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टैक्‍स बचाना नहीं है मुश्किल काम, टैक्‍स-सेविंग म्‍यूचुअल फंड्स में निवेश करने के जान लें ये 5 टिप्‍स

क्लीयर टैक्स के संस्थापक और सीईओ अर्चित गुप्ता यहां ऐसे पांच कारण बता रहे हैं कि आपको टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड (ईएलएसएस) में निवेश करने पर विचार क्यों करना चाहिए।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: October 18, 2019 14:30 IST
Tax saving is not a difficult task, know these 5 tips to invest in tax-saving mutual funds- India TV Paisa
Photo:TAX SAVING ELSS

Tax saving is not a difficult task, know these 5 tips to invest in tax-saving mutual funds

नई दिल्‍ली। वर्षों से टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड्स निवेशकों के लिए सबसे अच्छा टैक्स-सेविंग विकल्प साबित हुए हैं। वैसे तो टैक्स-सेविंग विकल्प कई हैं जैसे नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस), नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), लेकिन इनके बीच भी इक्विटी-लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) सबसे पसंदीदा टैक्स-सेविंग विकल्प रहे हैं। क्‍लीयर टैक्‍स के संस्‍थापक और सीईओ अर्चित गुप्‍ता यहां ऐसे पांच कारण बता रहे हैं कि आपको टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड (ईएलएसएस) में निवेश करने पर विचार क्यों करना चाहिए।

न्यूनतम लॉक-इन पीरियड

पारंपरिक टैक्स-सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स आम तौर पर दीर्घावधि के लॉक-इन के साथ आते हैं। पीपीएफ में 15 साल का लॉक-इन पीरियड होता है, वहीं कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और एनपीएस के लिए व्यक्तियों को रिटायरमेंट तक निवेश करने की आवश्यकता होती है। इसी कड़ी में टैक्स-सेविंग फिक्स डिपॉजिट में भी कम से कम 5 वर्षों की लॉक-इन अवधि होती है। जब सभी पारंपरिक निवेश विकल्पों से तुलना करते हैं तो ईएलएसएस फंड्स में सिर्फ तीन वर्ष की न्यूनतम लॉक-इन अवधि होती है। आप चाहे तो निवेश जारी रख सकते हैं या अपनी निवेश की गई राशि को लॉक-इन अवधि के बाद भुना सकते हैं।

सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप)

सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप) म्यूचुअल फंड्स में निश्चित अंतराल पर निश्चित राशि निवेश करने का एक अनुशासित तरीका है। सिप उन निवेशकों के लिए उपयुक्त निवेश विकल्प है, जो एक बार में बड़ी भारी राशि निवेश नहीं करना चाहते। सिप आपको मासिक रूप से कम राशि का निवेश करने की अनुमति देता है और धारा 80सी के तहत बड़ी राशि निवेश करने वालों की तरह ही टैक्स में छूट का लाभ भी देता है। साथ ही, सिप में आपको रुपए लागत औसत का लाभ मिलता है। इसका मतलब यह है कि आप मार्केट के उतार-चढ़ाव के मुताबिक अपना जोखिम भी नियंत्रित कर सकते हैं।

महंगाई को मात देने वाले रिटर्न

फिक्स आय वाले टैक्स-सेविंग निवेश के विपरीत ईएलएसएस फंड्स मुख्य रूप से इक्विटी और इक्विटी-ओरिएंटेड इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं। साथ ही, इक्विटी एक ऐसा असेट क्लास है जो मौजूदा मुद्रास्फीति दरों के मुकाबले ज्यादा रिटर्न देते हैं। इस वजह से ईएलएसएस में लंबी अवधि के लिए निवेश न केवल ज्यादा रिटर्न देता है

कोई मैच्योरिटी डेट नहीं 

ईएलएसएस फंड्स में निवेश करने का एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इनकी कोई मैच्योरिटी डेट नहीं होती। आप लॉक-इन अवधि खत्म होने के बाद भी निवेश जारी रख सकते हैं। ईएलएसएस फंड्स में लंबी अवधि के लिए निवेश करते रहने से आपके निवेश का गुणात्मक विकास होता है। आप इस योजना में जितना अधिक अवधि के लिए निवेश जारी रहेंगे, उतना ही अधिक रिटर्न आपको मिलेगी। यदि आप लॉक-इन अवधि के बाद निवेश जारी नहीं रखना चाहते तो आप पॉलिसी बंद कर सकते हैं।

पोर्टफोलियो में विविधता

टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश करने से आवश्यकतानुसार आपके पोर्टफोलियो में विविधता का लाभ मिलता है। टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड (ईएलएसएस) मुख्य रूप से इक्विटी बाजार से जुड़ा होने के साथ-साथ यह फंड विभिन्न क्षेत्रों की विभिन्न कंपनियों के शेयरों में निवेश करता है। आपके पास एक से अधिक ईएलएसएस फंड में पैसे का निवेश करने का विकल्प है। इसके अलावा आप किसी अंडरपरफॉर्मिंग फंड में निवेश करना बंद कर सकते हैं और किसी भी समय दूसरे फंड में स्विच कर सकते हैं।

निष्‍कर्ष

इन लाभों के अतिरिक्त ईएलएसएस अपने समकक्षों के बीच सबसे अच्छा पोस्ट-टैक्स रिटर्न भी प्रदान करता है। ईएलएसएस में 1 लाख रुपए से अधिक के दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) पर 10 प्रतिशत कर लगाया जाता है। हालांकि, जब एनएससी, एफडी और पीपीएफ जैसे अन्य पारंपरिक कर-बचत साधनों से तुलना करते हैं तो दीर्घावधि में ईएलएसएस एक बेहतर विकल्प साबित होता है। भले ही टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड (ईएलएसएस) कई लाभों के साथ आते हैं, निवेशकों को निवेश से पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों, समय और जोखिम उठाने की क्षमता पर विचार करना चाहिए।

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