अलग अलग निवेश विकल्पों की वकालत करने वाले लोग प्रोडक्ट की खासियत बताकर उसमें निवेश की सलाह देते हैं। मसलन, म्युचुअल फंड्स को बेहतर प्रोडक्ट मानने वाले दावा करेंगे कि 15000 रुपए की एसआईपी से 30 वर्षों में 10 करोड़ रुपए का कॉर्पस बनाया जा सकता है। इस कैल्कूलेशन का आधार है कि अगले 30 वर्षों तक चुना हुआ फंड 15 फीसदी की दर से रिटर्न देने में सक्षम होगा। वहीं लाइफ इंश्योलेंस के एजेंट्स रिटारमेंट के लिए किसी पॉलिसी का चुनाव करने की सलाह देगें। जिसमें रिटर्न निश्चित पर म्युचुअल फंड्स की तुलना में कम होगा। इसी तरह एक इंडोमेंट पॉलिसी भी अगले 30 वर्षों में आपको 10 करोड़ रुपए दे सकती हैं। लेकिन इसके लिए आपको सालाना 12 लाख रुपए का प्रीमियम देना होगा, यानि कि 1 लाख रुपए महीना।
निवेश करने के लिए विकल्पों का चुनाव करने के बाद कुछ ऐसे बिंदु होते हैं जिनका ध्यान रखकर कोई भी व्यक्ति अपने रिटायरमेंट के कॉर्पस को बढ़ा सकता है।
1. निवेश की राशि को बढ़ाते रहें
ध्यान रहे रिटायरमेंट की प्लानिंग के समय के बाद जैसे जैसे आपकी आय बढ़ती जाए उसी अनुपात में अपने निवेश की राशि को बढ़ाते रहें। निवेश की राशि बढ़ जाने पर आप अपने रिटायरमेंट के लक्ष्य को पहले हासिल कर पाएंगे। साथ ही ज्यादा जोखिम वाले निवेश विकल्पों के साथ साथ पीपीएफ जैसे निवेश विकल्पों का भी रुख कर सकते हैं।
एक 30 वर्षीय व्यक्ति 50,000 रुपए की मासिक सैलरी में 10 फीसदी यानि कि 5000 रुपए रिटारमेंट फंड के लिए हर महीने बचाने लग जाए, जिस पर 9 फीसदी का सालाना ब्याज मिले तो वह अपनी 60 वर्ष की उम्र तक 92 लाख रुपए का कॉर्पस इकट्ठा कर सकता है। लेकिन वहीं अगर वह अपना निवेश हर साल 10 फीसदी की दर बढ़ाने लगे तो उसी समयावधि में वह 2.76 करोड़ रुपए की राशि एकत्र कर लेगा।
2. क्षमता के हिसाब से लें जोखिम
निवेशक तीन तरह के होते हैं। पहले जो जोखिम के बिल्कुल विरूद्ध होते हैं। ये ऐसे निवेश विकल्पों का चयन करते हैं जहां कोई रिस्क न हो। दूसरे मॉडरेट निवेशक होते हैं जो इक्विटीज में थोड़ी बहुत रुचि रखते हैं। जबकि तीसरे एग्रेसिव निवेशक होते हैं जो सबसे ज्यादा जोखिम लेने की क्षमता रखते हैं।
यह तीनों तरह के निवेशक विभिन्न रिटारमेंट सेविंग विकल्प में अगर 15000 रुपए महीने का निवेश शुरु करते हैं। और हर साल अपनी निवेश राशि को 10 फीसदी की दर से बढ़ाते हैं। तो लंबे समय में सबसे ज्यादा नुकसान जोखिम न लेने वाले निवेशक को होने की संभावना है। ऐसा इसलिए क्योंकि उसके प्रोविडेंट फंड और स्मॉल सेविंग स्कीम जैसे की इंश्योरेंस पॉलिसी और पैंशन प्लान पर रिटर्न की दर कम होती है। लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में एश्योरेड रिटर्न और टैक्स फ्री कॉर्पस होता है। लेकिन रिटर्न बेहद कम होता है। यहां तक की 25 से 30 वर्षों के लिए लिए गए प्लान भी 6-7 फीसदी से ज्यादा के रिटर्न नहीं दे पाते हैं। छोटी अवधि जैसे कि 10 से 15 वर्षों के लिए खरीदे गए प्लान 5 से 6 फीसदी तक के रिटर्न देती है। लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों के पेंशन प्लान हाई कॉस्ट इंस्ट्रूमेंट है।
