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Wise Investment: आपके इंवेस्‍टमेंट में इस प्रकार लग जाती है सेंध, निवेश से पहले जाने किस रिटर्न पर लगता है कितना टैक्‍स

निवेश के रिटर्न पर टैक्‍स की गणना किए बगैर इंवेस्‍टमेंट करना हमेशा घातक होता है। ऐसे में आपको रिटर्न पर लगने वाले टैक्‍स का गणित समझ लेना जरूरी है।

Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: January 11, 2016 9:25 IST
Wise Investment: आपके इंवेस्‍टमेंट में इस प्रकार लग जाती है सेंध, निवेश से पहले जाने किस रिटर्न पर लगता है कितना टैक्‍स- India TV Paisa
Wise Investment: आपके इंवेस्‍टमेंट में इस प्रकार लग जाती है सेंध, निवेश से पहले जाने किस रिटर्न पर लगता है कितना टैक्‍स

नई दिल्‍ली। कार्तिक ने पहली जॉब लगने के साथ ही विभिन्‍न इंवेस्‍टमेंट इंस्‍ट्रूमेंट्स में निवेश करना शुरू कर दिया था। कभी फ्रेंड्स की सलाह पर कभी किसी मैगजीन या टीवी, इंटरनेट, जहां निवेश की सलाह मिलती, कार्तिक तुरंत अमल कर देता। लेकिन दो साल बाद जब कार्तिक को वास्‍तव में पैसों की जरूरत पड़ी तो उसने अपने सभी निवेश के रिटर्न तलाशने शुरू कर दिए। कार्तिक को तब झटका लगा, जब उसे पता चला कि उसने जो 1 से 2 साल की एफडी में अपना ज्‍यादातर पैसा लगाया था। उसे इससे प्राप्‍त ब्‍याज पर टैक्‍स भरना होगा। कार्तिक का वास्‍तविक रिटर्न म्‍यूचुअल फंड और बॉण्‍ड के मुकाबले काफी कम था। कार्तिक की तरह ही हम भी अपने निवेश के रिटर्न पर टैक्‍स की गणना किए बगैर निवेश कर देते हैं। यही ध्‍यान में रखते हुए इंडियाटीवी पैसा की टीम आपको बताने जा रही है, उन निवेश उपकरणों की विस्‍तृत जानकारी, जहां आपको टैक्‍स भरना पड़ता है।

स्टॉक्स

आजकल लोगों का रुझान इक्विटी की ओर तेजी से बढ़ रहा है। यहां आपको यह जानना बेहद जरूरी है कि अब आप स्‍टॉक मार्केट में लंबे समय तक निवेश करते हैं तभी आपको रिटर्न का फायदा मिलता है। आयकर कानून के मुताबिक यदि आप लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं तो आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर मिलने वाली छूट का फायदा मिलता है। वहीं छोटी अवधि के लिए कैपिटल गेन पर 15 फीसदी के हिसाब से टैक्स लगता है। हालांकि कंपनी आपको जो लाभांश देती है, वे कर मुक्त होते हैं।

सेविंग्स एकाउंट

अधिकतर लोग सेविंग अकाउंट को सुरक्षित रूप से बचत उपकरण के रूप में उपयोग करते हैं। यहां आपको जानना जरूरी है कि आपको सेविंग अकाउंट तभी तक फायदा दे सकता है, जब आपका ब्‍याज 10 हजार रुपए से कम है। इससे अधिक की राशि पर स्लैब रेट के मुताबिक टैक्स लगता है। इसके अलावा सेविंग्स इंटरेस्ट पर टीडीएस कटौती नहीं होती।

फिक्स्ड डिपॉडिट एवं रेकरिंग डिपॉजिट

फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट को निवेश का सबसे सुरक्षित जरिया माना जाता है। लेकिन यहां जानना बेहद जरूरी है कि यहां आपको जो रिटर्न मिलता है उस पर आपको ब्‍याज देना होता है। यह टैक्‍स स्‍लैब रेट के अनुसार लगता है। वहीं अगर किसी फाइनेंशियल ईयर में ब्याज 10 हजार रुपए से ऊपर होता है तो 10 फीसदी टीडीएस कटता है। दूसरी ओर रेकरिंग डिपॉजिट की बात की जाए तो यहां अगर आपकी आरडी पर ब्‍याज 10 हजार रुपए से अधिक है तो यहां भी आपको स्लैब रेट के मुताबिक पूरा ब्याज अदा करना पड़ता है।

