Standard deduction: बजट के आने में अब कुछ ही दिन बाकी है, बता दें कि 1 फरवरी, 2023 को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण देश का बजट संसद पटल पर रखेंगी। वहीं सन 2023 में पेश होने वाले बजट की तैयारियों को अंतिम रूप दिया रहा है, जहां इसको तैयार करने वाले अधिकारी इसकी तैयारी में रात-दिन एक किए हुये हैं। आज हम आपको बजट से जुड़े स्टैंडर्ड डिडक्शन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले हैं, जिससे आपको इससे जुड़े सवालों के जवाब मिल जायेंगे।
यह है स्टैंडर्ड डिडक्शन
स्टैंडर्ड डिडक्शन उस कटौती को बोला जाता है, जो आमदनी से काटकर अलग कर दिया जाता है और इसके बाद बची हुई राशि पर टैक्स की गणना की जाती है। वहीं वेतनभोगी कर्मचारियों और पेंशनर्स को स्टैंडर्ड डिडक्शन के जरिये ही टैक्स में छूट लेने की सुविधा दी जाती है।
ये है स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट
मौजूदा समय में स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 50,000 रुपये है, जहां नौकरीपेशा कर्मचारी और पेंशनर्स अपनी कुल इनकम में 50000 रुपये की राशि को अलग हटाकर टैक्स आय की गणना कराते हैं। वहीं इसे उदाहरण से समझे तो यदि आपकी इनकम 6 लाख रुपये वार्षिक है, ऐसे में आपको 50,000 रुपये की छूट स्टैंडर्ड डिडक्शन के माध्यम से हो जायेगी। जहां आपकी आय 6 लाख रूपये न मानकर 5,5000 रुपये होगी, वहीं इसी राशि टैक्स की गणना की जायेगी। वहीं अगर आपकी सैलेरी इससे भी कम है तो आपका वेतनमान स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत आ जायेगा।
कौन उठा सकता है बेहतर लाभ
बता दें कि स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा उन नौकरीपेशा कर्मचारियों और पेंशनर्स को ही मिलता है, जिन्होंने टैक्स नियमों का विकल्प नहीं चुना होता है। वहीं फैमिली पेंशन पर स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ नहीं मिलता है, यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसका आश्रित पेंशन पा रहा है तो स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ नहीं मिलेगा।
ये भी स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा
बता दें कि ट्रांसपोर्ट अलाउंस और मेडिकल रीबर्समेंट की छूट से कागजी कार्यवाही का काम बढ़ जाता है, वहीं स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ लेना कर्मचारियों के लिये ज्यादा फायदेमंद है, क्योंकि इसमें ग्रास सैलेरी से सीधे तौर पर 50,000 रुपये काट लिये जाते हैं।