नई दिल्ली। टैक्स-बचाने के लिए योजना बनाने का समय आ गया है और साथ ही यह चालू वित्त वर्ष खत्म होने के साथ नया वित्त वर्ष शुरू होने जा रहा है। ऐसे में अगर आपके पास पैसे हैं तो आपको अंतिम समय में भागमभाग करने की बजाये निवेश का रास्ता अभी से अपना लेना चाहिए। ताकि समय रहते आप निवेश कर सकें और टैक्स भी बचा पाएं तथा पूंजी में वृद्धि का लाभ भी उठा पएं और इसके लिए आप चाहें तो ईएलएसएस फंडों का विकल्प अपना सकते हैं।
ईएलएसएस फंडों की बात करें तो जनवरी 2020 के आधार पर इन्वेस्को इंडिया टैक्स प्लान ने एक साल में 13.35 फीसदी सीएजीआर की दर से रिटर्न दिया है। अर्थलाभ डॉटकॉम के आंकड़ों के मुताबिक 10 सालों का इसका लगातार बेहतर प्रदर्शन का ट्रैक रिकॉर्ड है, जिसमें इसने 14.06 फीसदी का रिटर्न दिया है। इसी अवधि में इसके बेंचमार्क एसएंडपी बीएसई 200 टीआरआई ने एक साल में 11.15 फीसदी और दस साल में 10.84 फीसदी का रिटर्न दिया है। इसी तरह एसआईपी ने एक साल में 14.60 फीसदी और दस साल में 14.05 फीसदी (एक्सआईआरआर) का रिटर्न उपरोक्त अवधि में दिया है, जबकि बेंचमार्क ने 9.38 फीसदी और 11.54 फीसदी का रिटर्न दिया है।
ईएलएसएस में ग्रोथ ऑप्शन निवेशकों के लिए सही रहता है। इस स्कीम में डिविडेंड रीइन्वेस्टमेंट का विकल्प नहीं मिलता है। ईएलएसएस (इक्विटी लिंक्ड सेंविग्स स्कीम्स) में करीब 65 फीसदी राशि इक्विटी या इक्विटी लिंक्ड प्रोडक्ट्स में निवेश की जाती है ताकि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के तहत छूट मिल सके। आयकर की धारा 80 सी के तहत टैक्स बचाने के तमाम रास्ते हैं। इसमें पीपीएफ, किसान विकास पत्र, बीमा सहित कई तरीके हैं। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपको कम लॉक इन अवधि हो, आपके निवेश में वृद्धि हो सके और साथ ही इक्विटी बाजार का लाभ भी मिले तो आपको इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) या टैक्स सेविंग फंड का रास्ता अपनाना चाहिए।
ईएलएसएस फंडों में 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर सेक्शन 80सी के तहत टैक्स से छूट मिलती है। सभी निवेश संसाधनों की तुलना में इसमें सबसे कम लॉक इन अवधि होती है। ज्यादातर टैक्स बचत संसाधनों में पांच साल का लॉक इन अवधि होती है, जबकि ईएलएसएस में 3 साल की लॉक इन अवधि होती है। पीपीएफ में 15 साल की लॉक इन अवधि होती है।
ईएलएसएस में आप एकमुश्त या एसआईपी के जरिये निवेश कर सकते हैं। आप इसमें अपने निवेश की अवधि से ज्यादा समय तक अपने पैसे रख सकते हैं। ज्यादा समय तक पैसा रखने पर आपकी राशि फिर से निवेश की जाती है। पारदर्शिता के लिहाज से यह अच्छा साधन है, जहां आप हर दिन अपने निवेश को ट्रैक कर सकते हैं। लॉक इन अवधि के बाद आप पैसे ऑन लाइन या डाइरेक्ट निकाल सकते हैं, जो उस दिन के एनएवी के आधार पर होगा और यह सीधे आपके बैंक खाते में जमा होगा।