Highlights
- अगर आपने भी हायर एजुकेशन के लिए लोन लिया है तो आपको उसका भुगतान करने से पहले कई बातों का ध्यान रखना चाहिए
- आप आसानी से अपने लोन का भुगतान कर सकेंगे और आगे आने वाली अन्य दिक्कतों से बचा भी जा सकता है
- एजुकेशन लोन में भी आपको वापस पैसे वापस देने होते हैं, लेकिन इसकी ईएमआई बाद में शुरू होती है
EDUCATION LOAN: आज के समय में हायर एजुकेशन जितनी महंगी हो गई है उसने पैरेंट्स की चिंता बढ़ा दी है। इंजीनियरिंग से लेकर मेडिकल की पढ़ाई में लोगों की जिंदगी की पूरी कमाई खर्च हो जाती है। इन हायर कोर्सेस में भेजना हर किसी के लिए संभव भी नहीं होता। लेकिन एजुकेशन लोन इस मुश्किल का सबसे आसान हल है। लेकिन कई बार हम ऐजुकेशन लोन तो ले लेते हैं लेकिन इसके रिपेमेंट के बारे में जानकारी नहीं लेते हैं।
अगर आपने भी हायर एजुकेशन के लिए लोन लिया है तो आपको उसका भुगतान करने से पहले कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। इससे आप आसानी से अपने लोन का भुगतान कर सकेंगे और आगे आने वाली अन्य दिक्कतों से बचा भी जा सकता है। आइए जानते हैं लोन लेने के बाद किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए...
डिफॉल्टर होने से बचें
जब भी आप बैंक से लोन लेते हैं तो आपको उसका भुगतान भी करना होता है। एजुकेशन लोन में भी आपको वापस पैसे वापस देने होते हैं, लेकिन इसकी ईएमआई बाद में शुरू होती है। इसलिए आप भले ही देर से लोन का भुगतान करें, लेकिन अपना लोन चुका दें। साथ ही डिफॉल्टर होने से बचें, क्योंकि उसके बाद आपको लोन लेने में काफी दिक्कत होती है।
रिपेमेंट स्ट्रेटिजी
एजुकेशन लोन में ईएमआई की शुरुआत पढ़ाई पूरी होने के 6 महीने बाद से होती है, इसलिए पहले ही इसकी प्लानिंग कर लें. आप यह प्लान बना लें कि आपकी कितनी किश्त होगी और आप किस तरह उसका भुगतान करेंगे।
छूट का करें इस्तेमाल
एजुकेशन लोन को लेकर कई ऐसे नियम होते हैं, जिसका आप फायदा उठा सकते हैं। कई बार सरकार कई स्थितियों में छूट देती है या आपकी आय आदि के आधार पर भी छूट दी जाती है, इसलिए पहले इन सब का पता कर लें। उसके बाद एजुकेशन लोन चुकाएं।
सिक्योरिटी को लेकर समझें नियम
चार लाख रुपये से काम राशि के लोन के लिए कोई सिक्योरिटी नहीं जमा की जाती. हालांकि, 4 लाख रुपये से अधिक राशि के लोन के लिए किसी ऐसे व्यक्ति की निजी गारंटी अनिवार्य है, जिसकी कमाई और पेमेंट क्षमता बैंक की स्वीकार्य हो। वहीं 7.5 लाख रुपये से अधिक के लोन के लिए जमानती सुरक्षा देनी होती है, जिसमें घर, गहने या सिक्योरिटीज भी शामिल हैं।
इनकम टैक्स में छूट
आयकर के नियमों के अनुसार ब्याज के रुप में चुकाई गई रकम पर छूट मिलती है। यह छूट किसी व्यक्ति को खुद, बच्चों या कानूनी माता पिता द्वारा बच्चे की शिक्षा के लिए लिए गए ब्याज पर मिलती है।