Tax Exemption: सरकार ने नई टैक्स स्लैब का विकल्प चुनने वाले टैक्सपेयर्स को शुक्रवार को कुछ राहत दी है। इसके लिये वित्त विधेयक में संशोधन करते हुए यह व्यवस्था दी गई है कि सात लाख रुपये की कर मुक्त आय से कुछ अधिक आय अर्जित करने वाले व्यक्तियों को केवल अतिरिक्त आय पर ही कर का भुगतान करना होगा। लोकसभा ने वित्त विधेयक 2023 को मंजूरी दे दी है। इसमें संशोधन के जरिये नई टैक्स स्लैब के तहत टैक्सपेयर्स को थोड़ी राहत दी गयी है। नई टैक्स स्लैब एक अप्रैल से प्रभाव में आएगी। वित्त मंत्रालय ने प्रावधान को समझाते हुए कहा है कि नई टैक्स व्यवस्था के तहत यदि किसी टैक्सपेयर की वार्षिक आय सात लाख रुपये है, तो उसे कोई टैक्स नहीं देना होगा, लेकिन यदि आय 7,00,100 रुपये है तो इसपर 25,010 रुपये का टैक्स देना पड़ेगा। 100 रुपये की इस अतिरिक्त आय की वजह से करदाताओं को 25,010 रुपये का कर देना पड़ता है। यह बजट के समय सरकार ने बताया था।
7 लाख से थोड़ा अधिक कमाने पर नहीं देना होगा एक्स्ट्रा टैक्स
इसीलिए मामूली राहत देने का प्रस्ताव किया गया है ताकि व्यक्ति जो कर अदा करे वह सात लाख की टैक्स फ्री आय से बढ़ी हुई आय से अधिक नहीं होना चाहिए। उपरोक्त मामले में सात लाख से अधिक आय 100 रुपये है, इसलिए कर भी इतनी ही राशि पर लगना चाहिए। नांगिया एंडरसन एलएलपी में साझेदार संदीप झुनझुनवाला ने कहा कि वित्त विधेयक में संशोधन उन व्यक्तिगत टैक्सपेयर्स को कुछ राहत देने के लिए किया गया है, जिनकी आय कर मुक्त आय से मामूली रूप से अधिक है। वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में घोषणा की गई थी कि नई टैक्स व्यवस्था को अपनाने वाले टैक्सपेयर जिनकी वार्षिक आय सात लाख रुपये तक है, उन्हें टैक्स नहीं देना होगा।
नई टैक्स व्यवस्था के ये हैं निगेटिव प्वाइंट
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम वेतनभोगी श्रेणी के टैक्सपेयर्स को नई टैक्स व्यवस्था अपनाने को प्रेरित करने के लिए उठाया गया है। नई टैक्स व्यवस्था में निवेश पर कोई छूट नहीं दी जाती है। अब सरकार ने वित्त विधेयक में संशोधन के जरिए इन करदाताओं को और कुछ और राहत देने का मन बनाया है। हालांकि करदाता सात लाख रुपये से कितनी अधिक आय होने पर इस राहत के लिए पात्र होंगे, इसका उल्लेख सरकार ने नहीं किया है। कर विशेषज्ञों ने गणना के हिसाब से बताया है कि व्यक्तिगत करदाता जिनकी आय 7,27,777 रुपये तक होगी, उन्हें इसका प्रावधान का लाभ मिल सकता है।