नई दिल्ली। हमारे देश में नानी-दादी के जमाने से लेकर आज तक सोने को सबसे सुरक्षित निवेश के रूप में देखा जाता है। शादी व अन्य मांगलिक अवसरों से लेकर बच्चों की पढ़ाई और भविष्य की जरूरतों को लेकर लोग सोने में निवेश पर ही भरोसा करते हैं। निवेश सलाहकार भी अपने पोर्टफोलियो के थोड़े हिस्से को सोने से सजाने का सुझाव देते हैं। वहीं यदि रिटर्न की बात की जाए तो भले ही पिछले 3 साल से सोने ने निगेटिव रिटर्न दिया हो, लेकिन 10 से 15 साल के नजरिये से देखा जाए तो सोने ने वास्तव में बेहतरीन फायदा दिया है। लेकिन आज के समय में घर में सोना रखना सुरक्षित नहीं हैं। आप यदि सोने को लॉकर में रखते हैं तो आपको इसका किराया देना होगा। ऐसे मे इसके दो सुरक्षित विकल्प बचते हैं गोल्ड फंड और ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड)। इलेक्ट्रॉनिक या पेपर के रूप में होने के चलते इनके चोरी होने का खतरा भी नहीं होता। साथ ही इसमें सोने के हाजिर भाव में होने वाली वृद्धि का भी फायदा मिलता है। इंडिया टीवी पैसा की टीम आज इन्हीं दोनों के बीच में अंतर और फायदे नुकसान की जानकारी देने जा रही है।
क्या होते हैं गोल्ड फंड
गोल्ड फंड एक तरह से म्यूचुअल फंड होते हैं। अंतर सिर्फ यही है कि ये शेयर के बजाये निवेशकों का पैसा सोने में निवेश करते हैं। ये फंड निवेशकों को सोने की कीमत के आधार पर वैल्यू देते हैं। सामान्यतया निवेशक दो तरीके से गोल्ड फंड खरीद सकते हैं। एक तरीका ईटीएफ है और वो शेयर, म्यूचुअल फंड की तरह काम करता है। अन्य तरीका है साधारण म्युचुअल फंड की तरह काम करता है यानी वो किसी और फंड में निवेश करता है। इसमें भी निवेशकों को सोने में ही एक्सपोजर मिलता है। सोने को खरीदने की जगह निवेशक इन फंड को खरीद सकते हैं।
गोल्ड ईटीएफ
फिजिकल गोल्ड के अलावा सोना खरीदने का सबसे प्रचलित तरीका गोल्ड ईटीएफ है। ये एक्सचेंज ट्रेडेड फंड होते हैं जो स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होते हैं। ट्रेडिंग के दौरान निवेशक किसी भी समय इन फंड को खरीद सकता है। इनकी वैल्यू ठीक इसी तरह मांग और सप्लाई के आधार पर तय होती है, जिस तरह शेयर के दाम तय होते हैं और ये बदलती भी रहती है। इन फंड की एनएवी सोने की कीमत के साथ जु़ड़ी रहती है। इसका अर्थ है कि फंड की कीमत सोने की कीमत के आधार पर बदलती रहती है। ये फंड उन निवेशकों के लिए हैं, जो सोने की बदलती कीमतों के आधार पर मुनाफा कमाना चाहते हैं।
गोल्ड ईटीएफ के फायदे
इसमें निवेशक जितनी चाहें उतनी यूनिट खरीद सकते हैं और जितनी चाहें उतनी राशि से फंड खरीद सकते हैं। एक कारोबारी दिन के दौरान निवेशकों को बहुत अलग-अलग वैल्यू मिलती हैं तो वो किसी भी तरह का ट्रांजेक्शन कर सकते हैं। इसके जरिये निवेशकों को इंट्राडे मूवमेंट में भी पैसा कमाने के मौके मिल पाते हैं। इसके जरिये निवेशकों को सोने को सुरक्षित रखने के जोखिम से आजादी मिल जाती है। इसमें सोने को खरीदने की तरह कई अन्य तरह के चार्ज नहीं होते, जैसे मेकिंग चार्ज आदि। इसमें निवेशक अपनी सहूलियत के अनुसार एंट्री और एक्जिट ले पाता है, जो फिजिकल गोल्ड में नहीं हो पाता है।
गोल्ड फंड पर इस तरह लगता है टैक्स
गोल्ड फंड में डेट आधारित फंड की तरह टैक्स लगता है। इसमें शॉर्ट टर्म गेन और लॉन्ग टर्म गेन के बीच 3 साल का समय होता है। अगर निवेश 3 साल से पहले बेच दिया जाए और इसमें मुनाफा हो तो इसे शॉर्ट टर्म गेन की श्रेणी में रखा जाएगा। इसे आय में जोड़ा जाएगा। अगर यूनिट 3 साल के बाद बेची जाएगी तो इसे लॉन्ग टर्म गेन की श्रेणी में रखा जाएगा। इसमें 20 फीसदी का टैक्स रेट लगाया जाएगा।
गोल्ड फंड का कब उपयोग करें
सोने में निवेश एक पूरी तरह अलग ऐसेट क्लास है और आपके पोर्टफोलियो में इस ऐसेट क्लास का भी समावेश होना चाहिए। ये आपके पोर्टफोलियो में डाइवर्सिफिकेशन की जरूरत को पूरा करता है, तो आप इसके लिए इस फंड का उपयोग कर सकते हैं। अगर आप सोने में निवेश करना चाहते हैं और ज्वेलरी के रूप में नहीं तो आपके लिए अच्छा विकल्प है। ये निवेश मध्यम से लंबी अवधि के लिए किया जा सकता है। साथ ही अगर आप लगातार निवेश करना चाहते हैं तो भी ये एक बढ़िया विकल्प है। इसके जरिये आप कम राशि में इस ऐसेट क्लास में हिस्सा ले सकते हैं। आप तभी गोल्ड फंड में निवेश कर सकते हैं, जब आप फिजिकल गोल्ड में निवेश से होने वाले जोखिम और इसे रखने के झंझट से बचना चाहते हों।