नई दिल्ली। नोएडा में रहने वाले कार्तिक पिछले तीन साल से अपना ने इसी साल अक्टूबर में एक एमएनसी आईटी कंपनी में जॉब जॉइन की हैं। लेकिन दिसंबर में जब टीडीएस के लिए उनके एचआर ने इंवेस्टमेंट डिक्लेरेशन और फॉर्म 16 की कॉपी मांगी, तो उनक पास कोर्इ भी डॉक्यूमेंट नहीं था। ऐसी समस्या सिर्फ कार्तिक के साथ ही नहीं, बल्कि ऐसे हजारों लोगों के साथ आती है, जिन्होंने साल के बीच में ही जॉब छोड़ी है। यही ध्यान में रखते हुए इंडिया टीवी पैसा की टीम आपको बताने जा रही है उन जरूरी कागजातों के बारे में जिन्हें आपको नौकरी छोड़ते वक्त अपने पुराने इंप्लॉयर से जरूर ले लेने चाहिए। जिससे आपको टैक्स भरने में कोई मुश्किल न आए।
यह भी पढ़ें- भारतीय कंपनियों ने 2015 में किए 20 अरब डॉलर के विलय-अधिग्रहण सौदे, नवंबर में पी-नोट्स निवेश घटा
नौकरी छोड़ने से पहले जरूर ले लें फॉर्म 16
अक्सर हम जॉब छोड़ते समय हम एचआर के पास नो ड्यूज और एनओसी तो जमा करा देते हैं, लेकिन कुछ जरूरी कागजात नहीं लेते। इनमें ही सबसे अहम है फॉर्म 16। अक्सर हमें इंवेस्टमेंट प्रूफ और टैक्स भरते वक्त इस फॉर्म 16 की याद आती है। फॉर्म 16 नहीं होने की स्थिति में टैक्स की सही गणना करना मुश्किल होता है। ऐसे में जब भी जॉब छोड़ें अपने एचआर से मौजूदा साल के लिए फॉर्म 16 लेना न भूलें।
यह भी पढ़ें- Golden Gains: इंवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में शामिल करना चाहते हैं गोल्ड, इन 5 बेहतरीन विकल्पों से खरीद सकते हैं सोना
इंवेस्टमेंट प्रूफ
आपकी नई या पुरानी कंपनी का एचआर आपकी सैलरी में से टीडीएस की गणना आपके द्वारा किए गए इंवेस्टमेंट डिक्लेरेशन के आधार पर करता है। यह डिक्लेरेशन आपको हर साल की शुरूआत में करना होता है। अगर, आप अपने नए नियोक्ता के पास मिली सैलरी की जानकारी नहीं देते हैं तो नया नियोक्ता टैक्स की गणना बचे हुए महीने पर करता है। यह भी संभावना हो सकती है कि आपने इनकम टैक्स की धारा 80 C के तहत अधिक निवेश किया है और नियोक्ता को कम बता रहे हैं। इससे बचने के लिए इनकम टैक्स फाइल करने से पहले अपने निवेश के कागजात से सही ब्योरा तैयार कर लें।
सैलरी स्लिप और पार्ट बी की जानकारी
अक्सर इंप्लॉयर हायर टैक्स ब्रेकेट से इंप्लॉई को राहत देने के लिए सैलरी पॉट बी में देते हैं। जॉब छोड़ते वक्त आपको अपने पार्ट बी का ठीक ठीक उल्लेख करने वाली सैलरी स्लिप भी नए इंप्लॉयर को उपलब्ध करानी चाहिए। इसके अलावा कंपनी की ओर से मिले बोनस आदि की जानकारी से जुड़े कागजात भी साथ रखने चाहिए।
प्रोविडेंट फंड खाते का यूएएन नंबर
अक्सर लोग जॉब छोड़ते वक्त अपना प्रोविडेंट फंड खाते को यूं ही छोड़ देते हैं। और नई नौकरी के साथ नया खाता खुलवा लेते हैं। ईपीएफओ ने अब यूएएन नंबर के माध्यम से पुराने ईपीएफ अकाउंट को नए खाते में ट्रांसफर की सुविधा दी है। आप चाहें तो दोनों खातों को एक खाते में टांसफर कर सकते हैं। इसके अलावा आपके पास यह पैसा निकालने का ऑप्शन होता है। आप यह जान लें कि लागातार 5 साल तक सर्विस पूरा किए पैसा निकालना टैक्सेबल इनकम होता है। पीएफ का पैसा ट्रांसफर करने के लिए फॉर्म 10C और फॉर्म 19 भरें।
दोनों एचआर से मिली इनकम को करें वैरीफाई
टैक्स की गणना करने के लिए पुरानी कंपनी में X महीने में मिली सैलरी और नई कंपनी में Y महीने में मिली सैलरी को जोड़े। इसके बाद आपने 80 C में निवेश की गई राशि को जोड़े। फिर दोनों नियोक्ता द्वारा काटे गए टैक्स को एक जगह मिलाएं। अब इनकम टैक्स की वेबसाइट जा कर टैक्स कलकुलेट करें। अगर, आप पर पिछला कोई बकाया टैक्स है तो इनकम टैक्स फाइल करने से पहले उसका भुगतान करें। इस तरह आप सही तरीके से अपना इनकम टैक्स फाइल कर सकते हैं।