HDFC Bank HDFC merger: HDFC के विलय के कारण भारतीय कॉरपोरेट जगत में इस समय बड़ी हलचल है। देश की दो सबसे मूल्यवान कंपनियों के विलय के कारण न सिर्फ शेयर बाजार में इसका असर देखने को मिल रहा है। वहीं इसका असर म्यूचुअल फंड के बाजार पर भी देखने को मिलेगा। एचडीएफसी में इक्विटी म्यूचुअल फंडों का बड़ा निवेश है। यहां निवेश करने वाली कंपनियों में इनवेस्को इंडिया टैक्स प्लान, बंधन लार्ज कैप फंड, टाटा इक्विटी पी/ई फंड, सुंदरम लार्ज कैप फंड आदि शामिल हैं।
सेबी के नियम से बढ़ी टेंशन
HDFC के विलय के कारण यहां सेबी के 10 प्रतिशत के निवेश नियम को लेकर भी कंपनियां की टेंशन बढ़ रही है। सेबी के नियम के अनुसार, एक म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) स्कीम में किसी कंपनी का एक्सपोजर 10 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है। ऐसे में एचडीएफसी विलय के कारण, यदि सेबी के नियमों को म्यूचुअल फंड कंपनियों को उन्हें 30 दिनों के भीतर स्टॉक में अपनी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत तक कम करनी होगी। लेकिन इस रातोंरात बिकवाली से एचडीएफसी बैंक के शेयरों की कीमत में बड़ी गिरावट आ सकती है।
क्या कर सकती हैं म्यूचुअल फंड कंपनियां
एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी के विलय के बाद की स्थितियों में अब कंपनियों के पास अब क्या विकल्प हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ परिस्थितियों में, सेबी कुछ छूट भी दे सकता है। यहां एचडीएफसी जुड़वाँ विलय के मामले में, सेबी एक समय सीमा देकर कुछ छूट दे सकता है जिसके भीतर म्युचुअल फंड को विलय के बाद एचडीएफसी बैंक में अपने एक्सपोजर को कम करना होगा। यदि एक लंबी समय सीमा के भीतर एमएफ कंपनियां एचडीएफसी की बिकवाली करती हैं तो इससे तीखी गिरावट आने की संभावना काफी कम है।
शेयरधारकों को मिलेंगे शेयर
HDFC लिमिटेड और HDFC बैंक के मर्जर के बाद अब निवेशकों को शेयर दिए जाएंगे। मर्जर के तहत निवेशकों को HDFC के 25 शेयर्स के बदले HDFC बैंक के 42 शेयर्स दिए जाएंगे। यानी अगर आपके पास HDFC लिमिटेड के 10 शेयर हैं तो मर्जर के तहत आपको 17 शेयर मिलेंगे।