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Mind It: पर्सनल लोन लेना न पड़ जाए महंगा, पहले समझ लीजिए इससे जुड़े खर्चों का गणित

पर्सनल लोन पर कई तरह के शुल्क लगते हैं। वहीं, अलग-अलग बैंकों और एनबीएफसी में पर्सनल लोन पर अलग-अलग चार्ज लग सकते हैं। तो आइए जानते हैं कि पर्सनल लोन लेने पर कितना खर्च आता है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: April 05, 2022 16:51 IST
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Highlights

  • क्या आपको पता है कि पर्सनल लोन लेने के लिए आपको कितने पैसे खर्च करने पड़ेंगे
  • अलग-अलग बैंकों और एनबीएफसी में पर्सनल लोन पर अलग-अलग चार्ज लग सकते हैं
  • फिलहाल नियम के मुताबिक, लोन से जुड़ी सर्विसेज पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है

नई दिल्‍ली। पिछले कुछ सालों में पर्सनल लोन काफी लोकप्रिय हो गए हैं। बैंक और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां भी पर्सनल लोन देने में हिचकिचाती नहीं हैं और अपने आप आगे आकर ऑफर देती हैं। अलग-अलग जरूरतों के लिए अब कई तरह के पर्सनल लोन आने लगे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि पर्सनल लोन लेने के लिए आपको कितने पैसे खर्च करने पड़ेंगे।

पर्सनल लोन पर कई तरह के शुल्‍क लगते हैं। वहीं, अलग-अलग बैंकों और एनबीएफसी में पर्सनल लोन पर अलग-अलग चार्ज लग सकते हैं। तो आइए जानते हैं कि पर्सनल लोन लेने पर कितना खर्च आता है।

ब्‍याज दर

पर्सनल लोन पर इंटरेस्ट रेट 10.99 प्रतिशत से लेकर 24 प्रतिशत तक हो सकता है। नॉन-सैलरीड पर्सन के लिए ब्‍याज की उच्‍चतम सीमा थोड़ी ज्यादा हो सकती है। इसके अलावा लोन प्रोवाइडर्स कस्टमर के क्रेडिट स्कोर और संस्थान से उसके संबंध और उसकी आर्थिक स्थिरता को देखकर भी ब्‍याज की दर को तय करते हैं।

जीएसटी

फिलहाल नियम के मुताबिक, लोन से जुड़ी सर्विसेज पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है। इन सर्विसेज के तहत प्रोसेसिंग फीस, प्रीपेमेंट और पार्ट-पेमेंट चार्जेज, रीपेमेंट मोड स्वैप चार्जेज, कैंसिलेशन चार्जेज, मिस्ड रिपेमेंट चार्जेज, डुप्लीकेट स्टेटमेंट इशुएंस चार्जेज वगैरह आते हैं। हालांकि, लोन पर लगने वाले इंटरेस्ट रेट पर जीएसटी नहीं लगता।

प्रोसेसिंग फीस

लोन की प्रोसेसिंग फीस लोन प्रोवाइडर पर निर्भर करती है। प्रोसेसिंग फीस लोन अमाउंट प्लस 18 प्रतिशत जीएसटी के 0.5 से लेकर 3 प्रतिशत तक हो सकता है। बता दें कि प्रोसेसिंग फीस नॉन-रिफंडेबल फीस होती है, जो किसी केस में आपका लोन कैंसल होने के बाद वापस नहीं मिलती है।

प्रीपेमेंट या फोरक्लोजर चार्ज

अगर आप अपना लोन टेन्योर से पहले चुकाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको फोरक्लोजर चार्ज देना पड़ता है। बैंक नहीं चाहते कि आपका लोन टेन्योर कम हो जाए क्योंकि इससे उनको इंटरेस्ट रेट का नुकसान होता है। इसलिए कुछ बैंक लोन देते वक्त ही लोन टेन्योर पर 12 महीने का लॉक-इन पीरियड तय कर देते हैं। वहीं, लॉक-इन पीरियड खत्म होने के बाद प्रीपेमेंट चार्ज आउटस्टैंडिंग बैलेंस प्लस 18 प्रतिशत जीएसटी का 5 प्रतिशत तक लग सकता है।

रिपेमेंट मोड स्वैपिंग चार्ज

अगर आप अपने लोन का रिपेमेंट मोड बदलवाना चाहते हैं तो बैंक उसपर भी चार्ज लेते हैं। लोन टेन्योर के दौरान लोन प्रोवाइडर्स हर रिपेमेंट मोड स्वैप पर 500 रुपए प्लस 18 प्रतिशत जीएसटी का चार्ज ले सकते हैं।

लोन कैंसिलेशन चार्ज

अगर आप लोन के अप्रूवल या डिस्बर्सल के बाद इसे कैंसल कराना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कैंसिलेशन चार्ज देना पड़ेगा। कुछ बैंक 3,000 रुपए प्लस 18 प्रतिशत जीएसटी का फ्लैट रेट रखते हैं। वहीं कुछ बैंक लोन डिस्बर्सल और कैंसिलेशन के दौरान लगे इंटरेस्ट पेमेंट को ही चार्ज करते हैं और प्रोसेसिंग फीस भी वापस नहीं करते।

डुप्लीकेट डॉक्यूमेंटेशन चार्ज

बैंक लोन से जुड़े डॉक्यूमेंट्स जैसे- स्टेटमेंट्स, amorization index, NOCs और Credit Information Companies को रीइशू करने के लिए 50 रुपए से 500 रुपए तक प्लस 18 प्रतिशत जीएसटी लेते हैं।

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