नई दिल्ली। घर खरीदना जीवन का सबसे बड़ा सौदा होता है। बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के आसान होमलोन ने हमारे इस सपने को संभव तो बना दिया है। लेकिन इस कर्ज को चुकाने में हमारी पूरी जिंदगी निकल जाती है। आम तौर पर हमें 20 से 30 साल के लिए होम लोन मिलता है, यानि कि हम नौकरी की शुरुआत से लेकर रिटायरमेंट या उसके बाद तक भी कर्ज चुकाते हैं। बैंक का होमलोन चुकाने का एक तरीका प्रीपेमेंट(Prepayment) भी है। लेकिन कई बार यह समझदारी भरा कदम नहीं होता। लेकिन यदि आप अपने होमलोन के प्रीपेमेंट की सही रणनीति बनाते हैं, तो यह आपके लिए कई मायनों में फायदेमंद हो सकता है। इंडिया टीवी पैसा की टीम आपको प्रीपेमेंट से जुड़ी इन्हीं खास बातों के बारे में बताने जा रही है, जिससे आप अपनी प्रीपेमेंट स्ट्रैटजी बना सकते हैं।
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सेविंग खत्म कर न करें प्रीपेमेंट
बहुत से लोग होम लोन की ईएमआई के बोझ से बचने के लिए अपनी सेविंग या इमरर्जेंसी फंड बलिदान कर देते हैं। लेकिन ऐसा करना एक खराब स्ट्रैटजी मानी जाएगी। बकाया लोन का भुगतान करने के लिए अपने सारे खर्चों को रोककर अपनी पूरी इनकम का उपयोग बहुत ही बुरा विकल्प है। आपात स्थिति में जब आपको तुरंत नकदी की आवश्यकता होगी, तब आप परेशानी में पड़ सकते हैं। ध्यान रखें कि होमलोन सभी प्रकार के कर्ज के मुकाबले सबसे सस्ता होता है। यदि आप बचत खत्म कर होमलोन प्रीपेमेंट करते हैं और आपात स्थिति में पर्सनल लोन लेते हैं, तो आप ब्याज भुगतान के जाल में और बुरी तरह उलझ जाएंगे। ऐसे में जब तक आपका इमर्जेंसी फंड प्रभावित न हो, प्रीपेमेंट के बारे में विचार न करें।
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लोन टेकओवर के समय जान लें प्रोसेसिंग फीस
होमलोन के पूर्व-भुगतान की यह एक सामान्य रणनीति है। इसके तहत बैंक कई ऑफर देते हैं जैसे वह आपके मौजूदा लोन को कम रेट पर टेकओवर करते हैं, जो कि आपकी ईएमआई या लोन की समयावधि को कम कर सकते हैं। यह एक अच्छा विकल्प है, जो आपकी बचत पर बिना कोई असर डाले आपको लोन पर देय ब्याज की राशि भी कम करने में मदद करता है। हालांकि, यहां समस्या प्रोसेसिंग शुल्क और अन्य फीस (यदि पूर्व-भुगतान पेनाल्टी नहीं है) की है, जिसे बैंक रिफाइनेंसिंग के साथ ही साथ होमलोन को बंद करने के लिए वसूलते हैं। कई बार, वन टाइम चार्ज और ब्याज दर का अंतर इतना कम होता है कि कम ईएमआई के बावजूद आप ज्यादा बचत नहीं कर पाते हैं।
ज्यादा ईएमआई चुकाने से भी हो सकता है नुकसान
वेतनभोगी होमलोन उपभोक्ता इसे एक आसान विकल्प मानते हैं। वेतनभोगी अपने कॅरियर में आगे बढ़ते हैं, जिससे उन्हें प्रमोशन मिलता है और वेतन में भी वृद्धि होती है, जिसके परिणामस्वरूप उनके पास ज्यादा खर्चयोग्य रकम होती है। नए कपड़े, वाहन और गैजेट पर फालतू खर्च करने से बेहतर है कि आप अपनी ईएमआई को बढ़ाए और लोन को जल्द से जल्द चुकता करें। इस मामलें में, जब आप अपने भुगतान की रफ्तार बढ़ाते हैं, तो आगे नया लोन लेने की आपकी क्षमता प्रभावित होगी। सामान्य तौर पर बैंक लोन जारी करते वक्त आय अनुपात के आधार पर ईएमआई तय करते हैं। ऐसे में जाहिर है कि इस अनुपात सीमा से आप ज्यादा ईएमआई का भुगतान करते हैं तो भविष्य में आपके लिए नए लोन की सीमा सीमित हो जाएगी।
होम सेवर लोन या स्मार्ट लोन
बैंकों ने यह नया ऑफर पेश किया है, जिसमें वह होमलोन एकाउंट से संबंधित एक करेंट एकाउंट भी उपलब्ध कराते हैं। उस कुल रकम में से, जिसपर बैंक लोन इंटरेस्ट की गणना करते हैं, बकाया लोन को घटाते हैं और शेष राशि को आपके करेंट एकाउंट में रखते हैं, जिससे ईएमआई कम हो जाती है। इससे उपभोक्ता इमरजेंसी में इस राशि का उपयोग कर सकता है और कम ईएमआई का लाभ भी उठा सकता है। इससे आप अपने करेंट एकाउंट में जमा राशि पर अपने होम लोन रेट के बराबर ही ब्याज भी हासिल कर सकते हैं। लेकिन इसमें एक समस्या है, यदि आपके पास एक बेहतर निवेश विकल्प है, तो आप अच्छा संभावित रिटर्न खो सकते हैं। यदि आप ऐसे अवसर से हाथ धो बैठते हैं, जो आपको कही बेहतर रिटर्न दे सकता था, तो इसकी भरपाई आप समय बीतने के बाद कभी नहीं कर सकते हैं।
इंट्रेस्ट पेमेंट से जुड़ी बैंक की शर्तें जान लें
होमलोन ईएमआई के भुगतान अवधि के शुरुआत में ब्याज का हिस्सा अधिक होता है। यदि आप भुगतान जारी रखते हैं तो ब्याज का हिस्सा कम होना शुरू हो जाता है, जबकि मूल राशि का हिस्सा बढ़ता जाता है। ऐसे में, क्या पूर्व-भुगतान का मतलब बनता है। बाद में लोन का पूर्व-भुगतान करने से आप ब्याज भुगतान में कोई बचत नहीं कर सकते, बल्कि यह आपको गहरे नकदी संकट में डाल देगा। कुछ बैंक ईएमआई भुगतान के कुछ सालों के बाद पूर्व-भुगतान की अनुमति देते हैं। ऐसे में आप बैंकों से पता करें और उसके अनुसार अपना निर्णय लें।