एक ताजा सर्वे में निकलकर यह सामने आया है कि अगर पॉपुलर मोबाइल भुगतान प्रणाली एकीकृत भुगतान इंटरफेस यानी यूपीआई पर अगर लेनदेन शुल्क लगा दिया जाता है तो ज्यादातर उपयोगकर्ता इसका इस्तेमाल बंद कर देंगे। लोकलसर्किल के एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में यह बात सामने आई। भाषा की खबर के मुताबिक, सर्वेक्षण में बड़ी संख्या में लोगों ने यह दावा किया कि उन्होंने पिछले एक साल में एक या अधिक बार अपने यूपीआई भुगतान पर लेनदेन शुल्क लगाए जाने का अनुभव किया है।
34,000 से अधिक लोगों ने अपनी राय दी
खबर के मुताबिक, लोकलसर्किल ने रविवार को कहा कि सर्वेक्षण में 364 से ज्यादा जिलों के 34,000 से अधिक लोगों ने अपनी राय दी। इनमें 67 प्रतिशत पुरुष और 33 प्रतिशत महिलाएं थीं। भारतीय रिजर्व बैंक ने अगस्त 2022 में एक चर्चा पत्र जारी किया, जिसमें विभिन्न राशि के आधार पर यूपीआई भुगतान पर एक संरचना शुल्क लगाने का प्रस्ताव था। हालांकि, बाद में वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यूपीआई लेनदेन पर शुल्क लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
73 प्रतिशत लोगों ने संकेत दिया
लेटेस्ट सर्वेक्षण में कहा गया है कि सिर्फ 23 प्रतिशत यूपीआई उपयोगकर्ता भुगतान पर लेनदेन शुल्क देने के लिए तैयार हैं। सर्वेक्षण में शामिल 73 प्रतिशत लोगों ने संकेत दिया कि अगर लेनदेन शुल्क लागू किया जाता है तो वे यूपीआई का उपयोग बंद कर देंगे। सर्वेक्षण से पता चला कि करीब 50 प्रतिशत यूपीआई उपयोगकर्ता हर महीने 10 से अधिक लेनदेन करते हैं। फिलहाल देशभर में यूपीआई से किया गया ट्रांजैक्शन चाहे कितनी भी किया जाए, उस पर कोई शुल्क नहीं लगता है।
भारत में यूपीआई यूजर
एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) ने 2024 में एक मजबूत नोट पर शुरुआत की, जिसमें लेनदेन खर्च 18 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा और एक नई रिकॉर्ड ऊंचाई को छू गया। जनवरी में यूपीआई नेटवर्क पर लेनदेन की संख्या 1,202 करोड़ पर स्थिर रही। इस वर्ष लेनदेन की मात्रा 52 प्रतिशत अधिक थी। साल 2023 में 182.25 लाख करोड़ रुपये के 11,765 से अधिक यूपीआई लेनदेन किए गए, जो 2022 की तुलना में मात्रा के संदर्भ में 59 प्रतिशत और मूल्य के संदर्भ में 45 प्रतिशत अधिक है।