जब परिवार के किसी सदस्य के निधन के बाद इंश्योरेंस से मिलने वाला बड़ा पेमेंट मिलता है तो वह मिश्रित भावनाओं वाला क्षण होता है। बेशक यह पैसा उस चुनौतीपूर्ण अवधि के दौरान वित्तीय सुरक्षा प्रदान कर सकता है, लेकिन इसके साथ ही इसको लेकर कुछ जिम्मेदारियां भी हैं, जिन्हें समझना बेहद जरूरी है। लंबे समय के वित्तीय कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए एक बड़े टर्म इंश्योरेंस पेमेंट को समझदारी से मैनेज करना जरूरी है। आइए यहां यह चर्चा करते हैं कि परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु के बाद एक महत्वपूर्ण बीमा भुगतान का प्रबंधन कैसे करें और क्या करें और क्या न करें।
टर्म इंश्योरेंस का पैसा मिले तो क्या करें
तत्काल जरूरतों को प्राथमिकता दें
परिवार के सदस्य के खोने जैसे सबसे बड़े नुकसान के तुरंत बाद, सुनिश्चित करें कि आप जरूरी खर्चों के लिए फंड अलॉट करते हैं। इसमें अंतिम संस्कार और संबंधित लागतों को कवर करना, बकाया ऋणों का निपटान करना और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि आपके परिवार की दिन-प्रतिदिन की जरूरतें पूरी हों।
इमरजेंसी फंड बनाएं
टर्म इंश्योरेंस से मिले पैसे में से एक हिस्सा तुरंत इमरजेंसी फंड के रूप में अलग रखें। यह फंड अप्रत्याशित खर्चों और किसी इमरजेंसी के लिए वित्तीय सुरक्षा के तैर पर काम करती है, जो चुनौतीपूर्ण समय के दौरान मन की शांति प्रदान करती है।
अगर लोन बकाया है तो उसे तुरंत चुकाएं
अगर किसी तरह का लोन या कर्ज बकाया है तो इन कर्जों को चुकाने को प्राथमिकता दें। यह न सिर्फ वित्तीय राहत प्रदान करता है बल्कि ब्याज को जमा होने से भी रोकता है।
वित्तीय सलाहकार से सलाह लें
टर्म इंश्योरेंस के बदले मिले बड़े अमाउंट की स्थिति में एक वित्तीय सलाहकार से सलाह लेना सही है। आईसीआईसीआई डायरेक्ट के मुताबिक, यह आपके परिवार की विशिष्ट जरूरतों, उद्देश्यों और आपके कार्यों के कर निहितार्थों को ध्यान में रखते हुए एक व्यापक वित्तीय योजना बनाने में आपकी सहायता कर सकता है।
निवेश में विविधता लाएं
बड़ी राशि को बेकार रखने के बजाय, इसे लंबी अवधि के लिए निवेश करने पर विचार करें। जोखिम को कम करने और वित्तीय विकास प्राप्त करने के लिए अपने निवेश को विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों जैसे कि सावधि जमा, म्यूचुअल फंड, स्टॉक और रियल एस्टेट में विविधता प्रदान करें।
अपनी वसीयत की समीक्षा करें और उसे अपडेट करें
अपनी वसीयत और संपत्ति नियोजन की समीक्षा करने और उसे अपडेट करने के लिए इस अवसर का लाभ उठाएं, यह सुनिश्चित करते हुए कि आपकी संपत्ति और बीमा पॉलिसियां आपके चुने हुए लाभार्थियों को लाभ पहुंचाने के लिए स्ट्रक्चर्ड हैं।
टैक्स प्लानिंग पर गौर करें
आयकर अधिनियम की धारा 10(10डी) के तहत टर्म इंश्योरेंस से हुई आय आम तौर पर टैक्स फ्री होती है, दूसरे वित्तीय निर्णयों में टैक्स निहितार्थ हो सकते हैं। अपने वित्तीय कार्यों के कर परिणामों को समझने और अपनी कर स्थिति को अनुकूलित करने के लिए एक टैक्स पेशेवर से परामर्श करें।
टर्म इंश्योरेंस का पैसा मिले तो ये न करें
फाइनेंशियल फैसले में न करें जल्दबाजी
लंबी अवधि की प्लानिंग किए बिना आवेग में आकर कोई वित्तीय फैसले लेने से बचें। सावधानीपूर्वक योजना बनाने और अपने विकल्पों को तौलने के लिए समय निकालें।
टैक्स प्लानिंग की उपेक्षा न करें
बेशक टर्म इंश्योरेंस आय आम तौर पर कर-मुक्त होती है, लेकिन दूसरी वित्तीय क्रियाओं पर टैक्स प्रभाव पड़ सकता है। इन पहलुओं की अनदेखी करने से अनावश्यक टैक्स बोझ पड़ सकता है।
ज्यादा खर्च न करें
आईसीआईसीआई डायरेक्ट के मुताबिक, समझदारी इसी में है कि टर्म इंश्योरेंस के पैसे से फिजूलखर्ची नहीं करें। अधिक पैसे खर्च करने से लंबे समय में वित्तीय अस्थिरता हो सकती है।
चल रही जीवन बीमा आवश्यकताओं की उपेक्षा न करें
अगर मृतक परिवार का सदस्य मुख्य कमाने वाला था, तो भविष्य में अपने परिवार के लिए वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नया टर्म लाइफ इंश्योरेंस खरीदने की जरूरत को अनदेखी न करें।
वित्तीय मामलों को प्राइवेट न रखें
बीमा पॉलिसी और वित्तीय मामलों का विवरण परिवार के सदस्यों से छिपाने से बचें। यह सुनिश्चित करने के लिए खुला कम्यूनिकेशन जरूरी है कि हर कोई वित्तीय स्थिति को समझे और उचित कार्रवाई कर सके।