नया घर खरीदने के लिए होम लोन चुनते समय दो ऑप्शन दिए जाते हैं- फिक्स्ड रेट और फ्लोटिंग रेट। होम लोन लेते समय ब्याज चुकाने के लिए दिए जाने वाले ये दोनों ऑप्शन क्या हैं, इनके क्या फायदे और नुकसान हैं? यहां हम जानेंगे कि होम लोन लेते समय हमें फिक्स्ड और फ्लोटिंग रेट से जुड़ी किन जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।
Fixed Rate Home Loan
फिक्स्ड रेट होम लोन के तहत आपके लोन की पूरी अवधि के दौरान ब्याज दर एक समान रहती है और इसमें कोई बदलाव नहीं होता है। इसके साथ ही इसमें आपकी EMI भी एक समान रहती है और इसमें भी कोई बदलाव नहीं होता है। उदाहरण के लिए आपने 8.20 प्रतिशत की ब्याज दर पर 30 साल के लिए होम लोन लिया है और आपकी EMI 22,000 रुपये बन रही है। तो फिक्स्ड रेट होम लोन में पूरे 30 साल तक आपको 8.20 फीसदी की ब्याज दर से ही लोन चुकाना होगा और आपको पूरे 30 साल तक हर महीने 22,000 रुपये की ही EMI देनी होगी। यहां एक बात का खास ध्यान रखना होगा कि कुछ बैंक एक तय अवधि के बाद फिक्स्ड रेट को फ्लोटिंग रेट में कन्वर्ट कर देते हैं। इसलिए होम लोन लेते समय इस ऑप्शन के बारे में कन्फर्म कर लें।
Floating Rate Home Loan
फ्लोटिंग रेट होम लोन में ब्याज दरों के साथ-साथ ईएमआई में भी उतार-चढ़ाव होता रहता है। दरअसल इस ऑप्शन में ब्याज दरें, बैंक की बेंचमार्क दरों के साथ अलाइन रहती हैं। ऐसे में जब बाजार में उतार-चढ़ाव आता है या रिजर्व बैंक रेपो रेट में बदलाव करता है तो इससे आपके होम लोन की ब्याज दरों और ईएमआई में भी उतार-चढ़ाव होता रहता है। ब्याज दर बढ़ने पर अगर आप अपनी ईएमआई नहीं बढ़वाना चाहते हैं तो आपके लोन की अवधि को बढ़ा दिया जाता है।
फायदे और नुकसान
फिक्स्ड रेट लोन का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसमें आपकी EMI तय रहती है। लिहाजा, होम लोन की वजह से आपकी वित्तीय योजना, नकदी प्रवाह और घर के बजट पर लंबे समय तक कोई असर नहीं पड़ता है। फ्लोटिंग रेट के मामले में, EMI या लोन की अवधि बढ़ सकती है, जिससे आपकी सेविंग्स और बजट बिगड़ सकता है। इसके अलावा, फिक्स्ड रेट वाले लोन में ब्याज दर स्थिर रहती हैं, इसलिए अगर बेंचमार्क रेट में गिरावट भी आती है तो आपको इसका कोई फायदा नहीं मिलता है।