साइबर अपराध या वित्तीय धोखाधड़ी के मामले जब तक आते रहते हैं। इसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने अब तक 70 लाख वैसे मोबाइल फोन जो फाइनेंशियल फ्रॉड में शामिल थे, को डिस्कनेक्ट कर दिया है। इस कदम से धोखाधड़ी के लगभग 900 करोड़ रुपये बचाए गए हैं। वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने बीते मंगलवार को यह जानकारी दी है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, जोशी का कहना है कि सरकार डिजिटल धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए यह कदम उठाया है।
बैंकों सिस्टम और प्रोसेस को मजबूत करें
खबर के मुताबिक, वित्तीय साइबर सुरक्षा और बढ़ते डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए एक मीटिंग से बाहर निकलते हुए, जोशी ने कहा कि बैंकों को इस संबंध में सिस्टम और प्रोसेस को मजबूत करने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि ऐसी और मीटिंग होंगी और अगली मीटिंग जनवरी में होनी है। मीटिंग में यह नोट किया गया कि डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म के जरिये रिपोर्ट किए गए साइबर अपराध/वित्तीय धोखाधड़ी में शामिल 70 लाख मोबाइल कनेक्शन अब तक काट दिए गए हैं।
3.5 लाख पीड़ित लोगों को फायदा
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि धोखाधड़ी के लगभग 900 करोड़ रुपये बचाए गए, जिससे 3.5 लाख पीड़ित लोगों को फायदा हुआ। हाल ही में रिपोर्ट की गई आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) धोखाधड़ी के संबंध में, उन्होंने कहा कि राज्यों को इस मुद्दे पर गौर करने और डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। मीटिंग में पारियों के केवाईसी मानकीकरण के संबंध में भी चर्चा हुई। साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए विभिन्न एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय कैसे सुनिश्चित किया जाए, इसपर भी चर्चा हुई।
जागरुकता पैदा करने की जरूरत
बैंक ने प्राप्तकर्ताओं के खातों को ब्लॉक कर दिया और 820 करोड़ रुपये में से 649 करोड़ रुपये या लगभग 79 प्रतिशत राशि वसूल करने में सक्षम हो गया। जोशी ने कहा कि भोले-भाले ग्राहकों को ठगे जाने से बचाने के लिए समाज में साइबर धोखाधड़ी के बारे में जागरुकता पैदा करने की जरूरत है। हाल के दिनों में यूको बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा में हुई डिजिटल धोखाधड़ी को देखते हुए यह बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है।