अगर आप ईपीएफ अकाउंट होल्डर्स हैं तो हाल ही में ईपीएफओ की तरफ से पीएफ अकाउंट नियमों में किए गए बदलाव को जानना या समझना जरूरी है। इन बदलावों में ऑटो-सेटलमेंट, मल्टी-लोकेशन क्लेम सेटलमेंट और मृत्यु दावों में तेजी शामिल है। इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, ईपीएफओ की तरह से किए गए इन बदलावों से बड़ी संख्या में पीएफ अकाउंट होल्डर्स को सुविधा होगी। आइए, यहां इन्हीं बदलावों को समझ लेते हैं।
ऑटो-सेटलमेंट की सुविधा
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने नियम 68B के तहत आवास और नियम 68K के तहत शिक्षा और विवाह के लिए ऑटो-सेटलमेंट की सुविधा शुरू की। इसके मुताबिक अब, 1,00,000 रुपये तक का कोई भी दावा बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के खुद ही प्रोसेस हो जाएगा। यानी इसके लिए अब आपको ज्यादा माथापच्ची करने की जरूरत नहीं है।
मल्टी-लोकेशन क्लेम सेटलमेंट
तय समय सीमा के भीतर ईपीएफ दावा निपटान प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए, ईपीएफओ ने मल्टी-लोकेशन सेटलमेंट के लिए एक लिंक ऑफिस सेटअप शुरू किया है। इससे देश भर में क्लेम के निपटान में तेजी लाने से जुड़े बोझ को कम कर लगने वाले समय कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही यह सुविधा क्लेम की प्रक्रिया को रफ्तार देगी और मौजूदा भौगोलिक अधिकार क्षेत्र संरचना और उत्पादकता को बदल देगी।
आधार सीडिंग के बिना ईपीएफ डेथ क्लेम
आधार की जानकारी के अभाव में मृत्यु दावों (डेथ क्लेम) की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए ईपीएफओ ने आधार को सीडिंग के बिना भौतिक दावों की अनुमति दी है। वैसे इसे एक अस्थायी उपाय के रूप में लाया गया है, लेकिन ओआईसी से उचित अनुमोदन की जरूरप है, जो मृतक की सदस्यता और दावेदारों के साथ संबंधों की पुष्टि करने के लिए वेरिफिकेशन का डिटेल दर्ज करेगा। हालांकि, यह निर्देश सिर्फ उन मामलों में लागू होंगे जहां मृतक सदस्य का डिटेल यूएएन में सही है लेकिन आधार डेटाबेस में गलत है।
चेक लीफ के अनिवार्य अपलोड पर छूट
हाल ही में ईपीएफओ ने कुछ मामलों के लिए चेक लीफ इमेज या सत्यापित बैंक पासबुक अपलोड करने के जरूरी नियम में छूट दे दी है। इस कदम से ऑनलाइन क्लेम का निपटान तेजी से होगा। साथ ही समय पर तस्वीरें जमा न होने के चलते खारिज किए जाने वाले क्लेम की संख्या में भी कमी आएगी। ईपीएफओ नोटिस में कहा गया है कि छूट सिर्फ कुछ पात्र मामलों के लिए ही प्रदान की जाएगी, जो संबंधित बैंक/एनपीसीआई द्वारा बैंक केवाईसी के ऑनलाइन सत्यापन, डीएससी का उपयोग करके नियोक्ता द्वारा बैंक केवाईसी का सत्यापन, यूआईडीएआई द्वारा सत्यापित आधार संख्या और अन्य जैसे सत्यापन के आधार पर होगी।