Monday, October 28, 2024
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Dhanteras 2024: गोल्ड जूलरी खरीदते समय इन बातों पर तुरंत करें गौर, नहीं खाएंगे धोखा सोना मिलेगा खरा

जब आप सोने की जूलरी खरीद रहे हों तो यह जरूर जान लें कि उस आभूषण के साथ मेकिंग चार्ज कितना लिया जा रहा है। मेकिंग चार्ज अनिवार्य रूप से जूलरी बनाने में लगने वाला श्रम शुल्क होता है।

Written By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: October 28, 2024 22:53 IST
हॉलमार्क सोने की शुद्धता का संकेत है और हॉलमार्क वाले आभूषण खरीदना उचित है।- India TV Paisa
Photo:FILE हॉलमार्क सोने की शुद्धता का संकेत है और हॉलमार्क वाले आभूषण खरीदना उचित है।

धनतेरस इस साल 29 अक्टूबर को है। जाहिर है आप इस खास मौके पर सोना या सोने की जूलरी खरीदने की तैयारी में भी होंगे। सोने के आभूषण खरीदना दो मकसद से काम आता है। यह न सिर्फ एक निवेश है बल्कि यह एक बेहतरीन फैशन एक्सेसरी भी है। औसतन भारतीय दुनिया में सबसे ज्यादा सोने के आभूषण खरीदते हैं, त्योहर के मौके पर आभूषण स्टोर में ग्राहकों की लगातार भीड़ देखी जाती है। ऐसे मौके पर सोना खरीदने में गलतियां होना आम बात है, लेकिन कुछ चीजों का ध्यान रखेंगे तो यह सुनिश्चित हो सकता है कि आप खरा सोना खरीद सकेंगे और आपको बाद में कोई परेशानी नहीं आएगी।

सोने की प्योरिटी जरूर चेक करें

सोने की शुद्धता कैरेट में दर्शाई जाती है। नोट कर लें कि 24 कैरेट सोना 99.9% शुद्ध होता है और 22 कैरेट सोना 92% शुद्ध होता है। बैंकबाजार के मुताबिक, 14 और 18 कैरेट में क्रमशः केवल 58.33% और 75% शुद्ध सोना होता है। 24 कैरेट सोना आभूषण बनाने के लिए उपयुक्त नहीं है, यही वजह है कि जौहरी 14, 18 या 22 कैरेट सोने का इस्तेमाल करते हैं। बिना इसकी शुद्धता की जांच किए सोने के आभूषण खरीदना बिल्कुल भी उचित नहीं है। अपनी मेहनत की कमाई को खर्च करने से पहले हमेशा शुद्धता की जांच करना बेहतर होता है। हॉलमार्क सोने की शुद्धता का संकेत है और हॉलमार्क वाले आभूषण खरीदना उचित है।

मेकिंग चार्ज को अच्छी तरह समझ लें

जब आप सोने की जूलरी खरीद रहे हों तो यह जरूर जान लें कि उस आभूषण के साथ मेकिंग चार्ज कितना लिया जा रहा है। मेकिंग चार्ज अनिवार्य रूप से जूलरी बनाने में लगने वाला श्रम शुल्क होता है। इसका एक फंडा जान लीजिए कि जूलरी का डिजाइन जितना शानदार होगा, मेकिंग चार्ज  भी उतना ज्यादा देना हो सकता है। हालांकि, तय मेकिंग चार्ज पर जोर देने से सोना खरीदना सस्ता हो सकता है और निश्चित रूप से यह समझदारी भरा तरीका होगा। मशीन से बने डिजाइन पर मेकिंग चार्ज मानव निर्मित डिजाइन के मुकाबले कम है, जिससे बड़े पैमाने पर उत्पादित आभूषण सस्ते हो जाते हैं।

वजन की जांच करें

भारत में ज्यादातर सोने जूलरी वजन के हिसाब से बेची जाती हैं, और भारी आभूषणों की कीमत ज्यादा होती है। हीरे और पन्ना जैसे कीमती पत्थरों को अक्सर सोने के आभूषणों में मिलाया जाता है, जिससे वे प्रक्रिया में भारी हो जाते हैं। जौहरी पूरे आभूषण का वजन करते हैं, जिसका मतलब है कि कोई व्यक्ति उस सोने के लिए भुगतान कर सकता है जो वास्तव में वहां नहीं है और जड़े हुए आभूषण खरीदते समय इस बात को ध्यान में रखना जरूरी है।

बिक्री और कीमत

कुछ खास मौकों पर सोने की खरीदारी चरम पर होती है, जिससे सोने की कीमतें बढ़ जाती हैं। ऑफ सीजन के दौरान सोने के आभूषण खरीदना समझदारी होगी, जब कीमतें कम होती हैं और छूट बहुत होती है।

बायबैक

ज्यादातर ज्वैलर्स बाय बैक का ऑप्शन देते हैं, जिसमें कोई व्यक्ति अपने पुराने आभूषण सेट को नए के साथ बदल सकता है। जबकि डिजाइन और ट्रेंड बदल सकते हैं, सोने का मूल्य वही रहता है और खरीदारी के दौरान बाय बैक पर चर्चा करने से भविष्य में किसी को फायदा हो सकता है, अगर वे कभी अपने आभूषणों से ऊब जाते हैं।

आप जूलरी कहां से खरीद रहे हैं

भारत में लाखों जूलरी स्टोर हैं, छोटे और बड़े, जो अपनी आबादी की सेवा करते हैं। छोटे स्टोर से सोने के आभूषण खरीदना जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि वे अशुद्ध सोने को शुद्ध सोने के रूप में बेच सकते हैं या चोरी की गई सोने की डिजाइन बेच सकते हैं। सोना खरीदने के लिए किसी प्रतिष्ठित ज्वैलर के पास जाना फायदेमंद होता है क्योंकि ऐसी खरीदारी के बारे में गारंटी होती है। यहां आप एक उचित चैनल से जब सोना खरीदेंगे तो इसमें पारदर्शिता होगी।

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