Fixed Deposit यानी एफडी निवेशकों के बीच निवेश का एक काफी लोकप्रिय माध्यम है। इसकी वजह है कि इसमें निवेश पूरी तरह से सुरक्षित होता है और पैसा डूबने का भी कोई खतरा नहीं है, लेकिन एफडी के भी कई प्रकार होते हैं, जिनके अलग-अलग फायदे हैं। ये फायदे एफडी के इश्यू करने वाली संस्था पर निर्भर करते हैं। बता दें, एफडी बैंकों के साथ पोस्ट ऑफिस, एनबीएफसी कंपनी और कॉरपोरेट्स द्वारा जारी की जाती है।
क्या होती है कॉरपोरेट एफडी?
कॉरपोरेट एफडी या कंपनी फिक्स्ड डिपॉडिट नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी यानी एनबीएफसी कंपनियों की ओर से जारी की जाती है। साधारण शब्दों में इसे कंपनी डिपॉजिट भी कहा जाता है। इसमें भी बैंक एफडी की तरह एक फिक्स्ड ब्याज दर निवेशकों को दी जाती है। इसकी अवधि कुछ महीनों से लेकर वर्षों तक हो सकती है। आरबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त एनबीएफसी कंपनियां ही कॉरपोरेट एफडी में डिपॉजिट स्वीकार कर सकती है।
बैंक एफडी और कॉरपोरेट एफडी में क्या है अंतर?
बैंक एफडी और कॉरपोरेट एफडी में सबसे बड़ा अंतर यह है कि कॉरपोरेट एफडी एनबीएफसी की ओर से जारी होने के कारण इसमें ब्याज दर अधिक होता है, जिससे कि बैंक में एफडी कराने वाले निवेशक कॉरपोरेट एफडी की ओर अधिक आकर्षित होता हो। ब्याज दर में यहां बैंक एफडी की तरह समय सीमा की अहम भूमिका होती है।
बैंक एफडी और कॉरपोरेट एफडी दूसरा अंतर सुरक्षा होती है। बैंक एफडी में 5 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस डीआईसीजीसी की ओर से दिया जाता है। ऐसे में अगर बैंक डूब जाता है तो एफडी कराने वाले निवेशक को पैसा डीआईजीसी की ओर से दे दिया जाएगा। वहीं, कॉरपोरेट एफडी में ऐसा कोई भी इंश्योरेंस नहीं मिलता है। अगर एनबीएफसी कंपनी डूब जाती है तो आपका पैसा भी इसके साथ डूब जाता है।