नई दिल्ली। बांड बाजार के विस्तार को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को बांड में निवेश करने की अनुमति दे दी है। बैंक म्यूचुअल फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड के माध्यम से बिना किसी अतिरिक्त शुल्क आवंटन के बांड प्रतिभूतियों में निवेश कर सकेंगे।
बेसिल तीन दिशा-निर्देशों के अनुसार यदि कोई बैंक सीधे बांड प्रतिभूति हासिल करता है तो उसे म्यूचुअल फंड या एक्सचेंज ट्रेडेट फंड के माध्यम से उसी बांड में किए गए निवेश के बदले कम पूंजी का आवंटन करना होता है। रिजर्व बैंक की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा नीति को जारी करने के बाद केंद्रीय बैंक के गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में अलग-अलग तरह के व्यवहार को सामान्य बनाते हुए यह निर्णय किया गया है।
इससे बैंकों की पूंजी बचत बढ़ेगी और साथ कॉरपोरेट बांड बाजार को भी बढ़त मिलेगी। ऐसे में बैंकों के सीधे बांड रखने या म्यूचुअल फंड या ईटीएफ के माध्यम से किए जाने वाले निवेश दोनों पर नौ प्रतिशत का साधारण बाजार जोखिम शुल्क लगाने का निर्णय किया गया है।
रिवर्ज बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आगाह करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी का संक्रमण लंबे समय तक खिंचा तो उससे घरेलू अर्थव्यवस्था की हालत और खराब हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिए उपलब्ध मौद्रिक गुंजाइश का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करेगा।
गवर्नर ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान कहा कि हालांकि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि नकारात्मक रहेगी लेकिन महामारी पर पहले काबू पा लिया गया तो उसका अर्थव्यस्था पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा। दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने तीन दिन चली बैठक के बाद नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया। एमपीसी ने कहा कि कठिन वैश्विक माहौल में अर्थव्यवस्था काफी दबाव में है। परिदृश्य को लेकर व्यापक अनिश्चितता है, जो महामारी की तीव्रता, उसके फैलाव और अवधि तथा टीके की खोज पर निर्भर है।