बॉण्‍ड्स और डिबेंचर्स

बॉण्‍ड्स दो प्रकार के होते हैं, पहले टैक्‍स फ्री बॉण्‍ड्स, इन पर ब्याज पूरी तर से कर मुक्त होता है। वहीं एक साल से ज्यादा रखने पर लंबी अवधि के कैपिटल गेन पर 10 फीसदी से टैक्स लगता है। छोटी अवधि के कैपिटल गेन पर मार्जिनल रेट पर टैक्स लगता है। दूसरी ओर सामान्य बॉन्ड्स और डिबेन्चर्स पर वार्षिक आधार पर 5000 रुपए से अधिक का ब्‍याज मिलता है, तो इस दशा में ब्‍याज की पूरी रकम टैक्‍सेबल होती है। वहीं लंबी अवधि के कैपिटल गेन पर 10 फीसदी से टैक्स लगता है, एक साल से ज्यादा रखने पर या छोटी अवधि के कैपिटल गेन पर मार्जिनल रेट पर टैक्स लगता है

म्युचुअल फंड्स

म्‍यूचुअल फंड भी इस समय निवेश का सबसे सुरक्षित जरिया माने जाते हैं। यहां टैक्‍स की बात करें तो, लंबी अवधि (एक साल से ज्यादा) के कैपिटल गेन कर मुक्त होती है। वहीं छोटी अवधि के कैपिटल गेन पर 15 फीसदी की दर से टैक्स लगता है। इसके अलावा इस पर मिलने वाले लाभांश कर मुक्त होते हैं। इसके अलावा आप निवेश के लिए डेट फंड का उपयोग कर सकते हैं। यहां लंबी अवधि के कैपिटल गेन (तीन साल से ज्यादा) इंडेक्सेसन के बाद 20 फीसदी की दर पर टैक्स लगता है। छोटी अवधि के कैपिटल गेन पर मार्जिनल रेट पर टैक्स लगता है।

गोल्‍ड और गोल्ड फंड्स

आजकल लोग गोल्‍ड फंड में भी निवेश करते हैं, यहां लंबी अवधि के कैपिटल गेन (तीन साल से ज्यादा) इंडेक्सेसन के बाद 20 फीसदी की दर पर टैक्स लगता है। छोटी अवधि के कैपिटल गेन पर मार्जिनल रेट पर टैक्स लगता है। इसके अलावा यदि आप गोल्ड बूलियन और ऑरनामेंट्स में निवेश करते हैं तो लंबी अवधि के कैपिटल गेन (तीन साल से ज्यादा) इंडेक्सेसन के बाद 20 फीसदी की दर पर टैक्स लगता है। छोटी अवधि के कैपिटल गेन पर मार्जिनल रेट पर टैक्स लगता है। गोल्ड बॉण्ड्स की बात करें तो यहां लंबी अवधि के कैपिटल गेन पर 10 फीसदी कि दर से टैक्स लगता है। छोटी अवधि के कैपिटल गेन पर मार्जिनल रेट पर टैक्स लगता है।

इंश्योरेंस

यदि आपके पास एंडॉमेंट पॉलिसी है तो अगर सम एश्योर्ड का प्रीमियम किसी भी साल 10 फीसदी से ज्यादा होता है तो फाइनल प्रोसीड टैक्स फ्री होते हैं। लेकिन अगर कुल रसीद में किसी भी फाइनेंशियल ईयर में एक लाख रुपए पार कर लिए तो 32 फीसदी का टीडीएस कटेगा। निवेशकों को अपने रिटर्न्स कैल्कूलेट करने के साथ साथ प्रीमियम पर भुगतान किया जाने वाला सर्विस टैक्स भी देखना चाहिए। एंडॉमेंट योजनाओं के लिए 3.5 फीसदी की दर से पहले साल प्रीमियम लगेगा और 1.75 फीसदी की दर से प्रीमियम के रिन्यूअल के समय पर देना होगा। वहीं यूलिप्स में सर्विस टैक्स 14 फीसदी है सब चार्जेस पर जैसे कि मोर्टेलिटी चार्ज, एएमसी फीस, स्विच फीस।

रियल एस्टेट

यहां लॉक किए गए दूसरे घर पर मिला रेंट स्लैब रेट के आधार पर कर योग्य होता है। वहीं रेंट पर प्रॉपर्टी टैक्स, रिपेयर कोस्ट, होम इंश्योरेंस आदि पर कटौती उपलब्ध है। लंबी अवधि के कैपिटल गेन (तीन साल से ज्यादा) इंडेक्सेसन के बाद 20 फीसदी की दर पर टैक्स लगता है। छोटी अवधि के कैपिटल गेन पर मार्गिनल रेट पर टैक्स लगता है।

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