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Financial Blunders: इंवेस्‍टमेंट के वक्‍त आपने तो नहीं की ये 10 बड़ी गलतियां, हो सकता है भारी नुकसान

अपने भविष्‍य को सुरक्षित बनाने के लिए हम सभी इंवेस्‍टमेंट करते हैं। ऐसे में गलतियों से बचने के लिए फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।

Dharmender Chaudhary
Updated : December 11, 2015 8:00 IST
Financial Blunders: इंवेस्‍टमेंट के वक्‍त आपने तो नहीं की ये 10 बड़ी गलतियां, हो सकता है भारी नुकसान
Financial Blunders: इंवेस्‍टमेंट के वक्‍त आपने तो नहीं की ये 10 बड़ी गलतियां, हो सकता है भारी नुकसान

नई दिल्‍ली। हम सभी बेहतर इंवेस्‍टमेंट के साथ अपने भविष्‍य को सुरक्षित बनाना चाहते हैं। इसके लिए हमें विशेषज्ञ की सलाह पर अपनी फाइनेंशियल प्‍लानिंग करवानी चाहिए। लेकिन अक्‍सर हम फाइनेंशियल प्‍लानिंग की जरूरत नहीं समझते और खुद अपनी समझ या दूसरों की राय के आधार बेतरतीब तरीके से इंवेस्‍टमेंट करना शुरू कर देते हैं। अक्‍सर इस बेतरतीब निवेश या फाइनेंशियल प्‍लानिंग के दौरान हम भारी गलतियां कर देते हैं। लेकिन अक्‍सर इन गलतियों का पता हमें तब जाकर चलता है, जब बहुत देर हो चुकी होती है। यही ध्‍यान में रखते हुए इंडिया टीवी पैसा की टीम कुछ ऐसे गलतियों के बारे में बताने जा रहा है, जिन्‍हें अक्‍सर हम नासमझी में कर जाते हैं। अगर आप इन बातों पर अमल करते हैं, तभी आप कहलाएंगे स्‍मार्ट इंवेस्‍टर्स।

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1. लाइफ इंश्योरेंस को हरगिज न करें इग्‍नोर

आज की युवा पीढ़ी निवेश के दूसरे उपकरणों पर तो ध्‍यान देती है, लेकिन लाइफ इंश्योरेंस को बेफिजूल की चीज मानकर इग्‍नोर कर देती है। या फिर लाइफ प्‍लान लेती भी है, तो सिर्फ रिटर्न के लालच में। लेकिन इंवेस्‍टमेंट प्‍लानिंग में सिक्‍योर्ड फ्यूचर की पहली सीढ़ी ही लाइफ इंश्‍योरेंस है। केपीएमजी के एक सर्वे के तहत वर्ष 2000 में केवल 2.3 फीसदी लोगों ने लाइफ इंश्योरेंस ली हुई थी। जो कि 2013 में यह ये आंकड़ा बढ़कर 3.9 फीसदी हो गया था। यानि कि सीधी सरल भाषा में करीब 96 फीसदी लोगों के पाश जीवन बीमा नहीं है। अापके लिए जरूरी है कि बीमा और निवेश को अलग रखें। सुरक्षित भविष्‍य के लिए एक टर्म प्‍लान अवश्‍य लें।

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2. पीएफ राशि को समय से पहले न निकालें

पीएफ भविष्‍य की जरूरतों के लिए की गई सेविंग होती है। लेकिन अक्‍सर हम अपनी तत्‍कालीन जरूरत को पूरा करने के लिए पीएफ विड्रॉल कर लेते हैं। लेकिन जरूरी है कि अपने प्रोविडेंट फंड की राशि तय समय सीमा से पहले न निकालें। दूसरी सेविंग स्कीम्स की तुलना में इस पर ज्यादा ब्याज मिलता है। समय से पहले निकालने पर दो नुकसान होते है। पहला यह कि इंटरेस्ट रेट से होने वाली इनकम खो देते हैं और दूसरा आपको समय से पहले निकालने पर टैक्स देना पड़ता है। आप को बता दें कि किसी संस्था में आपको 5 साल हो गए है काम करते हुए और आप अपने पीएफ से 30,000 रुपए की राशि या उससे ज्यादा निकाल रहे हैं तो आपको टैक्स देना पड़ेगा।

3. ज्यादा कमाने के लालच में न आएं

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और मार्केट रेगुलेटर सेबी निवेशकों से जोखिम भरे निवेश से बचने की अपील करते हैं। लेकिन ज्यादा कमाई के लालच में लोग अक्सर धन दोगुना करने की स्‍कीम के झांसे में आ जाते हैं। और अपनी जीवन भर की कमाई इसमें झांक कर फंस जाते है। अक्‍सर लोग शेयर बाजार में भी कई पेनी स्टॉक्स में निवेश कर देते हैं। जो काफी कम समय में कई गुना तक रिटर्न देते हैं, लेकिन इनमें गिरावट की भी बहुत संभावना होती है।

