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FD में निवेश करने में न करें जल्दबाजी, TDS कर सकता है आपके फायदे को चकनाचूर

आयकर के नियमों के अनुसार आपकी FD पर ब्याज 40,000 रुपये से अधिक होता है तो बैंक इस पर मिलने वाले ब्याज पर TDS काटते हैं। यदि आप सीनियर सिटिजन हैं तो आपको 10000 की छूट मिलती है, यानि 50,000 रुपये के बाद TDS काटा जाता है।

Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: February 09, 2023 19:15 IST
Fixed Deposits - India TV Paisa
Photo:FILE Fixed Deposits

रिजर्व बैंक ने बीते साल मई से जहां रेपो रेट में बढ़ोत्तरी शुरू की है। वहीं निवेश के सबसे सुस्त विकल्प माने जाने वाले फिक्स डिपॉजिट के दिन फिरने शुरू हो गए हैं। बीते 10 महीनों में देश के सभी सरकारी और निजी बैंक करीब एक दर्जन से अधिक बार फिक्स्ड डिपॉजिट (Bank FD) की ब्याज दरों (FD Rate Hike) में वृद्धि कर चुके हैं। कल ही रिजर्व बैंक ने एक बार फिर ब्याज दरों में वृद्धि कर दी है। ऐसे में पूरी संभावना है कि अगले हफ्ते तक सभी बैंक एक बार फिर एफडी की ब्याज दरों में वृद्धि कर दें। 

बैंकों की इस दिलदारी के चलते युवा ग्राहक भी शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड के बाद FD में निवेश करना पसंद कर रहे हैं। एफडी को निवेश का सबसे सुरक्षित और सबसे कम जोखिम वाला साधन माना जाता है। यही सोचकर इस समय लोग बड़ी संख्या में एफडी करवा रहे हैं। लेकिन यहां ज्यादातर लोग एफडी पर लगने वाले टीडीएस यानि टैक्स डिडक्शन एट सोर्स की गणना करना भूल जाते हैं और उन्हें उतना मुनाफा नहीं होता जितना कागजों में दिखाई पड़ता है। इसके अलावा आपको फिक्स्ड डिपॉजिट से होने वाली आय पर टैक्स भी देना होता है। इसे आपकी कुल आय में जोड़ा जाता है और आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लागू होता है।

जानिए FD पर टैक्स का गणित 

आयकर के नियमों के अनुसार आपकी FD पर ब्याज 40,000 रुपये से अधिक होता है तो बैंक इस पर मिलने वाले ब्याज पर TDS काटते हैं। यदि आप सीनियर सिटिजन हैं तो आपको 10000 की छूट मिलती है, यानि 50,000 रुपये के बाद TDS काटा जाता है। यहां, ध्यान रखने वाली बात यह है कि TDS तब काटा जाता है, जब आपकी FD पर ब्याज जोड़ा जाता है या क्रेडिट किया जाता है, न कि तब, जब FD मेच्योर होती है। इस प्रकार हर साल आपको ब्याज पर टैक्स देना होता है। 

पैन नहीं तो 20 फीसदी टैक्स?

साधारण स्थिति में यदि छूट की लिमिट से ज्यादा पैसे ब्याज के रूप में मिलते हैं, तो बैंक आपके ब्याज पर 10 फीसदी की दर से टीडीएस काटते हैं। लेकिन यहां ध्यान रखना होगा कि अगर आपके पास पैन नंबर नहीं है तो यह टीडीएस की राशि दोगुनी हो जाती है, यानि आपको 20 फीसदी टैक्स देना होगा। 

यदि इनकम लिमिट सीमा से कम हो तो?

अगर आपको मिली ब्याज की राशि छूट सीमा के अंदर है और बैंक ने फिर भी टीडीएस काटा तो आप उसे इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त क्लेम कर सकते हैं। वहीं आपकी कुल आय में ब्याज आय जोड़ने पर टैक्स लायबिलिटी है, तो उसे वित्त वर्ष के 31 मार्च को या उससे पहले भुगतान करना जरूरी है। इस तरह आप किसी भी बकाया टैक्स का भुगतान कर सकते हैं।

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