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Retire Rich: 60 ही क्यों 45 की उम्र में भी नौकरी को कह सकते हैं गुडबाय, अर्ली रिटायरमेंट का ये है एक्शन प्लान

रिटायरमेंट का नाम सुनते ही उम्र का साठवां बरस हमारी जेहन में आ जाता है। लेकिन आप प्लान करें तो 45 की उम्र में भी नौकरी को गुडबाय कह कर रिटायर हो सकते हैं।

Shubham Shankdhar
Updated : March 12, 2016 8:41 IST
Retire Rich: 60 ही क्यों 45 की उम्र में भी नौकरी को कह सकते हैं गुडबाय, अर्ली रिटायरमेंट का ये है एक्शन प्लान
Retire Rich: 60 ही क्यों 45 की उम्र में भी नौकरी को कह सकते हैं गुडबाय, अर्ली रिटायरमेंट का ये है एक्शन प्लान

नई दिल्‍ली। रिटायरमेंट का नाम सुनते ही उम्र का साठवां बरस हमारी जेहन में आ जाता है। लेकिन बोर्ड रूम मीटिंग्‍स, सेल्‍स टार्गेट और अनलिमिटेड जॉब टाइमिंग से जल्‍द ऊबने वाली आज की फास्‍ट जेनेरेशन रिटायरमेंट के लिए इतना लंबा इंतजार नहीं करना चाहती। वो तो अपने शौक पूरा करने और अपनी लाइफ जीने के लिए 45 की उम्र में ही जॉब को गुडबाय कहने के बारे में सोचने लगती है। 45 की उम्र में रिटायरमेंट सुनने में जितना अच्‍छा लगता है, ऐसा कर पाना बेहद कठिन है। लेकिन असंभव बिल्‍कुल नहीं है। अगर हम कम उम्र से नियमित और सिस्‍टमैटिक इंवेस्‍टमेंट प्‍लानिंग करें, तो नौकरी की भगदौड़ से अलग अपनी जिंदगी के लिए कुछ बेहतरीन साल जरूर बचा सकते हैं। यही ध्‍यान में रखते हुए इंडिया टीवी पैसा की टीम आपको बता रही है ऐसे एक्‍शन प्‍लान के बारे में जिस पर चलकर आप उस उम्र में भी रिटायर हो सकते हैं, जहां पहुंचकर लोग रिटायरमेंट की प्‍लानिंग ही शुरू कर पाते हैं।

जल्‍दी करें रिटायरमेंट की तैयारी

आम तौर भारत में औसत आयु 65 साल मानी जाती है। लेकिन यदि आप मध्‍यम या उच्‍च मध्‍यम श्रेणी में आते हैं और मेडिकल एक्‍सपेंस उठाने में सक्षम हैं तो आप और आपके पार्टनर की औसत आयु 75 से 85 वर्ष तक हो सकती है। ऐसे में यदि आप 60 की उम्र में रिटायर होते हैं तो आपको करीब एक चौथाई जीवन बिना सैलरी के गुजारनी होती है। लेकिन अगर आप सिर्फ 45 या 50 की उम्र में रिटायर होने की सोच रहे हैं तो आपको अगले 50 फीसदी जीवन के लिए रिटायरमेंट प्‍लानिंग करनी होगी। सामान्‍य तौर पर रिटायरमेंट प्‍लानिंग के लिए 25 से 30 साल का इंवेस्‍टमेंट पीरिएड जरूरी माना जाता है, ऐसे में अगर आप अर्ली रिटायरमेंट के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको 20 से 22 साल की उम्र में ही कमाना और बचाना शुरू करना होगा। यहां जरूरी है कि आप अपनी इनकम का करीब 30 फीसदी तक जरूर सेव करें। लेकिन अगर आप रिटायरमेंट की प्लानिंग कुछ और देर में शुरू करते हैं तो आपको सेविंग का दायरा और बढाना होगा।