4. कभी भी एक जगह न लगा दें पूरी कमाई

कभी भी अपनी सेविंग्स का एक बड़ा हिस्सा किसी भी फाइनेंशियल प्रोडक्ट में न लगाएं। 90 फीसदी या उससे भी ज्यादा की राशि निवेश में लगाने से आप अपनी जरूरतों को पूरा करने असफल रहेंगे। जैसे कि अगर आपका एक्सीडेंट हो गया है और आपने अपनी सेविंग्स का 90 फीसदी जीवन बीमा में लगा रखा है तो आपके पैसे जुटाना बेहद मुश्किल हो जाएगा। वहीं अगर आप अपनी 100 फीसदी रकम सेविग्स एकाउंट में रखते हैं तो किसी भी तरह का जोखिम नहीं होगा। लेकिन सिर्फ सेविंग के साथ आप अपने पैसे को बढ़ने से रोक देंगे। इसलिए सभी जगह थोड़ा थोड़ा निवेश करें। इससे जोखिम से बचे रहेंगे।

5. फाइनेंशियल एडवाइजर से कुछ भी न छुपाएं

फाइनेंशियल एजवाइजर आपके लिए बेहतर आर्थिक विकल्प चुनता है। ऐसे में जरूरी होता है कि आप उसे सब कुछ बताएं। क्योंकि आपके लिए बेहतर विकल्प के चयन करते समय वह आपकी जरूरतों और क्षमताओं को समझकर ही फैसला लेता है। जैसे कि अगर आप जीवन बीमा करवा रहें हैं और आप उसकी कैंसर जैसे बीमारी को छुपा लेते हैं तो यह आप पर भारी पड़ सकता है क्योंकि क्लेम के वक्त आपको मुश्किल पड़ेगी।

6. सही समय पर शुरू करें निवेश

फाइनेंशियल प्‍लानिंग में समय सबसे महत्‍वपूर्ण होता है। आप जितना जल्‍दी निवेश शुरू करते हैं, उतनी जल्‍दी आप फाइनेंशियल गोल प्राप्‍त कर सकेंगे। वहीं आप बहुत छोटी रकम से शुरूआत कर बड़ा कॉपर्स जमा कर सकते हैं। लेकिन अक्‍सर देखा गया है कि लोग 30 से 35 वर्ष की आयु में निवेश की पटरी पर चलना शुरू करते हैं। उम्र बढ़ने के चलते उन्‍हें अधिक बीमा प्रीमियम ही नहीं चुकाना पड़ा, वहीं इससे वे अपने कुछ बहुमूल्‍य साल को खो देते हैं, जिसके चलते जहां उनके लक्ष्‍य अधूरे रह जाते हैं।

7. निवेश के वक्‍त महंगाई को न भूलें

हम अक्‍सर निवेश के वक्‍त सिर्फ रिटर्न का ध्‍यान रखते हैं, महंगाई का नहीं। मान लीजिए अापने आपनी कमाई बैंक के बचत खाते में सुरक्षित कर रखी है। यहां आपको 4 फीसदी का रिटर्न मिल रहा है। जबकि महंगाई की दर 7 से 10 फीसदी है। ऐसे में आप फायदे के अलावा नुकसान में हैं। वहीं एफडी या दूसरे इंवेस्‍टमेंट के समय हम टैक्‍स पर भी ध्‍यान नहीं देते। जिसके चलते हमें कागजों पर तो अपना निवेश बढ़ते दिखता है। लेकिन वास्‍तव में आप घाटे में होते हैं।

8. रिटायरमेंट की प्‍लानिंग न करना

आज की युवा पीढ़ी रिटायरमेंट को पूरी तरह से इग्‍नोर कर देती है। लेकिन हमें यह ध्‍यान रखना होगा कि भारत में हेल्‍थ सर्विस के विस्‍तार के साथ लोगों की उम्र भी बढ़ी है। लेकिन हमारी लाइफस्‍टाइल की बात करें तो आप 50 या 55 साल से अधिक काम भी नहीं कर सकते। ऐसे में आपको कम से कम 20 साल तक बिना कुछ कमाए अपनी जरूरतों को पूरा करने की प्‍लानिंग अभी से करनी चाहिए।

9. हेल्‍थ प्‍लान न लेना

हम लोग अक्‍सर अपनी हेल्‍थ पर तो ध्‍यान देते हैं लेकिन इंश्‍योरेंस के लिए नहीं सोचते। जबकि आजकल जितनी तेजी से हेल्‍थ का खर्च बढ़ रहा है। ऐसे में संभव है कि किसी भी छोटी सी बीमारी में भी आप अपनी पूरी कमाई लुटा दें। इसके लिए जरूरी है कि आप खुद और अपने परिवार को हेल्‍थ इंश्‍योरेंस का कवरेज दें। आजकल सभी कंपनियां अपने इंप्‍लॉइज को ग्रुप हेल्‍थ प्‍लान में इंक्‍लूड करती हैं। लेकिन अच्‍छा होगा कि आप इंडीविजुअल प्‍लान भी लें। ये आपका टैक्‍स भी बचाएगा।

10. टैक्‍स की प्‍लानिंग न करना

ज्‍यादा कमाई और ज्‍यादा खर्च, आज की युवा पीढ़ी इसी सिद्धान्‍त पर चलती है। लेकिन कमाई और खर्च के बीच हम टैक्‍स पर ध्‍यान ही नहीं देते। याद रखें आप अगर हर साल 10 लाख रुपए कमाते हैं तो इसका एक तिहाई टैक्‍स देना होगा। ऐसे में अगर आप अपनी 100 फीसदी कमाई खर्च कर देंगे। तो टैक्‍स कहां से चुकाएंगे। इसके लिए जरूरी है कि आप टैक्‍स सेविंग इंस्‍ट्रूमेंट और निवेश के विकल्‍पों पर भी शुरू से ध्‍यान दें।

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