Top up Home Loan कब और क्यों लेना चाहिए? जानिए इसके कुछ खास फायदे
मेरा पैसा | 03 Oct 2024, 7:20 AMटॉप-अप होम लोन की अवधि अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग होती है। उदाहरण के लिए भारतीय स्टेट बैंक 30 साल तक की अवधि के लिए टॉप-अप होम लोन देता है।
टॉप-अप होम लोन की अवधि अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग होती है। उदाहरण के लिए भारतीय स्टेट बैंक 30 साल तक की अवधि के लिए टॉप-अप होम लोन देता है।
म्यूचुअल फंड्स एसआईपी में एक फिक्स डेट पर एक फिक्स अमाउंट जमा किया जाता है। यहां हम जानेंगे कि म्यूचुअल फंड्स एसआईपी से मोटा पैसा बनाने के लिए किन जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।
पीपीएफ में आपको हर साल पैसा जमा कराना होता है। पीपीएफ खाते में अगर आपने एक साल में कम से कम 500 रुपये भी जमा नहीं किए तो आपका खाता बंद कर दिया जाता है। देशभर के तमाम बैंक और डाकघरों में पीपीएफ खाता खोला जाता है।
पैन एक 10 अक्षर का अल्फ़ा-न्यूमेरिक नंबर है। हर अक्षर सूचना का प्रतिनिधित्व करता है। पैन कार्ड विभिन्न वित्तीय लेनदेन के लिए जरूरी व्यक्ति के हस्ताक्षर के प्रमाण के रूप में भी कार्य करता है।
Cash Deposit Machine : ग्राहक कैश डिपॉजिट मशीन या ऑटोमेडेट डिपॉजिट कम विड्रॉल मशीन के जरिए अपने बैंक खाते में पैसा जमा कर सकते हैं।
एक तय अवधि में लिए जाने वाले लोन की संख्या कम से कम रखने की कोशिश करें। सिबिल स्कोर को घटने से बचाने के लिए एक लोन चुकाएं और फिर दूसरा लें।
स्कीम के तहत एक अकेला वयस्क, तीन लोग मिलकर भी ज्वाइंट अकाउंट भी खोलकर पैसे लगा सकते हैं। साथ ही अगर कोई 10 साल से ज्यादा उम्र का नाबालिग है तो वह भी इसमें अपने नाम से निवेश कर सकता है।
यहां हम आपको उन 5 म्यूचुअल फंड स्कीम के बारे में बताएंगे, जिसने निवेशकों की एसआईपी के जरिए किए गए निवेश को पिछले 5 साल में ढाई गुना से भी ज्यादा बढ़ा दिया है। खास बात ये है कि इन स्कीम्स में सभी मिड कैप और स्मॉल कैप स्कीम्स हैं और इनमें कोई भी लार्ज कैप स्कीम नहीं है।
म्यूचुअल फंड एसआईपी की मदद से 10,000 रुपये के मासिक निवेश से 6 करोड़ रुपये का फंड तैयार किया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए आपको स्टेप-अप फॉर्मूला का इस्तेमाल करना होगा।
पीपीएफ में आप सालाना 1.5 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं। पीपीएफ में आंशिक निकासी 7 साल बाद कर सकते हैं, जबकि वीपीएफ में आंशिक निकाली 5वें साल कर सकते हैं।
अनियमित सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) अकाउंट, सुकन्या समृद्धि योजना और डाकघरों के जरिये चल रही दूसरी छोटी बचत योजनाओं के नियमितीकरण के लिए नए नियम 1 अक्टूबर, 2024 से लागू हो रहे हैं।
सरकार ने फैसला लिया है कि 1 अक्टूबर से लेकर 31 दिसंबर 2024 तक चलने वाली इस तीसरी तिमाही के लिए सभी लघु बचत योजनाओं पर दी जाने वाली ब्याज दरें समान रहेंगी।
सोना आमतौर पर समय के साथ अपना मूल्य बनाए रखता है और इसलिए मुद्रास्फीति के खिलाफ एक विश्वसनीय बचाव प्रदान करता है। हीरे के मामले में, उनका मूल्य विशिष्ट विशेषताओं पर बहुत अधिक निर्भर करता है।
भारत सरकार की इस बेहद खास स्कीम में इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट का लाभ मिलता है। बेटियों के भविष्य को संवारने में यह एक शानदार योजना है। इसमें निवेश करना भी काफी आसान है।
बॉन्ड एक फिक्स रिटर्न वाला इनकम सोर्स है। सरकारों के अलावा प्राइवेट कंपनियां भी बॉन्ड जारी करते हैं। जब सरकार या किसी प्राइवेट कंपनी को पैसों की जरूरत होती है तो वे बॉन्ड जारी करते हैं।
आरडी निश्चित ब्याज दरें प्रदान करता है जो आम तौर पर 5% से 9% के बीच होती हैं। वरिष्ठ नागरिकों के लिए थोड़ी अधिक दरें होती हैं। ये दरें पूरी अवधि के लिए लॉक होती हैं। जबकि एसआईपी में रिटर्न की गारंटी नहीं होती है।
ELSS का पूरा नाम Equity-Linked Savings Scheme है। ईएलएसएस के नाम से ही मालूम चल जाता है कि ये एक इक्विटी लिंक्ड बचत स्कीम है। ईएलएसएस म्यूचुअल फंड्स में किए जाने वाले निवेश पर जो रिटर्न मिलता है, उस पर इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट का लाभ उठाया जा सकता है।
म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि इसमें मिलने वाला रिटर्न लगातार ऊपर-नीचे होता रहता है। ऐसे में म्यूचुअल फंड में इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि आपको अगले साल भी पिछले साल जैसा ही रिटर्न मिलेगा।
कम इनकम में अगर अपने आप से बचत का वादा कर लेंगे तो सेविंग करना कोई मुश्किल काम नहीं है। हां, इसके लिए अनुशासन में रहकर आपको अपने लक्ष्य पर काम करना होगा, जो आप कर सकते हैं।
फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी से मिलने वाले ब्याज पर आपको टीडीएस चुकाना पड़ता है। ऐसे में एफडी से होने वाली कमाई, आपकी कुल कमाई के साथ जुड़ जाएगी। लिहाजा, आपको ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ेगा।
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