नई दिल्ली। बढ़ती जरूरतों और सीमित आय के बीच ख्वाहिशें पूरी करने के लिए ईएमआई यानि कि इक्वेटिड मंथली इंस्टॉलमेंट्स बेहद आसान जरिया बन गया है। लोन की आसान उपलब्धता और रिपेमेंट प्रोसेस की वजह से उधार लेते वक्त लोग हिचकिचाते नहीं है। साथ ही इंस्टॉलमेंट्स में खरीदने से हम बड़े बड़े प्रोडक्ट्स और चीजें खरीद सकते हैं। मोबाइल फोन से लेकर घर तक, कार से लेकर पढ़ाई तक आप किसी के लिए उधार ले सकते हैं और उसकी कीमत इंस्टॉलमेंट्स में चुका सकते हैं। लेकिन पैसे उधार लेने से पहले इंस्टॉलमेंट्स किफायती लगती है जिसमें ईएमआई की गणना की जाती है और कुछ बातों का ध्यान रखा जाता है।
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ईएमआई क्या होती है
ईएसआई वो निश्चित राशि होती है जो कि उधारकर्ता यानि कि बॉरोअर को खरीदी हुई चीज के एवज में उधारदाता यानि कि लैंडर हर महीने देता है। ईएमआई में प्रिंसिपल रिपेमेंट और लोन पर लगने वाला बाकाया ब्याज शामिल होता है। शुरुआती महीनो में ब्याज का हिस्सा ज्यादा होता है। ये धीरे धीरे हर भुगतान के साथ के साथ कम होता रहता है और फिर प्रिंसिपल रिपेमेंट ब्याज राशि से ज्यादा हो जाता है। लोन एग्रीमेंट के मुताबिक ईएमआई उधारकर्ता के एकाउंट से हर महीने या तिमाही में एक निश्चित तारीख पर निकाल लिया जाता है।
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कैसे की जाती है गणना
ईएमआई की गणना तीन चीजों पर आधारित होती है। पहली लोन की राशि, दूसरा ऐप्लिकेबल ब्याज दर और तीसरा रिपेमेंट का कार्यकाल। जितनी ज्यादा लोन राशि और एप्लिकेबल ब्याज दर होती है, उतनी ज्यादा ईएमआई की राशि होती है। वहीं दूसरी ओर जितना लंबा रिपेमेंट का कार्यकाल होगा उतनी कम ईएमआई होगा। आप इसके लिए ऑनलाइन कैल्कूलेंटर्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे कि बैंक और एग्रिगेटर्स की वेबसाइट पर मौजूद होते हैं। या फिर आप इसकी गणना खुद भी कर सकते हैं।
ईएमआई कब बदल सकती है
ईएमआई की राशि एप्लिकेबल ब्याज दर पर निर्भर करती है । फिक्स्ड ब्याज दर लोन जैसे कि ऑटो लोन में इंस्टॉलमेंट की राशि बदलती नहीं है। हालांकि फ्लोटिंग रेट इंटरेस्ट लोन जैसे कि होम लोन के लिए ईएसआई बदल सकती है। अगर आप पार्शियल प्री पेमेंट करते हैं तो ईएमआई उस हिसाब से ही बदलेगी। जब आप पार्शियली प्रीपे करते हैं तो लोन के कार्टकाल को कम करने के विकल्प का भी चयन कर सकते हैं। तो जहां तक होम लोन की बात की जाए आप कार्यकाल कम कर सकते हैं जैसे कि 240 महीने(20 साल) से 228 महीने(19 साल), जबकि ईएमआई एक की रहती है।