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Diwali पर Home Loan के दम पर अगर घर लेने का है प्लान, इन चार्जेज के बारे में जान लीजिए

अगर आप भी त्योहार के मौके पर होम लोन की मदद से अपना घर खरीदना चाहते हैं तो आपको इन 11 तरह के चार्जेज के बारे में जान लेना चाहिए.

Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published on: October 13, 2022 13:44 IST
Diwali पर Home Loan के दम पर अगर...- India TV Paisa
Photo:INDIA TV Diwali पर Home Loan के दम पर अगर घर लेने का है प्लान

Highlights

  • एप्लीकेशन फी से ही हो जाती है होम लोन पर चार्ज लेने की शुरुआत
  • कानूनी शुल्क, वैधानिक शुल्क से लेकर नोटरी शुल्क पर लगते हैं पैसे
  • Adjudication fee और प्री-ईएमआई चार्ज के नाम पर भी बैंक वसूलते हैं पैसे

Home Loan: त्योहारी सीजन शुरू हो गया है। अगर आप इस फेस्टिव सीजन में दिवाली के मौके पर घर खरीदने की तैयारी कर रहे हैं तो आप बैंक से होम लोन जरूर लेंगे। होम लोन लिए बिना घर खरीदाना ज्यादतर लोगों के लिए संभव नहीं होता है। ऐसे में आपके लिए यह जानकारी जरूरी है कि बैंक होम लोन पर कितने तरह के चार्ज वसूलते हैं। बता दें कि बैंक होम लोन देने की एवज में उपभोक्ता से 11 तरह के चार्ज लेते हैं। आइए जानते हैं कि बैंक कौन-कौन से चार्ज वसूलते हैं।

1. एप्लीकेशन फी

बैंक उपभोक्ता से एप्लीकेशन फी लोन के आवेदन का मूल्यांकन करने के लिए लेते है। बैंक आकलन करता है कि लोन की आवेदन में आगे की प्रक्रिया के लिए आवश्यक दस्तावेजों के साथ सभी जानकारी है या नहीं।

2. प्रोसेसिंग फी
बैंक लोन लेने वाले का केवाईसी सत्यापन, वित्तीय मूल्यांकन, रोजगार, निवास और कार्यालय का पता सत्यापन के लिए प्रोसेसिंग फी वसूलते हैं। कुछ बैंक प्रोसेसिंग फी के रूप में एक समान शुल्क लेते हैं जबकि कुछ लोन की रकम का 2 फीसदी वसलूते हैं।

3. तकनीकी मूल्यांकन शुल्क
जिस संपत्ति के लिए होम लोन लिया जाएगा उसके बाजार मूल्य का आकलन करने के लिए बैंक तकनीकी विशेषज्ञों को नियुक्त करते हैं। ये विशेषज्ञ कई मापदंडों पर संपत्ति का मूल्यांकन करते हैं। जहां कई बैंक इस शुल्क को अपने प्रोसेसिंग शुल्क में शामिल करते हैं। वहीं, कुछ बैंक इसे अलग से चार्ज करते हैं। इसे तकनीकी मूल्यांकन शुल्क कहा जाता है।

4. कानूनी शुल्क
लोन देने से पहले बैंक प्राॅपर्टी की जांच करते हैं कि उसपर कोई कानूनी विवाद तो नहीं है। ऐसा करने के लिए बैंक कानूनी विशेषज्ञों को नियुक्त करते हैं जो कानूनी पहलुओं की जांच करता है जैसे कि टाइटल डीड, संपत्ति के स्वामित्व आदि। इसके लिए बैंक लोन लेने वाले व्यक्ति से कानूनी शुल्क वसूलता है।

5. फ्रैंकिंग शुल्क
फ्रैंकिंग शुल्क होम लोन समझौते पर मशीन के माध्यम से मुहर लगाने की प्रक्रिया है। यह पुष्टि करता है कि आपने आवश्यक स्टाम्प शुल्क भुगतान किया है। गृह ऋण समझौते की फ्रैंकिंग आमतौर पर सरकार द्वारा अधिकृत बैंकों या एजेंसियों द्वारा की जाती है। यह शुल्क भारत के कुछ राज्यों जैसे महाराष्ट्र और कर्नाटक में ही लागू है।

6. वैधानिक शुल्क
ये वे शुल्क हैं जो ऋणदाता द्वारा होम लोन प्राप्त करने की प्रक्रिया में वैधानिक निकायों की ओर से एकत्र किए जाते हैं। यह ज्यादातर विभिन्न शुल्कों पर स्टांप ड्यूटी और जीएसटी के रूप में होता है जो ऋणदाता द्वारा एकत्र किया जाता है और सरकार को भुगतान किया जाता है।

7. पुनर्मूल्यांकन शुल्क
होम लोन आवेदन की मंजूरी सीमित अवधि के साथ आती है। यदि आपका ऋण स्वीकृत हो गया है लेकिन आप लंबी अवधि के लिए भुगतान नहीं करते हैं तो ऋणदाता आपके ऋण आवेदन के पुनर्मूल्यांकन के लिए जाएगा। बैंक इसके लिए पुनर्मूल्यांकन शुल्क वसूलता है।

8. बीमा प्रीमियम
कई बैंक लोन लेने वाले से प्राॅपर्टी को किसी भी भौतिक क्षति के लिए बीमा लेने के लिए कहते हैं। कुछ ऋणदाता उधारकर्ताओं को ऋण सुरक्षा जीवन बीमा पॉलिसी का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ताकि उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को बकाया ऋण के बारे में परेशान न होना पड़े। ऐसे में अगर आप होम लोन के साथ एक बीमा पॉलिसी लेते हैं तो आपको बीमा प्रीमियम का भुगतान करना होगा।

9. नोटरी शुल्क
अगर आप एनआरआई हैं और होम लोन ले रहे हैं तो आपको कुछ अतिरिक्त कागजी कार्रवाई करनी पड़ सकती है। आपके केवाईसी दस्तावेजों और पीओए ;पावर ऑफ अटॉर्नी को भारतीय दूतावास या विदेश में उपलब्ध स्थानीय नोटरी द्वारा नोटरीकृत करने की आवश्यकता है। इसके लिए  आपको लागू नोटरी शुल्क का भुगतान करना होता है।

10. Adjudication fee
गृह ऋण आवेदन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए, यदि आप एक एनआरआई के पीओए धारक हैं, तो आपको भारत में नोटरीकृत पीओए का न्यायनिर्णयन प्राप्त करने की आवश्यकता है जिसके लिए आपको संबंधित शुल्क का भुगतान करना होगा।

11. प्री-ईएमआई चार्ज
होम लोन देने के बाद अगर लोन लेने वाला को घर का कब्जा मिलने में देरी होती है तो ऋणदाता एक साधारण ब्याज लेता है जिसे प्री-ईएमआई कहा जाता है। यह चार्ज जब तक कि उधारकर्ता को घर का कब्जा नहीं मिल जाता है लिया जाता है। उसके बाद ईएमआई भुगतान शुरू हो जाता है। 

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