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Save Tax on Salary: सैलरी पर इनकम टैक्‍स बचाने के ये हैं तरीकें, आप भी जान लीजिए इन्‍हें

आज आपको इस स्टोरी के माध्यम से यह बताने जा रही है कि कौन-कौन से अलाउंस होते हैं, जिनकी मदद से आप सैलरी पर इनकम टैक्‍स छूट ले सकते हैं।

Surbhi Jain
Updated : June 26, 2016 12:24 IST
Save Tax on Salary: सैलरी पर इनकम टैक्‍स बचाने के ये हैं तरीकें, आप भी जान लीजिए इन्‍हें
Save Tax on Salary: सैलरी पर इनकम टैक्‍स बचाने के ये हैं तरीकें, आप भी जान लीजिए इन्‍हें

नई दिल्ली। अधिकांश लोगों को सबसे ज्यादा चिंता अपनी सैलरी पर लगने वाले टैक्स की होती है। सैलरी पर लगने वाले टैक्स के बारे में कम लोग ही जानते हैं। इंडिया टीवी पैसा की टीम आज आपको इस स्टोरी के माध्यम से यह बताने जा रही है कि कौन-कौन से अलाउंस होते हैं, जिनकी मदद से आप टैक्‍स में छूट हासिल कर सकते हैं।

क्या है छूट और कटौती के बीच में अंतर-

एक निश्चित रकम इनकम टैक्‍स से मुक्‍त होती है। इस छूट के बाद जो भी रकम शेष बचती है उसे टैक्सेबल इनकम कहा जाता है। छूट के दायरे में आई हुई इनकम कभी भी कुल इनकम से ज्यादा नहीं होती। टैक्‍सेबल इनकम में से कुछ राशि टैक्‍स कटौती का लाभ पाने के लिए इस्‍तेमाल की जाती है। यह कटौती आपकी इनकम से कम, ज्यादा या उसके बराबर भी हो सकती है।

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सैलरी पर टैक्स बचाने के लिए अलाउंस

1. मोबाइल या टेलिफोन रिम्बर्समेंट- अगर आपको नियोक्ता काम के लिए आपको मोबाइल, टेलिफोन या इंटरनेट कनेक्शन दे रहा है तो आप 100 फीसदी टैक्‍स छूट क्लेम की मांग कर सकते हैं। इसके लिए आपको बिल पेश करना होगा। इसके लिए केवल पोस्टपेड कनेक्शन ही वैध हैं।

2. मेडिकल अलाउंस– नियोक्ता (Employer) अपने कर्मचारी को सेवा के दौरान किए गए मेडिकल खर्चे का भुगतान भी भत्ते के रूप में करता है। यह भुगतान आपको बिल के बदले मिलता है, इसके लिए आपको मेडिकल खर्च की रसीद देनी होती है। टैक्स की दृष्टि से 15,000 रुपए सालाना के मेडिकल बिल टैक्‍स मुक्त हैं।

3. लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA)- छुट्टियों के दौरान नियोक्ता अपने कर्माचारियों को यह भत्ता भी देता है, जिसमें आपके परिवार का ट्रैवल खर्च भी शामिल होता है। टैक्स में राहत लेने के लिए सफर के खर्चे की सभी रशीदें जरूरी हैं। साथ ही सफर के खर्च के अलावा किसी भी प्रकार का खर्च आपके LTA में शामिल नहीं होगा। 4 वित्त वर्षों के दौरान सिर्फ 2 यात्राएं कर छूट के दायरे में आती हैं। मौजूदा ब्लॉक 2014 से 2017 का है।

4. एंटरटेंमेंट अलाउंस– यह केवल सरकारी कर्मचारियों को दिया जाता है। 5,000 रुपए की राशि, सैलरी का पांचवा हिस्सा या फिर असल एंटरटेंनमेंट में से, जो भी कम होता है उसपर यह छूट मिलती है।

5. हाउस रेंट अलाउंस(House Rent Allowance)- घर का रेंट चुकाने के लिए मिलने वाला भत्ता। HRA बेसिक सैलरी का 40 से 50 फीसदी तक होता है, जो कि आपके स्थानीय निवास पर निर्भर करता है। कई नौकरीपेशा लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। यह असल एचआरए, सैलरी का 40 फीसदी, किराए में सैलरी का 10 फीसदी घटा कर, इसमें से जो भी कम होता है उस पर छूट दी जाती है।

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6. बच्चों की पढ़ाई का अलाउंस– अगर आपका नियोक्ता यह अलाउंस दे रहा है तो आप 100 रुपए महीना प्रति बच्चे की छूट ले सकते हैं। यह केवल दो बच्चों के लिए ही दिया जाता है। इस तरह महीने का 200 रुपए बचा सकते हैं।

7. हॉस्टल एक्सपैंडिचर अलाउंस– अगर आपका नियोक्ता यह छूट दे रहा है तो 300 रुपए महीना प्रति बच्चे के लिए छूट की मांग कर सकते हैं। यह अधिकतम दो बच्चों के लिए ही वैध है। इस अलाउंस के जरिए 600 रुपए महीना बचा सकते हैं।

8. यात्रा भत्ता (Transport Allowance)- घर से ऑफिस और ऑफिस से घर तक आने-जाने के लिए कंपनी की तरफ से दिया जाने वाला भत्ता। इसमें अधिकतम 1600 रुपए या इससे कम की राशि, जो कि आपकी सैलरी स्लिप के मुताबिक देय है करमुक्त होती है।

