नई दिल्ली। दक्षिणी पश्चिमी मानसून ने अटकने के बाद फिर से रफ्तार पकड़ ली है। IMD के मुताबिक अंडमान निकोबार में बारिश की तीव्रता को देखते हुए मानसून के समय से तीन दिन पहले आने की उम्मीद थी, लेकिन टर्फ (विशेष बादल बनने) निर्मित होने और वायुदाव में बदलाव के कारण अब 29 से 30 मई तक मानसून के केरल पहुंचने की उम्मीद है। यह भी पढ़े: The conclusion: हॉलीवुड है कमाई में ‘बाहुबली’, इन कारणों से पिछड़ रहा है बॉलीवुड
मानसून अपडेट
मानसून 14 मई को ही यह अंडमान-निकोबार पहुंच गया था, लेकिन तगड़ा सिस्टम नहीं होने से 25 मई तक थोड़ा आगे बढ़ा है। फिलहाल दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी में एक सिस्टम बना है। इसके असर से मानसून 26 मई तक खाड़ी के बीच पहुंचेगा। सिस्टम बने तो 29-30 मई तक मानसून केरल में होगा। मौसम पूर्वानुमान जारी करने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के मुख्य मौसम विज्ञानी महेश पलावत ने कहा, 29 या 30 मई को आगाज के बाद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पश्चिमी तट, दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत और यहां तक कि पूर्वी एवं उत्तर-पूर्व में तेजी से बढने के आसार हैं। यह भी पढ़े: Jio की टक्कर में Airtel-Vodafone-Idea लाएंगी VoLTE सर्विसेज, सितंबर तक कर सकती है लॉन्च
संडे को फिर से दिल्ली में हो सकती है बारिश
पिछले हफ्ते की तरह इस बार भी सप्ताह के अंत में यानी 27-29 मई को आंधी के साथ बारिश होने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग की माने तो 27-29 मई के बीच दिल्ली-NCR में धूलभरी आंधी के साथ-साथ बारिश होने के आसार नजर आ रहे है।
जून में अच्छी बारिश होने की उम्मीद
सरकार के भारतीय मौसम विभाग में लंबी अवधि के अनुमानों के निदेशक डी एस पई ने इससे सहमति जताई। वह कहते हैं कि 30 मई के आसपास मानसून आने के बाद बारिश पश्चिमी तट की तरफ तेजी से बढ़ेगी। वहीं कम दबाव का क्षेत्र बनने के कारण मानसून को देशभर में फैलने में मदद मिलेगी। पई ने कहा कि इस समय बारिश का वितरण देशभर में ठीक रहने के आसार नजर आ रहे हैं। मौसम विभाग अगले महीने की शुरुआत में क्षेत्रवार और माहवार अनुमान जारी करेगा। इस समय ऐसा लग रहा है कि मॉनसून उनके शुरुआती अनुमान लंबी अवधि के औसत (एलपीए) के 96 फीसदी से भी अधिक रह सकता है। एलपीए भारत में 1951 से 50 वर्षों तक हुई बारिश का औसत है। यह करीब 890 मिलिमीटर है। यह भी पढ़े: सरकार ने हेपेटाइटिस, हृदय रोग, संक्रमण, बुखार और दर्द के इलाज की 30 दवाओं के दाम तय किए
अलनीनो की स्थितियां कमजोर हुई
मौसम विभाग की उम्मीद की एक वजह यह है कि अलनीनो की स्थितियां कमजोर पड़ रही हैं। अलनीनो पर प्रामाणिक माने जाने वाले ऑस्ट्रेलिाई मौसम विभाग ने कहा है कि इसके इस साल 50 फीसदी आसार हैं, लेकिन उसके ज्यादातर मॉडल यही संकेत दे रहे हैं कि यह इस बार कमजोर रहेगा। भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान में कहा गया था कि कमजोर अलनीनो और तटस्थ से लेकर सकारात्मक इंडियन ओशन डायपोल दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के लिए बहुत फायदेमंद रहेंगे। वर्ष 2017 में बारिश का वितरण समान रह सकता है, जो भारत के लिए बहुत अहम है। इससे और समय पर दक्षिण-पश्चिम मानसून आने से खरीफ की अच्छी फसल होने की सुनिश्चितता बढ़ेगी।यह भी पढ़े:सामान्य मानसून से कृषि जीडीपी की वृद्धि दर 3-4 प्रतिशत रहने का अनुमान, किसानों की बढ़ेगी आय