नई दिल्ली। मार्च यानि कि फाइनेंशियल ईयर खत्म होने में अब एक हफ्ता भी शेष नहीं बचा है। अगर आप अभी भी इनकम Tax रिबेट का फायदा उठाने के लिए अपनी कंपनी में इंवेस्टमेंट प्रूफ जमा नहीं कर पाए हैं, तब भी घबराने की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि प्रूफ जमा नहीं करा पाने के चलते कंपनी मार्च महीने की सैलरी में से टैक्स को एडजेस्ट जरूर करेगी। लेकिन आप इस Tax कटौती को वापस पा सकते हैं। आप रिटर्न फाइल भरते समय आप इस निवेश के एवज में रिफंड का दावा कर सकते हैं।
इंवेस्टमेंट प्रूफ जमा करने का आखिरी मौका
Tax ईयर खत्म होने से पहले आम तौर पर कंपनियां जनवरी या फरवरी महीने में ही इंवेस्टमेंट प्रूफ मांग लेती हैं। लेकिन फिर भी बहुत से लोगों के इंवेस्टमेंट मार्च में ही पूरे होते हैं। इसे देखते हुए ज्यादातर कंपनियां इसके लिए 25 मार्च तक का समय देती हैं। आप भी अपनी कंपनी के एकाउंट डिपार्टमेंट में इसकी पड़ताल कर सकते हैं। यदि आपने अभी तक निवेश के साक्ष्य जमा नहीं कराए हैं तो इस काम को जल्दी पूरा कर लें नहीं तो आयकर की बकाया राशि आपके मार्च के वेतन से एकमुश्त काट ली जाएगी। इसे रिफंड लेने के लिए आपको भारी मशक्कत करनी पड़ सकती है। साथ ही जरूरी है कि इस साल की गलती को दोहराने की बजाए अगले साल आप बेहतर टैक्स प्लानिंग के साथ आएं। जिससे आपको मार्च एंडिंग की दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
इंवेस्टमेंट डिक्लेरेशन में कर सकते हैं संशोधन
बहुत से लोग Tax प्लानिंग में इस लिए भी चूक जाते हैं कि उन्होंने अपने एचआर के पास जिस मद में इंवेस्टमेंट का डिक्लेरेशन सौंपा था, उसे वे पूरा नहीं कर पाए। लेकिन आप चाहें तो इसमें संशोधन भी कर सकते हैं। उदाहरण के रूप में यदि आपने वित्त वर्ष की शुरुआत में इंश्योरेंस में 40 हजार रुपए निवेश करने की घोषणा की थी लेकिन आप सिर्फ 15,000 रुपए ही निवेश कर पाए हैं। इस स्थिति में यह जरूरी नहीं है कि शेष रकम आप इंश्योरेंस में ही निवेश करें। इसे आप लघु अवधि के निवेश पीपीएफ, ईएलएसएस और एफडी में भी निवेश कर सकते हैं। कहने का आशय यह है कि 80सी के तहत आप 1.5 लाख रपए के निवेश पर कर छूट का लाभ ले सकते हैं। इसके लिए आप अपनी सुविधा के अनुसार विकल्प चुन सकते हैं।
प्रूफ नहीं हुए जमा तो फाइल कर सकते हैं रिटर्न
यदि टैक्स सेविंग के लिए आपने निवेश तो कर दिया लेकिन निर्धारित समय पर उसके साक्ष्य जमा नहीं करा पाए हैं तो इसको लेकर ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है। हालांकि आपका लेखा विभाग इस निवेश पर कर कटौती का लाभ नहीं देगा लेकिन इस रकम को आयकर रिटर्न दाखिल करके रिफंड कर सकते हैं। ध्यान रखें, धारा 80सी के तहत सिर्फ निर्धारित 1.5 लाख रुपए तक का ही लाभ मिलेगा। यदि आपके बच्चों की ट्यूशन, पीपीएफ व जीवन बीमा में निवेश की राशि 2.5 लाख रुपए बनती है तो कर छूट का लाभ सिर्फ 1.5 लाख रपए पर ही मिलेगा।
भुगतान की ये रसीदें दे सकती हैं राहत
आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत आप 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर कर छूट प्राप्त कर सकते हैं। इस मद में जीवन बीमा पालिसी, पीपीएफ, एनएससी, पांच साल की एफडी, होमलोन पर मूलधन की अदायगी और दो बच्चों तक की टयूशन फीस आदि शामिल होते हैं। इस वित्त वर्ष में आपने जिन भी विकल्पों में निवेश किया है उनकी सभी रसीदें जुटा लें। इस बात को अच्छी तरह से समझ लें कि 80सी के तहत सिर्फ 1.5 लाख रपए तक के निवेश पर ही कर छूट मिलेगी। इससे ऊपर यदि आप कोई साक्ष्य जमा कराते हैं तो उन पर कोई विचार नहीं किया जाएगा। इसलिए 1.5 लाख रपए तक की सीमा का लाभ लेने के लिए सबसे पहले बच्चों की ट्यूशन फीस, होम लोन भुगतान में मूलधन की राशि, पीपीएफ में निवेश की गणना करें।
अन्य छूट का लाभ
धारा 80सी के अलावा भी आप कर छूट का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इसके तहत होमलोन की ईएमआई में भुगतान किए जाने वाले ब्याज को शामिल कर सकते हैं। धारा 24बी के तहत दो लाख रपए तक के ब्याज भुगतान पर कर छूट का प्रावधान है। शिक्षा ऋण के ब्याज भुगतान पर भी कर कटौती का लाभ मिलता है। इसके अलावा हेल्थ इंश्योरेंस के 25000 रपए तक के प्रीमियम पर धारा 80डी के तहत कर छूट ले सकते हैं। यदि आपकी पालिसी का प्रीमियम 20,000 रपए तक है तो इसमें 5000 रपए तक के स्वास्य जांच के लिए किए गए भुगतान की रसीद लगा सकते हैं। यदि आप अपने माता-पिता के लिए स्वास्य बीमा पालिसी लेते हैं तो इस मद में कुल 25000 रपए तक की कर कटौती का लाभ ले सकते हैं। यदि माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं उनके लिए 30,000 रपए के भुगतान कर कर छूट का लाभ लिया जा सकता है। इस तरह 80डी के तहत 55000 रपए तक की राशि पर छूट प्राप्त की जा सकती है।
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