देश में डिजिटल या ऑनलाइन पेमेंट ने फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन का कायाकल्प कर दिया है। आज के समय में डिजिटल पेमेंट के कई तरीके हैं। अगर बात तुरंत भुगतान की करें तो इनमें तत्काल भुगतान सेवा यानी आईएमपीएस और एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस यानी यूपीआई का नाम सबसे पहले उभरकर सामने आता है। इंस्टैंट और सेफ फंड ट्रांसफर के ये दो पॉपुलर ऑप्शन उपलब्ध हैं। ये दोनों बैंकिंग सर्विस काम तो एक ही करती हैं लेकिन इनके फीचर्स में विभिन्नता हैं। आइए, हम फंड ट्रासफर के इन दोनों ही ऑप्शन को समझ लेते हैं।
IMPS क्या है
तत्काल भुगतान सेवा, यानी आईएमपीएस, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल)) द्वारा डेवलप किया गया एक त्वरित भुगतान प्रणाली है जो रीयल टाइम में इंटर बैंक फंड ट्रांसफर (अंतर-बैंक निधि हस्तांतरण) को सक्षम बनाती है। आईएमपीएस सर्विस हर समय उपलबध है। यानी यह वीकेंड (सप्ताहांत) और सार्वजनिक छुट्टियों सहित 24/7 उपलब्ध है, जिससे यूजर्स पूरे देश में तुरंत पैसे भेज और हासिल कर सकते हैं।
UPI क्या है
यूपीआई यानी यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस एक पेमेंट सिस्टम है जो यूजर्स को एक ही मोबाइल ऐप से कई बैंक अकाउंट को जोड़ने और वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (वीपीए) या मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करके तत्काल फंड ट्रांसफर करने में सक्षम बनाती है। यूपीआई को भी एनपीसीआईएल द्वारा डेवलप किया गया है। इस्तेमाल करने में बेहद आसानी के चलते आज यह सबसे पॉपुलर प्लेटफॉर्म बन चुका है। सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में भी यह अपनी पहुंच बना चुका है। कई देश इस प्लेटफॉर्म को अपनाने के लिए भारत सरकार से संपर्क में हैं।
IMPS और UPI फंड ट्रांसफर अंतर
ट्रांजैक्शन प्रोसेस
आईएमपीएस के जरिए फंड ट्रांसफर करने के लिए, यूजर्स को सामान्य तौर पर रिसीवर के बैंक अकाउंट नंबर और IFSC कोड की जरूरत होती है। यूपीआई की तुलना में यह प्रोसेस थोड़ा ज्यादा जटिल है, क्योंकि इसके लिए सटीक बैंक डिटेल की जरूरत पड़ती है। जबकि यूपीआई यूजर्स को VPA, मोबाइल नंबर या यहां तक कि QR कोड का इस्तेमाल करके फंड ट्रांसफर करने की परमिशन मिलती है, जिससे लेनदेन काफी आसान बन जाता है। सबसे खास बात यह है कि यूपीआई के जरिये फंड ट्रांसफर के लिए आपको अपना अकाउंट नंबर या IFSC कोड याद रखने की जरूरत नहीं होती है।
यूजर एक्सपीरियंस और इंटरफेस
आईएमपीएस का इस्तेमाल मुख्य रूप से बैंकिंग ऐप, मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग और एटीएम के जरिये किया जाता है। इंटरफेस बैंक पर निर्भर करता है, और प्रक्रिया में कई फेज शामिल हो सकते हैं।जबकि, यूपीआई में Google Pay, PhonePe और Paytm जैसे UPI ऐप एक आसान यूजर एक्सपीरियंस प्रदान करते हैं। इसके जरिये कॉन्टैक्टलेस पेमेंट, बिल का बंटवारा और पेमेंट रिक्वेस्ट जैसी सुविधाओं के साथ, यूपीआई ऐप सभी प्रकार के यूजर्स के लिए एक एडवांस और सुविधाजनक इंटरफेस उपलब्ध कराते हैं।
ट्रांजैक्शन की स्पीड
आईएमपीएस और यूपीआई दोनों ही तुरंत फंड ट्रांसफर की सुविधा देते हैं। हालांकि, कभी-कभी बैंक सर्वर या ज़्यादा ट्रैफ़िक से जुड़ी समस्याओं के चलते आईएमपीएस ट्रांजेक्शन में देरी हो सकती है, खास तौर पर पीक ऑवर्स के दौरान। यूपीआई में ऐसी स्थिति बहुत ही कम देखने को मिलती है।
ट्रांजैक्शन लिमिट
यह एक महत्वपूर्ण बात है। आईएमपीएस के लिए ट्रांजैक्शन लिमिट बैंक के आधार पर अलग-अलग होती है, जिसमें एक सामान्य डेली लिमिट 1 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक है। हालांकि, कॉर्पोरेट अकाउंट की लिमिट ज्यादा हो सकती है। जबकि यूपीआई के लिए भी एक सामान्य डेली लिमिट आम तौर पर ₹1 लाख प्रतिदिन है, हालांकि यह बैंक या ऐप के आधार पर थोड़ा अलग हो सकती है। कुछ बैंक यूजर्स को रिक्वेस्ट पर इस लिमिट को बढ़ाने की परमिशन देते हैं, लेकिन बड़े लेनदेन के लिए यह अभी भी आईएमपीएस से कम है।
फीस और शुल्क
जब आप आईएमपीएस के जरिये फंड ट्रांसफर कर रहे होते हैं तो इसमें मामूली शुल्क भी शामिल होते हैं जो बैंक के हिसाब से अलग-अलग होते हैं। शुल्क राशि और बैंक की नीतियों के आधार पर प्रति ट्रांजैक्शन 2.5 से लेकर 25 रुपये तक हो सकते हैं। जबकि यूपीआई के जरिये ट्रांजैक्शन ग्राहकों के लिए फ्री होते हैं।
सेफ्टी और प्राइवेसी
आईएमपीएस को लेन-देन के लिए बैंक खाते के विवरण, जैसे अकाउंट नंबर और IFSC कोड की जरूरत होती है। सुरक्षित होने के बावजूद, इन डिटेल को शेयर करना कुछ यूजर्स के लिए चिंता का विषय हो सकता है। यूपीआई ट्रांजैक्शन के लिए वीपीए या मोबाइल नंबर का इस्तेमाल होता है, जिससे संवेदनशील बैंक डिटेल शेयर करना जरूरी नहीं है। यूपीआई ऐप बेहतर सुरक्षा के लिए एडवांस एन्क्रिप्शन और टू फैक्टर ऑथेन्टिकेशन (2FA) का इस्तेमाल करते हैं।
पहुंच और उपयोग
आईएमपीएस बहुमुखी है और इसका इस्तेमाल एटीएम और बैंक शाखाओं सहित अलग-अलग चैनलों के जरिये किया जा सकता है। यह बैंक खातों के बीच फंड ट्रांसफर के लिए आदर्श माना जाता है जहां अकाउंट डिटेल में उपलब्ध है। जबकि यूपीआई का इस्तेमाल मुख्य रूप से मोबाइल ऐप के जरिये होता है। यह पीयर-टू-पीयर पेमेंट, मर्चेंट भुगतान और ऑनलाइन लेनदेन के लिए ज्यादा उपयुक्त है।