घटाना चाहते हैं होमलोन की EMI का बोझ, ये 4 तरीके आएंगे आपके काम
लोन शिफ्टिंग के तरीके को जानें
एक बैंक से दूसरे बैंक लोन EMI को शिफ्ट करने की प्रक्रिया काफी आसान बना दी गई है। लोन शिफ्ट करने के लिए सबसे पहले मौजूदा बैंक में आवेदन दे। इसके बाद बैंक आपको एनओसी और एक स्टेटमेंट इश्यू करेगा। स्टेटमेंट में आपके ऊपर लोन की बकाया राशि का स्पष्ट की होगा। फिर आप जिस बैंक में लोन ट्रांसफर करवा रहे हैं उस बैंक में एनओसी जमा करेंगे। इसके बाद वह बैंक लोन की राशि पुराने बैंक को ट्रांसफर करेगा और पुराने बैंक में एकाउंट क्लोज कर दिया जाएगा। साथ ही आपका उस बैंक में दिया हुआ पोस्ट डेटेड चेक/ईसीएस रद्द हो जाएगा।
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इंटरेस्ट रेट की करें तुलना
लोन EMI को किसी दूसरे बैंक में शिफ्ट या फिर कम ब्याज दर का लाभ उठाने से पहले बैंक की ओर से ऑफर किए जाने वाले ऑफर्स पर अच्छे से रिसर्च कर लें। बैंक व ऑफर्स से जुड़ी जानकारी बैंक की वेबसाइट से ली जा सकती है। अगर इंटरेस्ट में ज्यादा अंतर न हो और सेविंग्स भी कम हो तो बेहतर है कि लोन शिफ्ट न करें। अंतर कम होने पर आपको खास फायदा नहीं मिलेगा क्योंकि प्रोसेसिंग फीस और अन्य चार्ज में इससे ज्यादा अधिक खर्च हो जाते हैं।
बैंकों के बीच लोन ट्रांसफर की कर लें गणना
लोन शिफ्ट करने से पहले हमें नए बैंक में कितना लोन ट्रांसफर करना है, इस बात की गणना यानि टोटल आउट फ्लो को जरूर जान लें। टोटल आउट फ्लो का मतलब यह होता है कि आप जब लोन किसी अन्य बैंक में शिफ्ट करेंगे तो उस बैंक में कुल कितना भुगतान करना होगा। उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आपने एक बैंक से होम लोन लिया हुआ है। अब कोई दूसरा बैंक कम इंटरेस्ट पर लोन शिफ्ट करने का और कार्यकाल बढ़ाने का विकल्प दे रहा है। ऐसी स्थिति में लोन शिफ्ट करने से पहले जांच लें कि पूरे कार्यकाल में कुल कितनी रकम चुकाएंगे। लोन शिफ्ट करते वक्त कुल अमाउंट का भुगतान करना होता है। इससे आप यह पता कर सकते हैं कि आपको कितनी राशि की बचत होगी।
प्रोसेसिंग फीस व अन्य चार्ज पता करें
लोन शिप्ट करने से पहले प्रोसेसिंग फीस, स्टैंप फीस, लीगल चार्ज, वैल्युएशन फीस आदि के बारे में पता करें। अधिकांश बैंक केवल प्रोसेसिंग फीस चार्ज करते हैं और उसी के तहत अन्य चार्ज शामिल होते है। कुछ बैंक अलग अलग चार्ज करते हैं। वह बैंक प्रोसेसिंग फीस टोटल आउटस्टैंडिंग अमाउंट पर लेते हैं।
पेनल्टी सिस्टम को समझें-
आप को बता दें कि लोन शिफ्ट करने से पहले बैंक अपने ग्राहकों से पेनल्टी लेते हैं। उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आप होम लोन कार्यकाल पूरा होने से पहले शिफ्ट करते हैं तो इसके अवज में बैंक प्री पेमेंट पेनल्टी चार्ज करता है। यह चार्ज लोन की राशि का 2 प्रतिशत तक का होता है। इसका मतलब है कि अधिक लोन रकम बकाया है तो एक बड़ा हिस्सा बैंक को चुकाना पड़ सकता है। यह फ्लोटिंग रेट पर नहीं लगता है। यदि आपने फिक्स्ड रेट पर लोन लिया हुआ है तो फोरक्लोजर चार्ज या पेनल्टी देना पड़ता है।
कुल बकाया अमाउंट को देखकर करें चुनाव
अगर आपने लोन का एक बड़ा हिस्सा चुका दिया है तो लोन को शिफ्ट न करें। कम इंटरस्ट पर लोन केवल उस स्थिति में शिफ्ट करें जब लोन का कार्यकाल लंबा हो और नोल अमाउंट 60 से 70 फीसदी तक देना हो। अगर लोन अमाउंट 20 से 25 फीसदी बचा हो तो लोन शिफ्ट न करें। ऐसा करने से आप जितनी प्रोसेसिंग फीस और दूसरे चार्ज देंगे उससे कम का फायदा आपको इंटरेस्ट के तौर पर मिलेगा।
कॉस्ट को एनालइज जरूर करें-
लोन को शिफ्ट करना आरपके लिए तभी फायदेमंद होगा जब कुल बचत शिप्टिंग से आने वालो खर्च से ज्यादा हो। यानि कि जब आप दूसरे बैंक में लोन शिफ्ट कर रहे हैं तो आपका मौजूदा बैंक बची हुई रकम पर आपसे पेनल्टी लेता है और साथ ही आप जिस बैंक में लोन शिफ्ट कर रहे हैं वह प्रोसेसिंग फीस लेता है। इन दोनों की कॉस्ट अगर आपके लोन की अवधि में कुल बचत से कम होती है लोन शिफ्ट न करें।