नेशनल पेंशन प्रणाली यानी एनपीएस को सरकार और भी आकर्षक बनाने की कवायज इस बार के बजट में कर सकती है। माना जा रहा है कि सरकार इसको लेकर कई घोषणाएं भी कर सकती है। इसमें सरकार 75 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए योगदान तथा निकासी पर कर रियायतें बढ़ाने की बात कर सकती है। पेंशन फंड नियामक पीएफआरडीए ने नियोक्ताओं द्वारा योगदान के लिए टैक्सेशन के मोर्चे पर कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालय (ईपीएफओ) में समानता का अनुरोध किया है। इस संबंध में कुछ घोषणाएं अंतरिम बजट में किए जाने की उम्मीद है।
टैक्स फ्री किया जाना चाहिए
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेंगी। यह उनका छठा बजट होगा। वर्तमान में कर्मचारियों के लिए फंड निर्माण में नियोक्ताओं के योगदान में असमानता है, जिसमें कॉर्पोरेट द्वारा मूल वेतन और महंगाई भत्ते के 10 प्रतिशत तक के योगदान को एनपीएस योगदान के लिए कर से छूट दी गई है, जबकि ईपीएफओ के मामले में यह 12 प्रतिशत है। डेलॉयट की बजट उम्मीदों के मुताबिक, एनपीएस के माध्यम से लंबे समय की बचत को बढ़ावा देने और 75 वर्ष से ज्यादा उम्र के सीनियर सिटीजन के लिए टैक्स के बोझ को कम करने के लिए एनपीएस के सालाना हिस्से को 75 वर्ष की आयु से धारकों के लिए टैक्स फ्री किया जाना चाहिए।
एनपीएस को ब्याज और पेंशन के साथ शामिल किया जा सकता है
वित्तीय परामर्श और ऑडिट सेवा देने वाली कंपनी डेलॉयट के मुताबिक, एनपीएस को ब्याज और पेंशन के साथ शामिल किया जा सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 75 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को एनपीएस से हासिल आय पर रिटर्न दाखिल न करना पड़े। वर्तमान में 60 प्रतिशत की एकमुश्त निकासी टैक्स फ्री है। नई टैक्स व्यवस्था के तहत एनपीएस योगदान के लिए कर छूट प्रदान करने की भी मांग उठ रही है। अभी धारा 80सीसीडी (1बी) के तहत एनपीएस में किसी व्यक्ति के 50,000 रुपये तक के योगदान पर पुरानी कर व्यवस्था के तहत कटौती होती है, लेकिन नई कर व्यवस्था के तहत नहीं।
यह पुरानी टैक्स व्यवस्था में धारा 80सी के तहत मिलने वाली 1.5 लाख रुपये की कर राहत से अधिक है। सरकारी कर्मचारियों के संबंध में सरकार ने पिछले साल पेंशन प्रणाली की समीक्षा करने और इसकी बेहतरी के लिए उपाय सुझाने के लिए वित्त सचिव टी.वी.सोमनाथन के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया था। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट अभी तक नहीं सौंपी है।