मौजूदा इनकम से 30 गुना बड़ा हो कॉर्पस

दूसरे लोगों से करीब 10 से 15 साल पहले रिटायर होने का मतलब है कि आपके पास उन अतिरिक्‍त 15 वर्षों की भरपाई के लिए कॉर्पस इकट्ठा हो। ऐसे में जरूरी है कि जिस दिन आप रिटायर हो रहे हों, आपके पास अपनी लास्‍ट सैलरी से 30 गुना बड़ा कॉर्पस तैयार हो जाना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि आप 20 से 25 वर्ष की उम्र से ही रिटायरमेंट की प्‍लानिंग शुरू करें। अगर आप अपनी सैलरी का 35 से 40 फीसदी हिस्‍सा सेव कर लेते हैं तो अगले 20 साल में आप इस लक्ष्‍य के करीब जरूर पहुंच सकते हैं।

सिर पर न हो कर्ज का बोझ

आम तौर पर माना जाता है कि आप जिस भी उम्र में रिटायर हों, आप पर कर्ज का कोई बोझ न हो। अगर आपकी प्‍लानिंग 45 की उम्र में रिटायर होने की है तो आपके लिए कर्ज के बोझ से जल्‍द से जल्‍द मुक्ति पहली आवश्‍यकता है। जल्दी रिटायरमेंट का मंत्र है ज़्यादा बचत और कम खर्च। अभी आप घर, कार और छुट्टियों पर जितना कम खर्च करेंगे, आपके पास कर्ज़ चुकाने और बचत के लिए उतने अधिक पैसे होंगे। आप क्रेडिट कार्ड के मोहजाल से भी दूर रहने की कोशिश करें, यह आपको कर्ज और खर्च दोनों से बचाएगा।

सिर्फ बचत नहीं निवेश भी है जरूरी

जल्द रिटायरमेंट की प्लानिंग करने वाले व्यक्ति को जल्द निवेश भी करना चाहिए। रिटायरमेंट जैसे लक्ष्यों को हासिल करने के लिए इक्विटी जैसे निवेश के विकल्पों को ज्यादा महत्व देना चाहिए। अगर आपका अर्ली रिटायरमेंट का लक्ष्‍य है तो आपको इक्विटी विकल्‍पों पर फोकस करना चाहिए। आपके निवेश का 50 फीसदी से अधिक हिस्सा इक्विटी में निवेशित होना चाहिए। निवेश का कुछ हिस्सा डाइवर्सिफाइड फंड के साथ भी रख सकते हैं। लेकिन ज्यादा फोकस इक्विटी पर होना जरूरी है। वहीं आप करीब 10 फीसदी सेविंग को गोल्‍ड में भी इंवेस्‍ट कर सकते हैं। इसके अलावा पीएफ भविष्य के लिए निवेश का एक अच्छा माध्यम है, ऐसे में इस निवेश को हमेशा जारी रखना चाहिए। यदि आप नौकरी चेंज भी करते हैं तो अपने पीएफ के पैसों को निकालें नहीं। बल्कि नई नौकरी को इसी पीएफ के साथ शुरू कर सकते हैं।

खर्च पर करें कंट्रोल

45 की उम्र में रिटायर होना एक बहुत ही महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। ऐसे में आप अपने खर्च को लेकर कितने अनुशासित हैं, यह समझना भी बहुत जरूरी होता है। इसके लिए आप हर सप्ताह अपने खर्चों की समीक्षा करें। इसके लिए पहले अपना एक्सपेंस का फिगर नोट डाउन करें। फिर इस सप्ताह आपके द्वारा किए गए बडे खर्च की रकम लिखकर टोटल कर लें। संभव है कि आपका टोटल मिसमैच कर जाए। अमाउंट में जितना अंतर होगा वही आपकी फिजूल खर्ची है। क्योंकि अक्सर हम अपने छोटे खर्चों को भूल जाते हैं। जो कि कुल मिलाकर बहुत भारी पडते हैं।

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