Friday, November 22, 2024
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Income Tax: 31 दिसंबर की डेडलाइन गए हैं चूक! ITR फाइलिंग में देरी के लिए ऐसे मांग सकते हैं माफी

देरी की माफ़ी की प्रक्रिया के लिए कुछ शर्तों को पूरा किया जाना जरूरी है। जैसे करदाता को ई-फाइलिंग पोर्टल का रजिस्टर्ड यूजर होना चाहिए। साथ ही उनका पैन बैंक खाते से लिंक्ड होना चाहिए।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: January 22, 2024 13:20 IST
 'देरी के लिए माफी' का प्रावधान एक उद्धारकर्ता के रूप में आ सकता है। - India TV Paisa
Photo:FILE 'देरी के लिए माफी' का प्रावधान एक उद्धारकर्ता के रूप में आ सकता है।

अगर आपने ई-वेरिफिकेशन या इनकम टैक्स (आईटीआर) फाइल करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर को पार कर चुके हैं और अब तक वह पेंडिंग है तो आप चाहें तो देरी के लिए माफी भी मांग सकते हैं। सामान्यतौर पर डेडलाइन से चूकने पर आप पर जु्र्माना लगाया जा सकता है। लेकिन 'देरी के लिए माफी' का प्रावधान एक उद्धारकर्ता के रूप में आ सकता है। लाइवमिंट की खबर के मुताबिक, इसका मतलब है कि आप ई-फाइलिंग पोर्टल पर माफी अनुरोध जमा करने पर दंडात्मक शुल्क का भुगतान करने से बच सकते हैं। इसके लिए कुछ ऑनलाइन प्रोसेस बताए गए हैं, जिसे फॉलो करना होता है।

क्या है माफी प्रोसेस

  • इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल पर जाएं। यहां आप अपने अकाउंट तक पहुंचने के लिए लॉग इन कर सकते हैं।
  • एक बार लॉग इन करने के बाद, आप पेज के टॉप रिबन पर सेवाओं पर जा सकते हैं। स्क्रॉल डाउन मेनू में, condonation Request आखिरी विकल्प दिया गया है।
  • 'क्षमादान अनुरोध' पर क्लिक करें, और क्षमादान अनुरोध के प्रकार का चयन करें जिसके साथ आप आगे बढ़ना चाहते हैं। इसके बाद आप 'आईटीआर-वी जमा करने में देरी' पर क्लिक कर सकते हैं।
  • इसके बाद फिर सिस्टम माफ़ी अनुरोध बनाने का विकल्प देता है। यह तीन चरणों वाली प्रक्रिया है।
  • पहला चरण आईटीआर का चयन करना है, दूसरे चरण में आपको देरी का कारण बताना होता है और आखिरी चरण में क्षमादान अनुरोध सबमिट करना होता है।

देरी माफ़ी के लिए ये बातें कर लें नोट

देरी की माफ़ी की प्रक्रिया के लिए कुछ शर्तों को पूरा किया जाना जरूरी है। जैसे करदाता को ई-फाइलिंग पोर्टल का रजिस्टर्ड यूजर होना चाहिए। साथ ही उनका पैन बैंक खाते से लिंक्ड होना चाहिए। इसके अलावा, यह भी जरूरी है कि उनका बैंक खाता मान्य हो और ई-सत्यापन सक्षम हो। एक बार जब आप अनुरोध जमा कर देते हैं, तो आयकर विभाग अनुरोध को मंजूरी दे देता है, जिसके बाद टैक्सपेयर कर रिटर्न जमा कर सकता है।

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