त करते हैं वह टैक्स के दायरे में आती है। फ्रीलांसरों को आयकर रिटर्न (ITR-3 या ITR-4) दाखिल करना होता है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: March 02, 2022 19:26 IST
Tax on freelancers- India TV Paisa
Photo:PIXABAY

Tax on freelancers

Highlights

  • आज के समय में प्रोफेशनल्स के लिए फ्रीलांस काम करने के ढेरों मौके हैं
  • फ्रीलांसरों को आयकर रिटर्न (ITR-3 या ITR-4) दाखिल करना होता है
  • आईटीआर जमा करते समय फ्रीलांसर काटे गए टीडीएस का दावा कर सकते हैं

आज के समय में प्रोफेशनल्स के लिए फ्रीलांस काम करने के ढेरों मौके हैं। आपके पास चाहें जो भी स्किल्स हो, आपको दुनिया के किसी भी कोने से फ्रीलांस काम करने का आफर मिल ही जाएगा। कोरोना के बाद आए लॉकडाउन के बीच फ्रीलांस का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ा है। आज सोशल मीडिया कंटेंट राइट, ट्रांसलेशन, वेब डिजाइनिंग, सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग में फ्रीलांसिंग के ढेरों मौके हैं। 

आपको बता दें कि आप फ्रीलांसिंग के माध्यम से जो आय प्राप्त करते हैं वह टैक्स के दायरे में आती है। फ्रीलांसरों को आयकर रिटर्न (ITR-3 या ITR-4) दाखिल करना होता है। इनकम टैक्स अधिनियम के अनुसार, आपकी बौद्धिक या शारीरिक क्षमताओं का प्रदर्शन करके अर्जित की गई कोई भी कमाई एक पेशे से कमाई मानी जाती है। इस कमाई पर "व्यवसाय या पेशे से लाभ और लाभ" श्रेणी के तहत कर लगाया जाता है।

फ्रीलांसरों की फीस से कटता है टीडीएस 

ज्यादातर कंपनी फ्रीलांसरों की फीस से टीडीएस काटती हैं। आईटीआर (आयकर रिटर्न) जमा करते समय फ्रीलांसर काटे गए टीडीएस का दावा कर सकते हैं। आप फॉर्म 26AS से काटे गए TDS के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आपके नियोक्ताओं द्वार काटे गए सभी टीडीएस की कुल राशि आयकर पोर्टल पर फॉर्म 26AS में उपलब्ध होती है।

इस तरह होती है टैक्स की जिम्मेदारी

सामान्य नौकरीपेशा की तरह फ्रीलांसरों को आईटीआर दाखिल करते समय 50,000 रुपए स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ नहीं मिलता है। हालांकि, अगर किसी वित्तीय वर्ष में आपने नियमित नौकरी की है और फ्रीलांस काम भी किया है, तो आप वेतन आय पर मानक कटौती का दावा कर सकते है। इसके अलावा फ्रीलांस आय वाले लोगों को हर तिमाही में नियत तारीख के भीतर अग्रिम कर का भुगतान करना पड़ता है, जब शुद्ध कर योग्य राशि 10,000 रुपए से ऊपर होती है। यदि आप कुल कर की गणना करते हैं जो 10,000 रुपए से अधिक है, तो आपको आयकर कानून के अनुसार उस पर ब्याज देना होगा।

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