जब हम किसी कंपनी में जॉब (Job) के लिए इंटरव्यू (Interview) देने जाते हैं तो HR हमसे पिछली कंपनी की CTC पूछती है। अगर सेलेक्शन हो जाता है तो नई जॉब Current CTC के मुताबिक बढ़ाकर ऑफर की जाती है। किसी भी व्यक्ति का जितना CTC होता है उससे कम उसके अकाउंट में सैलरी क्रेडिट होता है। CTC और इन हैंड सैलरी में क्या अंतर होता है, आइए जानते हैं।
क्या होती है CTC
आज कल सैलरी फाइनल करते वक्त एचआर आपको फाइनल CTC बताती है। CTC का मतलब कॉस्ट टू कंपनी होता है। यह एक साल में नियोक्ता की ओर से अपने कर्मचारी पर खर्च करने वाली कुल राशि होती है। इसमें टेक होम सैलरी (नेट सैलरी), सारे डिडक्शन( पीएफ पेंशन जोड़कर) और साथ ही वे सारे लाभ जो कंपनी अपने कर्मचारी को देती है। सामान्य तौर पर यह कर्मचारी का सैलरी पैकेज होता है, जो कि ट्रैडिशनल सैलरी से कहीं ज्यादा होता है।
सैलरी में जुड़ते हैं सभी अलाउंस
सैलरी वो पेमेंट होता है जो कर्मचारी अपनी काम और सर्विसेज के बदले प्राप्त करता है। इसे आसान भाषा में कहा जाए तो यह आपकी मजदूरी होती है। यह एक निश्चित समय पर दी जाती है। आमतौर पर लगभग कंपनियों में महीने में सैलरी कर्मचारी के अकाउंट में क्रेडिट होता है। CTC में ग्रॉस सैलेरी जो कि पे स्लिप पर होती है और वे सारे लाभ जो कंपनी देती है जैसे कि रिटायर फंड, मेडिकल फैसेलिटिज, फोन फैसेलिटिज, हाउस फैसेलिटिज, ट्रैवल अलाउंस, खाने का अलाउंस आदि।
नेट सैलरी या इन हैंड सैलरी
नेट सैलरी यानि कि इन हैंड सैलरी वो सैलरी होती है जो कर्मचारी असल में घर लेकर जाता है सभी टैक्स और डिडक्शन के बाद। ग्रॉस सैलरी में से इनकम टैक्स डिडक्शन, पबिल्क प्रोविडेंट फंड और प्रोफैशनल टैक्स कटने के बाद नेट सैलरी बनती है।
नेट सैलरी = ग्रॉस सैलरी- डिडक्शन
यानि कि,
CTC = ग्रॉस सैलरी+अन्य लाभ
या फिर,
CTC = नेट सैलरी+ डिडक्शन+ अन्य लाभ
आमतौर पर टेक होम सैलरी (नेट सैलरी) कर्मचारी को दी जाने वाले CTC से काफी कम होती है। मान लीजिए आपकी CTC 3 लाख रुपए (25000 रुपए महीना) का है, लेकिन अकाउंट चेक किया तो खाते में सिर्फ 21,500 रुपए ही क्रेडिट हुए हैं। ये जो बाकि के 3500 रुपये बचे हैं। वह आपके पीएफ, हेल्थ इंश्योरेंस और अन्य चीजों में काटे गए हैं।