9. यातायात भत्ता (Conveyance Allowance)- यह ट्रांसपोर्ट भत्ता से अगल होता है। यह खर्चा कर्मचारी को ऑफिस से जुड़े कामों के लिए दिया जाता है। इसकी कोई लिमिट नहीं होती है। अगर यह 5,000 रुपए महीना है तो सारा अलाउंस छूट के दायरे में आता है।

10. परफोर्मेंस बोनस और स्पेशल अलाउंस– यह नियोक्ता की ओर से कर्मचारी के प्रोत्साहन के लिए दिया जाने वाला भत्ता होता है। इसकी 100 फीसदी रकम कर योग्य होती है।इसके अतिरिक्त भी सैलरी में कुछ अन्य अलाउंस शामिल होते हैं, जो पूरी तरह करयोग्य होते हैं।

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सैलरी इनकम पर टैक्स बचाने के लिए कटौती-

  1. वित्त वर्ष के भीतर धारा 80C के अंतर्गत करदाता को 1.50 लाख रुपए के निवेश पर कर छूट मिलती है।
  2. यह निवेश प्रॉविडंट फंड, पब्लिक प्रोवीडेंट फंड, खुद के लिए, अपनी पत्नी और बच्चों के लिए लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम के माध्यम से किया जा सकता है। इसके अलावा दो बच्चों की स्कूल की फीस के जरिए आयकर में छूट प्राप्त कर सकते हैं।
  3. आप नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट और किसी बैंक में पांच साल के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट, म्‍यूचुअलफंड को खरीद कर भी इनकम टैक्स बचा सकते हैं।
  4. धारा 80CCC के तहत आप सालाना फंड में 1.5 लाख तक का निवेश कर सकते हैं।
  5. धारा 80CCD के तहत आप अपने एनपीएस अकाउंट में 1.5 लाख तक का योगदान दे सकते हैं।
  6. ध्यान रहे धारा 80C, 80CCC और 80 CCD के तहत होने वाली कुल कटौती की सीमा को 1.50 लाख से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता है।
  7. अगर आप खुद के या अपनी पत्नी और बच्चों के लिए सालाना 25,000 रुपए का मेडिकल इंश्योरेंस लेते हैं तो धारा 80D के तहत आप इसके जरिए कर में छूट पा कर सकते हैं।
  8. आप अपने माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेकर 25,000 रुपए के प्रीमियम भुगतान पर कर छूट पा सकते हैं। इसके लिए आपको माता और पिता दोनो के लिए 21,000 रुपए की राशि निवेश करनी होगी।
  9. अगर आप सीनियर सिटिजन है या आपके माता-पिता सीनियर सिटिजन हैं तो आप 20,000 के बजाए 25,000 की छूट का दावा कर सकते हैं।
  10. मेडिक्लेम की समग्र सीमा के भीतर आप स्वास्थ्य जांच के लिए 5,000 रुपए तक की राशि के लिए दावा कर सकते हैं, लेकिन यह भुगतान नकद होना चाहिए।
  11. अगर हेल्थ इंश्योरेंस के लिए भुगतान नकदी की तुलना में अन्य माध्यमों के जरिए हुआ हो तो भी यह कर कटौती के योग्य होता है।
  12. राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम में निवेश की गई राशि में से 50 फीसदी धारा 80 CCG के तहत क्लेम की जा सकती है। इसमें निवेश की अधिकतम लिमिट 50,000 रुपए है।
  13. धारा 80 DD के तहत अपने आश्रित सदस्य जैसे कि पत्नी, माता पिता, बच्चे या भाई बहन के लिए 75000 रुपए मेडिकल खर्चों के तौर पर ले सकतें हैं अगर उन्हें 40 फीसदी विकलांग्ता है। गंभीर विकलांगता में यह लिमिट 1,25,000 रुपए है।
  14. धारा 80DDB के तहत 60 वर्ष से कम की आयु का व्यक्ति किसी विशेष बीमारी के ट्रीटमेंट के लिए 40,000 रुपए तक क्लेम कर सकते हैं। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 60,000 रुपए और अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 80,000 रुपए है।
  15. धारा 80E के तहत स्वयं, पत्नी या बच्चे की पढ़ाई के लिए लिया गया लोन कटौती के लिए क्लेम कर सकते हैं।
  16. धारा 24B के तहत होम लोन की ईएमआई पर लगने वाले ब्याज को क्लेम किया जा सकता है। सेल्फ ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी के लिए अधिकतम लिमिट 2 लाख रुपए प्रति वर्ष है।
  17. धारा 80EE– होम लोन के लिए भुगतान किए गए ब्याज पर आईटी एक्ट के अंतर्गत सेक्शन 24 में किसी भी वित्तीय वर्ष में 2 लाख 50 हजार रुपए के टैक्स बेनिफिट के लिए क्लेम कर सकते हैं।
  18. धारा 80G– किसी भी अप्रूव्ड फंड, ट्रस्ट, पूजा के स्थान की मरम्मत आदि के लिए किए गए डोनेशन पर इस सेक्शन के तहत कटौती मिलती है।
  19. धारा 80GG– इस सेक्शन के तहत अपनी सैलरी पर टैक्स तभी बचा सकते हैं अगर आपको एचआरए नहीं मिलता।
  20. धारा 87A– यह उस भारतीय नागरिक को टैक्स रिबेट मिलती है जिसकी कुल आय 5 लाख से कम है।
  21. धारा 80 TTA– इसके तहत अपने सेविंग बैंक, पोस्ट ऑफिस आदि पर मिलने वाले ब्‍याज को भी कर कटौती के लिए क्‍लेम कर सकते हैं, बशर्ते इसकी सीमा 10,000 रुपए से ज्‍यादा न हो।

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