Highlights
- सावधानी न बरती तो फायदेमंद सोना नुकसान का कारण भी बन सकता है
- मेकिंग और डिजाइनिंग चार्जेज के चलते सोना अधिक महंगा हो जाता है
- डिजिटल गोल्ड के जोखिम की बात करें तो यहां कोई रेग्युलेटर नहीं है
सोना हमेशा से समृद्धि का प्रतीक रहा है। तभी तो कहा जाता है कि 'आपके पास है सोना तो जिंदगी भर चैन की नींद सोना'। भारत में पारंपरिक रूप से कुछ खास अवसरों पर सोना खरीदना काफी शुभ माना जाता है। आज के दौर में जहां शेयर मार्केट, मनी मार्केट, म्यूचुअल फंड और अन्य दूसरे निवेश के विकल्प मौजूद हैं, तब भी सोने के प्रति निवेशकों का आकर्षण कम नहीं हुआ है। लेकिन सोने में निवेश के वक्त आपको सावधानी भी बरतनी चाहिए। नहीं तो फायदा देने वाला सोना नुकसान का कारण भी बन सकता है। आज सोने में निवेश के कई विकल्प में इतने विकल्पों के बीच आपको सोने में निवेश से पहले कुछ बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए। आज हम इन्हीं बातों की चर्चा कर रहे हैं।
क्या सुनार की दुकान से खरीदें सोना?
पहला सवाल आता है कि आप सोना किस प्रकार खरीद सकते हैं। एक तरीका पारंपरिक है यानि फिजिकल गोल्ड (Physical Gold), इसे खरीदने के लिए आप सुनार की दुकान पर जाते हैं और गहने या गिन्नी खरीदते हैं। यदि आप ज्वैलरी या गिन्नी खरीदते हैं तो इसके चोरी होने का डर हमेशा आपका ब्लडप्रैशर बढ़ा सकता है, वहीं लोकल सुनार से खराब क्वालिटी का खतरा भी बना रहता है। एक नुकसान यह भी है कि मेकिंग और डिजाइनिंग चार्जेज के चलते यह अधिक महंगा हो जाता है। इसे आप लॉकर आदि में रखते हो तो आपको उस पर भी पैसा खर्च करना पड़ेगा। वहीं समस्या गुणवत्ता को लेकर भी है। जब आप इसे बेचने जाते हैं तो आपको इसकी पूरी कीमत भी नहीं मिलती।
डिजिटल गोल्ड में हैं क्या खतरे
आज सोने की खरीद का एक इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट है। आप डिजिटल गोल्ड (Digital Gold), गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF), गोल्ड म्यूचुअल फंड्स (Gold Mutual Funds), सॉवरेन गोल्ड बांड्स (Sovereign Gold Bonds) आदि माध्यमों पर भी गौर कर सकते हैं। डिजिटल गोल्ड के जोखिम की बात करें तो यहां कोई रेग्युलेटर नहीं है। यानि आपके साथ धोखाधड़ी होने पर आपके पास ज्यादा विकल्प नहीं रह जाते। हालांकि गोल्ड इटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स सेबी की निगरानी के साथ आते हैं। इसके अलावा सॉवरेन गोल्ड बांड के साथ रिस्क बहुत ही कम है।
टैक्स घटा सकता है आपका रिटर्न
देश में हर कमाई पर आपको टैक्स देना ही पड़ता है। यह व्यवस्था सोने पर भी लागू है। जब इन्वेस्टमेंट मैच्योर होता है या जब आप सोना बेचते हैं, उस समय आपको टैक्स देना होता है। फिजिकल गोल्ड, डिजिटल गोल्ड, गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स की बिक्री से मिले कैपिटल गेन पर टैक्स लगता है। अगर सोने को तीन साल के अंदर मुनाफे के साथ बेचा जाता है, तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। अगर सोना तीन साल के बाद मुनाफे पर बेचा जाता है, तो इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। जो 20 फीसदी तक हो सकता है। सॉवरेन गोल्ड बांड से प्राप्त हुआ सारा ब्याज आपकी आय में जुड़ता है, और इस पर आपके इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है। अगर सॉवरेन गोल्ड बांड आठ साल बाद रिडीम किया जाता है, तो सारा कैपिटल गेन पूरी तरह टैक्स फ्री होता है।
सोने ने दिया कितना रिटर्न
शेयर बाजार से लेकर दूसरे निवेश में भले ही आपको नुकसान हुआ हो, लेकिन सोने में निवेश आपको निराश नहीं किया। सोने ने पिछले 40 वर्षों में 9.6 फीसद की दर से सालाना रिटर्न दिया है। रिस्क के नजरिये से सोने ने इक्विटीज की तुलना में निश्चित रूप से कम अस्थिरता दिखाई है। अक्सर देखा गया है कि अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट आती है या कोई बड़ी वित्तीय आपदा आती है तो सोने में रिटर्न बढ़ता है। उदाहरण के लिए 1991-92 में ईराक युद्ध, 2000 में अमेरिका पर हमला, 2008/2009 अमेरिकी मंदी और साल 2020 में कारोना संकट के बीच सोने ने अच्छा रिटर्न दिया।