नई दिल्ली। हम सभी भविष्य की खुशहाली के लिए ऐसी जगह पैसा लगाना चाहते हैं, जहां हमारा निवेश सुरक्षित रहे। पिछले कुछ वर्षों में म्यूचुअल फंड्स ऐसे ही बेहतर निवेश विकल्प के रूप में सामने आए हैं, जहां न सिर्फ आपका पैसा सुरक्षित रहता है बल्कि आपको रिटर्न भी दूसरे इंस्ट्रूमेंट्स के मुकाबले बेहतर मिलता है। लेकिन यहां भी आप आंख मूंद कर निवेश नहीं कर सकते। सभी फंड्स की प्रकृति अलग-अलग होती है। ऐसे में सभी का रिटर्न भी अलग-अलग होता है। इस स्थिति में जरूरी है कि आप जब भी म्यूचुअल फंड्स में निवेश करें, तो इसके लिए डायवर्सिफिकेशन के साथ एक बेहतर रणनीति बनाएं। यही ध्यान में रखते हुए इंडिया टीवी पैसा की टीम आपको बताने जा रही है कि किस प्रकार आप विभिन्न म्यूचुअल फंड्स में डायवर्सिफाइड इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं।
अलग-अलग स्कीम में करें निवेश
म्यूचुअल फंड में निवेश का पहला मंत्र यही है कि एक ही फंड में पूरा निवेश न करें। जब आप फंड्स को शॉर्टलिस्ट करते हैं तो अलग-अलग फंड चुनें। यदि आप निवेश की शुरुआत कर रहे हैं तो दो ही फंड में निवेश करें। फिर चाहे 5000 रुपए से ज्यादा ही की राशि क्यों न हो। क्योंकि एक ही श्रेणी में निवेश से आपकी रिस्क बढ़ जाती है। जैसे आपको दो हजार रुपए हर महीने निवेश करना है तो आप लार्ज कैप और मिड कैप फंड्स का चुनाव अलग-अलग कर सकते हैं। श्रेणी भले ही एक हो सकती है लेकिन इन स्कीम्स का मैनेजमेंट अलग-अलग रखें। जैसे कि कुछ लार्ज कैप फंड्स केवल बड़ी कंपनियों में ही निवेश करते हैं जबकि कुछ मिड साइज का भी सहारा लेते हैं। पोर्टफोलिओ में सभी श्रेणियों में से 6-8 स्कीम्स में निवेश का सुझाव दिया जाता है।
निवेश के लिए चुनें विभिन्न श्रेणी
जब आप विभिन्न श्रेणी में निवेश करते हैं तो आपकी रिस्क भी कम हो जाती है। जैसे कि अगर आप तीन स्कीम्स में निवेश करने का सोच रहे हैं तो लार्ज कैप स्कीम का चयन करें। उसके बाद मल्टी या मिड कैप को चुने। इसके साथ ही आप डेट फंड भी चुन सकते हैं। ऐसा करने से अगर इक्विटी मार्केट में गिरावट आती है तो आपके मिड कैप फंड्स में और ज्यादा गिरावट देखने को मिल सकती है। ऐसे ही जब बाजार में तेजी होती है तो यह संभावना होती है कि मिड कैप फंड्स, लार्ज कैप फंड्स से पहले चढ़ेंगे।
विभिन्न फंड हाउस
सभी फंड हाउस अलग-अलग नजरिए से निवेश की प्लानिंग करते हैं। ऐसे में जब आप अलग-अलग स्कीम में निवेश करते हैं तो ध्यान रखें कि आप एक ही फंड हाउस से सभी का चुनाव तो नहीं कर रहे हैं। जिस तरह आप अलग-अलग स्कीम का चुनाव करते है उसी तरह फंड हाउस में भी चुनाव करें। आपको ऐसे कुछ फंड हाउस मिल जाएंगे जो स्कीम्स को अच्छे से मैनेज करते हैं। इसके बाद भी अलग फंड हाउस का ही चुनाव करें। अपने एसेट्स को विभिन्न एसेट मैनेजमेंट कंपनियों में लगा दें। मिड और स्मॉल साइज फंड पर भी नजर बनाए रखें।
विभिन्न डिस्ट्रीब्यूटर्स में न करें डायवर्सिफिकेशन
कोशिश करें कि कम से कम डिस्ट्रीब्यूटर्स तक सीमित रहें। या फिर अच्छा होता है कि अगर एक ही डिस्ट्रीब्यूटर रखें। ऐसा करने से आपका पेपरवर्क कम हो जाता है। सरल भाषा में कहें तो आप एक ही स्कीम की जांच विभिन्न डिस्ट्रीब्यूटर्स के जरिये करते रह जाते हैं। आपके लिए मुमकिन नहीं होगा कि इन स्कीम्स में आपना संयुक्त होल्डिंग देख सकें। क्योंकि ऐसा केवल डिस्ट्रीब्यूटर ही कर सकता है। इसलिए एक ही डिस्ट्रीब्यूटर के साथ रहने से आप अपने पूरे पोर्टफोलियो के लिए मदद ले सकते हैं। साथ एक डिस्ट्रीब्यूटर आपको आपकी होल्डिंग्स को संयुक्त रखने में मदद करता है।