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घटाना चाहते हैं होमलोन की EMI का बोझ, ये 4 तरीके आएंगे आपके काम

इंडिया टीवी पैसा की टीम आज अपने रीडर्स के लिए 4 ऐसे ही तरीके साथ लेकर आई है, जिससे आप अपनी होमलोन ईएमआई का बोझ कम कर सकते हैं।

Surbhi Jain
Updated : August 17, 2016 10:19 IST
नई दिल्‍ली। लाखों रुपए खर्च कर अपने सपनों का आशियाना खरीदने में होमलोन एक मात्र सहारा होता है। लोन की छोटी-छोटी किश्‍तें चुका कर आप लंबे समय में ही सही लेकिन घर के मालिक जरूर बन जाते हैं। लेकिन जीवन में आर्थिक स्थिति हमेशा एक जैसी नहीं रहतीं। अक्‍सर आसान लगने वाली ईएमआई हमारे लिए जी का जंजाल बन जाती है। लेकिन यदि आप समझदारी से काम लें, और अपने पास मौजूद संसाधनों का समझदारी पूर्वक इस्‍तेमाल करें तो आप ईएमआई का बोझ जरूर ही कम कर पाएंगे। इंडिया टीवी पैसा की टीम आज अपने रीडर्स के लिए 4 ऐसे ही तरीके साथ लेकर आई है, जिससे आप अपनी ईएमआई का बोझ कम कर सकते हैं।

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लोन लेते वक्‍त करें निगोशिएट

हम होमलोन लगभग 25 से 30 साल के लिए लेते हैं। बैंक जिन शर्तों पर लोन देता है, वह हमें अपने शेष जीवन तक मानना ही पड़ता है। इसलिए बेहतर है कि लोन लेते वक्‍त ही बैंक के साथ निगोशिएट करने की कोशिश करें। हालांकि बैंक से निगोशिएट करते वक्‍त आपको कुछ बातें जरूर समझनी होंगे।

  • लोन लेने वाले के पास मार्जिन मनी जितनी ज्यादा होगी बैंक से मिलने वाला मूलधन (कर्ज) उतना ही कम हो जाएगा।
  • लोन लेने वाले व्यक्ति को कर्ज की अवधि कम रखने पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि जितनी ज्यादा अवधि होगी मकान उतना ही ज्यादा महंगा पड़ेगा।
  • लोन की अवधि कम करके उसकी ईएमआई बढ़ाना ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है।
  • ईएमआई में मूलधन और ब्याज दोनों का भुगतान किया जाता है इसलिए लोन की अवधि बढ़ाने की अपेक्षा ईएमआई बढ़ाना ज्यादा फायदेमंद होगा।
  • इससे मूलधन की अदायगी जल्द होगी और ब्याज भी कम अवधि का ही लगेगा।

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बचत खाते पर लें ज्यादा ब्याज

आम तौर पर बैंक बचत खाते पर 4 फीसदी ही ब्‍याज देते हैं। लेकिन आप चाहें तो साधारण बचत खाते से भी अच्‍छा खासा रिटर्न हासिल कर सकते हैं। कई बैंक 6 या 7 फीसदी की दर से ब्‍याज की पेशकश कर रहे हैं। आप इन बैंकों में खाता खोल सकते हैं। इसके अलावा सभी बैंक बचत खाते को फिक्‍स डिपॉजिट से भी लिंक करने का ऑफर देते हैं। इस योजना के तहत बचत खाते को फिक्स्ड डिपाजिट अकाउंट से संबद्ध कर दिया जाता है और सेविंग अकाउंट में पड़ी रकम जब तक इस्तेमाल नहीं होती है तब तक वह स्वत: फिक्स्ड डिपाजिट अकाउंट में ट्रांसफर हो जाती है। इस अकाउंट पर ग्राहक का ज्यादा ब्याज मिलता है। जब ग्राहक को पैसों की जरूरत होती है तो उसकी रकम वापस सेविंग अकाउंट वापस ट्रांसफर करके उसको भुगतान कर दिया जाता है। आपको जितना ब्याज मिलेगा उतने ब्याज का बोझ आपकी ईएमआई से कम हो जाएगा।

पीएफ का लें सहारा

प्रोविडेंट फंड का पैसा सिर्फ आपकी वृ‍द्धावस्‍था के लिए ही नहीं, बल्कि आपके घर जैसी जरूरतों को पूरा करने में भी मददगार होता है। यदि आप नौकरीपेशा हैं तो आप प्रोविडेंट फंड के पैसों से कर्ज का भुगतान जल्द से जल्द करने की कोशिश कर सकते हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि पीएफ का पैसा एफडी में लगाकर ब्याज आय बढ़ाई जाए तो ज्यादा फायदा नहीं है क्योंकि एफडी में टैक्स पर छूट भी नहीं मिलती है जबकि होम लोन पर आयकर में छूट मिलती है।

लोन स्विच कराने पर करें विचार

अगर आपके आग्रह पर आपका बैंक ब्याज दरें कम कर देता है तो बेहतर है लेकिन अगर किसी कारणवश वह आपके आग्रह को अस्वीकार कर देता है तो आप अपना होम लोन किसी अन्य बैंक में कम ब्याज दर पर ट्रांसफर करा सकते हैं। लोन ट्रांसफर या स्विच कराने से तात्पर्य यह है कि आप अपने अधिक ब्याज दरों वाले लोन को उस बैंक में स्विच करा सकते हैं जो आपको कुछ कम ब्याज दर पर लोन देने को तैयार है। इसे रिफाइनेंस करना भी कहते हैं। रिफाइनेंसिंग में इस बात का जरूर ध्यान रखें कि लोन की अवधि कम से कम रखी जाए। साथ ही रिफाइनेंसिंग के लिए जो शुल्क इत्यादि लगते हैं उनका भी ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए आपको कई बैंकों से बात करनी होगी जो बैंक सबसे कम ब्याज पर राजी हो उसमें ही लोन को ट्रांसफर कराना चाहिए।

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