नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की शीर्ष इकाई सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) ने कर्मचारियों को अपने रिटायरमेंट के लिए धन जमा करने में मामले में बड़ी राहत दी है। EPFO ने कर्मचारियों और नियोक्ताओं द्वारा PF में अनिवार्य योगदान घटा कर 10-10 फीसदी करने के प्रस्ताव पर रोक लगा दी है। फिलहाल, कर्मचारी और नियोक्ता कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और एंप्लॉई डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम (EDLI) के तहत मूल वेतन का 12-12 फीसदी हिस्सा जमा करते हैं। इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।
श्रम सचिव एम सत्यवती ने कहा कि नियोक्ता, कर्मचारियों और सरकार के प्रतिनिधियों ने इस पर आपत्ति जतायी और उनका मानना था कि इसे 12% बने रहना चाहिए। श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय भी इस बैठक में शामिल हुए। उन्होंने बताया कि बैठक में CBT ने शेयर बाजार में निवेश की सीमा मौजूदा 10% से बढ़ाकर 15% करने का निर्णय किया।
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कर्मचारी और नियोक्ताओं के संगठनों के अलावा कुछ राज्य सरकारों ने भी PF में योगदान घटाने का विरोध किया का। EPFO के एक ट्रस्टी और भारतीय मजदूर संघ के नेता पीजे बनसार ने कहा था कि वे योगदान घटाने के प्रस्ताव का विरोध करेंगे। बदसार के अनुसार, यह फैसला श्रमिकों के हित में नहीं है। चौतरफा विरोध को देखते हुए शनिवार को हुई EPFO की बैठक में इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। PF योगदान 10 फीसदी किए जाने के पीछे यह तर्क दिया जा रहा था कि कर्मचारियों की टेक होम सैलरी अधि हो जाएगी और वे ज्यादा खर्च कर पाएंगे। यह देश की अर्थव्यवस्था के हित में होगा।
तस्वीरों के जरिए समझिए कैसे चेक करते हैं PF बैलेंस
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ट्रेड यूनियंस ने यह कहते हुए इस प्रस्ताव का विरोध करने का फैसला किया था कि यह सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को कमजोर करेगा। वहीं यह दलील भी दी जा रही थी कि PF योगदान में कटौती से श्रमिकों के लिए लाभ चार प्रतिशत कम हो जाएगा। वर्तमान में नियोक्ता और कर्मचारी कुल मिलाकर मूल वेतन का 24 फीसदी PF में डालते हैं। अगर प्रस्ताव को हरी झंडी मिलती तो यह योगदान घटकर 20 फीसदी रह जाता।
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वर्तमान व्यवस्था के तहत कर्मचारियों का कुल 12 फीसदी योगदान उनके EPF खाते में जमा होता है जिसमें 3.67 प्रतिशत हिस्सा EPF खाते और मूल वेतन का 8.33 फीसदी EPS खाते में जाता है। इसके अलावा, नियोक्ता कर्मचारियों के इंश्योरेंस के लिए EDLI में भी 0.5 प्रतिशत का योगदान देता है।