योकोहामा (जापान)। भारत में वाणिज्यिक बैंकों के पास अभी भी कर्ज पर ब्याज दर कम करने की काफी गुंजाइश है। नोटबंदी के बाद बैंकों में पहुंची भारी नकदी का लाभ कर्ज लेने वाले ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए बैंकों को ब्याज दर में और कटौती करनी चाहिए। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने खुद यह बात कही है।
दास ने कहा, मुझे उम्मीद है कि ब्याज दरों में और कटौती होगी। हमें ऋण चक्र में फिर से तेजी आने के संकेत दिखने लगे हैं। नोटबंदी के बाद बैंकों ने ब्याज दरों में 0.60 से 0.75 प्रतिशत तक कटौती की है, लेकिन जमीन पर फिलहाल दर कटौती का असर नहीं दिखाई दिया है।
सरकार द्वारा पिछले साल नवंबर में 500 और 1,000 रुपए के नोटों को चलन से हटा लेने के बाद करीब 15 लाख करोड़ रुपए के पुराने नोट बैंकों में जमा हुए हैं। इससे भारी नकदी बैंकिंग तंत्र में पहुंची है। रिजर्व बैंक ने भी जनवरी 2015 से अब तक प्रमुख नीतिगत दर में 1.5 प्रतिशत कटौती की है। इससे बैंकों की धन की लागत में काफी कमी आई है।
दास ने यहां एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की 50वीं सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि, अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का असर कुछ समय के लिए ही रहा और चालू वित्त वर्ष में इसका असर बिल्कुल नहीं होगा। भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि वर्ष 2016-17 में 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि चालू वित्त वर्ष के दौरान इसके 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। दास ने कहा कि भारत में आर्थिक सुधार जारी रहेंगे और वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने से भारतीय अर्थव्यवस्था के काम करने के तौर तरीकों में बदलाव आएगा।