Aggressive Hybrid Fund: म्यूचल फंड में निवेश करने के बाद इसे जोखिम भरा होने के कारण लोग समय रहते पैसे निकाल लेते हैं। वहीं दूसरी तरफ अधिकतर लोग उन फंड्स में निवेश करना चाहते हैं, जिसमें रिटर्न की पूरी तरह से गारंटी हो। क्या आप भी स्मार्ट इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस की तलाश में हैं? ऐसे में आपके लिए अग्रेसिव हायब्रिड फंड एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है। कुछ लोग इसके बारे में जानकारी लिए बगैर ही निवेश करना शुरू कर देते हैं। उन्हें आगे चलकर जोखिम होने के कारण पैसे डूबने जैसे हालात देखने को मिल सकते हैं।
अग्रेसिव हायब्रिड फंड क्या होता है
अग्रेसिव हायब्रिड फंड म्यूचल फंड की तरह ही होता है। इस स्कीम में निवेश करने के बाद फंड का ज्यादातर हिस्सा किसी इक्विटी या इसी को आधार मानते हुए सिक्यॉरिटीज में निवेश करते हैं। अगर आसान शब्दों में कहें तो इसे इक्विटी के साथ ही डेट में भी निवेश करते हैं। यही वजह है कि अग्रेसिव हायब्रिड फंड को बैलेंस हायब्रिड फंड्स भी कहा जाता है। इन फंड्स का विभाजन भी रकम के अनुसार ही होता है। इसमें निवेश कर कम समय में अधिक कमाई कर पाते हैं।
अग्रेसिव हायब्रिड फंड का ऐसे होता है विभाजन
SEBI के द्वारा जारी नियमों के अनुसार हायब्रिड फंड में निवेश करने के बाद इस रकम का न्यूनतम 65% और अधिकतम 80% तक को डायरेक्ट किसी इक्विटी या फिर इसके आधारिक सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं इन फंड्स में से न्यूनतम 20% और अधिकतम 35% रकम को डेट या फिर मनी मार्केट में निवेश करते हैं। ऐसा संतुलन बनाए रखने के लिए किया जाता है। इसमें निवेश करने की भी एक निश्चित समय अवधि है।
कौन कर सकता है अग्रेसिव हायब्रिड फंड्स में निवेश
अग्रेसिव हायब्रिड फंड्स उन लोगों के लिए है जो म्यूचल फंड के जरिए कैपिटल एप्रिसिएशन करना पसंद करते हैं। उन लोगों के लिए यह स्कीम एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं अगर आप इसमें निवेश करने जा रहे हो तो यह जान लें कि अग्रेसिव हायब्रिड फंड रिस्क भरा होता है। इसके अलावा अगर इसकी तुलना प्योर इक्विटी फंड से करें तो ये थोड़ा कम वोलाटाइल हो सकता है। इसमें 3 या 5 साल के लिए निवेश कर सकते हैं।