मोडरेट निवेशक का इक्विटी में निवेश 53 फीसदी से ज्यादा का नहीं होता जबकि एग्रेसिव निवेशक का निवेश जोखिम वाले प्रोडक्ट्स में मोडरेट निवेशक की तुलना में ज्यादा होता है। मोडरेट निवेशक 10 करोड़ के कॉर्पस का मार्क छू सकता है। लेकिन एग्रेसिव निवेशक ही यह लक्ष्य आसानी से हासिल कर सकता है।
3. लंबे समय के लिए करें निवेश-
रिटायरमेंट जैसे लक्ष्यों के लिए निवेशक धैर्य रखकर लंबे समय के लिए निवेश करने में चूक जाते हैं। अपनी कैल्कूलेशन में हमने 30 वर्षों तक का नियमित निवेश माना है। AMFI के आंकड़ों से पता चलता है कि छोटे निवेशक अपने इक्विटी फंड से 47 फीसदी तक की निकासी कर लेते हैं और 54 फीसदी लोग दो वर्षों के अंदर नॉन इक्विटी में से निकासी कर लेते हैं। 27 फीसदी तक के इक्विटी फंड निवेश में से एक वर्ष में ही निकासी कर ली जाती है। इक्विटी में किए गए निवेश में उतार चढ़ाव लगे रहते हैं। लेकिन लंबे समय की अवधि के लिए इक्विटी पर रिटर्न पीपीएफ और एफडी की तुलना में ज्यादा मिलता है।
4. अपने लाइफस्टाइल में लाएं बदलाव-
अपने लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर आप बड़ी बचत कर सकते हैं। इनमें से एक आदत सिगरेट पीने की हो सकती है। एक अनुमान के मुताबिक 30 वर्षीय व्यक्ति एक दिन में औसतन 5 सिगरेट पीता है जिसकी वजह से अपनी रिटारमेंट की उम्र यानि कि 60 वर्ष की उम्र तक वह 1 करोड़ रुपए खर्च कर देता है। हमने अपनी गणना में सिगरेट की बढ़ती कीमतें, सिगरेट पीने की आदत के कारण हेल्थ इंश्योरेंस पर ज्यादा दिया जाने वाला प्रीमियम शामिल किया है।
फाइनेंशियल प्लानिंग करते समय इन 6 बातों का भी रखें ध्यान
-नौकरी बदलते वक्त EPF की निकासी के बजाय एकाउंट को ट्रांस्फर कराएं।
-SIP के जरिए अपनी सेविंग्स को हर महीने के लिए ऑटोमेट कर दें।
-अपने इंक्रीमेंट, बोनस आदि में से 15-20 फीसदी सेविंग्स में डाल दें।
-बच्चे की पढ़ाई के लिए केवल पीएफ पर निर्भर न रहे। पढ़ाई के लिए लोन लेना बेहतर विकल्प है। इससे बच्चे में बचत करने की आदत बढ़ेगी।
-निवेश विकल्पों से मिलने वाले रिटर्न की दर को तर्कसंगत रखना बेहद जरूरी है। इक्विटी इंवेस्टमेंट से आप 12 फीसदी की दर रिर्टन की उम्मीद कर सकते हैं। लेकिन डेट फंड की स्थिति में यह दर 8 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
– अपने रिटारमेंट पोर्टफोलियो के प्रदर्शन को हर 2 से 3 वर्ष में मॉनिटर करें। इक्विटी में किए गए निवेश को हर वर्ष रिव्यु करना चाहिए
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