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Income tax on Gold: दिवाली पर की है गोल्ड की खरीदारी, अब जानिए सोने की खरीद और बिक्री पर कैसे लगता है टैक्स

आमतौर पर सोने में निवेश करने के 4 प्रमुख तरीके हैं, इसमें फिजिकल गोल्ड, गोल्ड म्यूचुअल फंड या ईटीएफ, डिजिटल गोल्ड और सॉवरेन गोल्ड बांड शामिल हैं।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: November 05, 2021 15:50 IST
Income tax on Gold: दिवाली पर की है...- India TV Paisa

Income tax on Gold: दिवाली पर की है गोल्ड की खरीदारी, अब जानिए सोने की खरीद और बिक्री पर कैसे लगता है टैक्स

धन धान्य और उल्लास का पर्व दिवाली देश भर में धूमधाम के साथ मनाया गया। दिवाली पर नई खरीदारी शुभ मानी जाती है। इसमें भी सोने की खरीदारी काफी शुभ होती है। वहीं अधिकतर लोग निवेश के लिए भी सोने की खरीदारी करते हैं। सोना बीते साल के मुकाबले इस साल करीब 5000 रुपये सस्ता है। ऐसे में इस बार लोगों ने जमकर सोना खरीदा। लेकिन आपको बता दें कि भारतीय आयकर कानून के अनुसार सोने की खरीद और बिक्री पर आपको टैक्स देना पड़ता है। 

आमतौर पर सोने में निवेश करने के 4 प्रमुख तरीके हैं, इसमें फिजिकल गोल्ड, गोल्ड म्यूचुअल फंड या ईटीएफ, डिजिटल गोल्ड और सॉवरेन गोल्ड बांड शामिल हैं। अगर आपने भी इस दिवाली के मौके पर सोना खरीदा है तो आपको इस पर बनने वाली टैक्स देनदारी पर भी गौर कर लेना चाहिए।

सुनार से खरीदे सोने पर टैक्स

आमतौर पर भारतीय सुनार की दुकान पर जाकर सोना खरीदते हैं। यह सोना या तो गोल्ड ज्वैलरी, बार या फिर सिक्के के रूप में होता है। बता दें कि सुनार से पक्के बिल पर खरीदे गए फिजिकल गोल्ड पर आपको 3 फीसदी जीएसटी देना होता है। वहीं बिक्री की बात करें तो ग्राहक द्वारा फिजिकल गोल्ड बेचने पर टैक्स देनदारी इस बात पर निर्भर करती है कि आपने कितने समय तक इन्हें अपने पास रखा है। गोल्ड को खरीदी की तारीख से तीन साल के भीतर बेचा जाता है तो फायदे को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और इसे आपकी सालाना इनकम में जोड़ते हुए एप्लिकेबल इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स की गणना की जाएगी। वहीं तीन साल के बाद गोल्ड बेचने का फैसला करते हैं तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और इस पर 20 फीसदी की टैक्स लगेगा। साथ ही इंडेक्सेशन बेनिफिट्स क साथ 4 फीसदी सेस और सरचार्ज भी लगेगा।

डिजिटल गोल्ड या ई गोल्ड 

भारत इस समय डिजिटल क्रांति के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में देश में डिजिटल गोल्ड का प्रचलन भी बढ़ रहा है। कई बैंक, मोबाइल वॉलेट और ब्रोकरेज कंपनियों ने एमएमटीसी-पीएएमपी या सेफगोल्ड के साथ साझेदारी कर डिजिटल गोल्ड उपलब्ध कराते हैं। डिजिटल गोल्ड की बिक्री के मामले में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर फिजिकल गोल्ड या गोल्ड म्यूचुअल फंड्स/गोल्ड ईटीएफ की तरह ही टैक्स देनदारी बनती है। यानी 20 फीसदी टैक्स प्लस सेस व सरचार्ज। लेकिन अगर डिजिटल गोल्ड 3 साल से कम अवधि तक ग्राहक के पास रहा तो इसकी बिक्री से रिटर्न पर सीधे तौर पर टैक्स नहीं लगता है।

सॉवरेन गोल्ड बांड्स

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर निवेशकों को 2.5 फीसदी वार्षिक ब्याज मिलता है, जिसे करदाता की इनकम फ्रॉम अदर सोर्स में जोड़ा जाता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड 8 साल की मैच्योरिटी के बाद टैक्स फ्री है। लेकिन समय से पहले योजना से बाहर होने पर बॉन्ड के रिटर्न पर अलग-अलग टैक्स रेट लागू हैं। आमतौर पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का लॉक इन पीरियड 5 साल है। इस अवधि के पूरा होने के बाद और मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने से पहले गोल्ड बॉन्ड की बिक्री से आने वाला रिटर्न लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स में रखा जाता है। इसके तहत 20 फीसदी टैक्स और 4 फीसदी सेस प्लस सरचार्ज लगता है।

गोल्ड म्यूचुअल फंड्स, गोल्ड ईटीएफ 

गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड आपके द्वारा किए गए निवेश को फिजिकल गोल्ड में निवेश करता है। ऐसे में इस प्रकार से खरीदे सोने पर फिजिकल गोल्ड की तरह ही टैक्स लगता है। गोल्ड म्यूचुअल फंड्स की बात करें तो यह गोल्ड ईटीएफ में निवेश करता है। 

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