घर बनवाने के लिए या फिर कार खरीदने के लिए बजट नहीं होने पर लोग बैंक से लोन लेते हैं। इसके लिए क्रेडिट और सिबिल स्कोर का सही होना जरूरी है। इसे चेक किए बगैर किसी भी बैंक से लोन लेना बहुत मुश्किल है। वहीं दूसरी तरफ सिबिल स्कोर डाउन होने के बाद इसे सही कर पाना बहुत मुश्किल होता है। ट्रांसयूनियन सिबिल के अनुसार पुरुषों के मुकाबले महिलाएं इन मामलों में काफी आगे है। जागरुकता बढ़ने के कारण ग्रामीण महिलाएं भी अब इसमें योगदान दे रही है।
54 मिलियन महिलाएं हैं कर्जदार
ट्रांसयूनियन सिबिल के अनुसार भारत में रहने वाली ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की महिलाएं बहुत ही तेजी से लोन ले रही है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में 1,400 मिलियन लोग रहते हैं। इनमें 435 मिलीयन वयस्क महिलाओं की जनसंख्या है। इनमें से केवल 54 मिलियन महिलाएं ऐसी है जिनके ऊपर कोई कर्ज है। सिर्फ इतना ही नहीं यह महिलाएं कर्ज लेने के बाद इसे समय पर वापिस करने के लिए भी लगातार कोशिश करती रहती है।
महिलाएं समय पर कर्ज चुकाने में है आगे
पुरुषों की तुलना में महिलाएं लोन लेने के बाद इसे समय पर चुकाने में आगे है। दरअसल इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह मल्टीटास्किंग है। आमतौर पर लोग लोन लेने के बाद इसे ईएमआई के रूप में वापस करते हैं। वहीं दूसरी तरफ महिलाएं घर का काम करने के अलावा मल्टीटास्किंग के जरिए इन रकम को चुकाने की कोशिश में लगी रहती है। यही वजह है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं क्रेडिट स्कोर के मामले में आगे निकलती हुई नजर आ रही है।
सिबिल स्कोर सही करना है एक चुनौती भरा काम
लोन लेने के बाद इसे समय पर नहीं दे पाने की वजह से सिविल और क्रेडिट स्कोर लो होने जैसी समस्या आती है। इसे सही कर पाना एक चुनौती भरा काम है। आमतौर पर लोग सिबिल स्कोर डाउन हो जाने के बाद इसे सुधारने की कोशिश नहीं करते हैं। वहीं दूसरी तरफ महिलाएं इसके ऊपर अधिक ध्यान देती है। लोन लेने के बाद समय पर ईएमआई चुका कर सिबिल स्कोर में सुधार कर सकते हैं। आगे चलकर लोन लेने के लिए सिबिल और क्रेडिट स्कोर सही होना जरूरी है।