ईडीएलआई यानी एम्प्लॉइज डिपोजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ की एक इंश्योरेंस स्कीम है। ईपीएफओ के मुताबिक, जैसे ही कोई सदस्य ईपीएफ मेंबर बनता है, वह अपने आप ही ईडीएलआई स्कीम का भी सदस्य बन जाता है। दरअसल, ईपीएफ का हर सदस्य अनिवार्य तौर पर इस स्कीम का भी सदस्य बन जाता है। इसके लिए ईपीएफ मेंबर को कोई अंशदान या प्रीमियम नहीं चुकाना होता है। यह अंशदान उसका नियोक्ता या कंपनी देती है।
खबर के मुताबिक, एम्प्लॉइज डिपोजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम के तहत ईडीएलआई स्कीम का अंशदान कंपनी देती है जो सैलरी (जिस पर मेंबर का पीएफ कटता है) का 0.50 प्रतिशत हिस्सा होता है। इसे ऐसे समझ लें कि 100 रुपये में महज 0.50 पैसे कटते हैं। ईपीएफओ के मुताबिक, नियोक्ता ईडीएलआई का अंशदान कर्मचारी से वसूल नहीं कर सकता। इस स्कीम के तहत मेंबर के नौकरी में रहते दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु की स्थिति में उसके नॉमिनी या उत्तराधिकारी को लाभ मिलते हैं।
कब कितनी राशि मिलती है
ईपीएफओ के मुताबिक, अगर ईपीएफ मेंबर ने 12 महीने से कम की सर्विस की है तो नॉमिनी को सेवा के दौरान ईपीएफ अकाउंट के औसत बैलेंस के बराबर अमाउंट मिलता है। अगर औसत बैलेंस 50,000 रुपये से ज्यादा है तो उसे 50,000 रुपये प्लस और 50,000 रुपये की औसत से ज्यादा का 40 प्रतिशत मिलेगा, लेकिन यह राशि 1 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होगी।
लेकिन अगर मेंबर की मृत्यु 15 फरवरी 2018 से 27 अप्रैल 2021 के बीच हुई है और अगर वह उसी कंपनी में लगातार 12 महीने तक कार्यरत रहा है जहां उसकी मृत्यु हुई है तो नॉमिनी के सदस्य के बीते 12 महीने के औसतन सैलरी, मैक्सिमम 15,000 रुपये तक का 30 गुना और उसके ईपीएफ अकाउंट के बैलेंस का आधा मिलेगा। औसत बैलेंस के आधे की ऊपरी लिमिट 1.50 लाख रुपये है। दोनों राशि मिलकर अगर कम होती हैं तो भी न्यूनतम ढाई लाख रुपये दिए जाएंगे।
अगर मेंबर की मृत्यु 28 अप्रैल 2021 के बाद हुई है और मृत्यु से पहले लगातार 12 महीनों तक सेवा में रहा तो पिछले 12 महीने की औसत सैलरी का 35 गुना मिलेगा। इसके साथ ही उसके ईपीएफ अकाउंट के बैलेंस का 50 प्रतिशत हिस्सा भी मिलेगा। शर्त यह है कि दोनों अमाउंट मिलाकर कम से कम 2.50 लाख रुपये और मैक्सिमम 7 लाख रुपये होगी। ईपीएफओ की सलाह है कि हर ईपीएफ मेंबर को ई-नॉमिनी जरूर फाइल करना चाहिए।