देश में जहां एफडी और बैंक जमा पर ब्याज की दरें कम होती जा रही हैं, इसी बीच पोस्ट आफिस की विभिन्न योजनाएं एक आम आदमी के लिए राहत भरा पड़ाव बनकर आई हैं। पोस्ट ऑफिस की ये स्कीमें न सिर्फ सुरक्षित और जोखिम रहित हैं वहीं यह बैंक की जमा के मुकाबले दोगुना तक रिटर्न देती हैं। यही कारण है कि म्यूचुअल फंड और शेयर जैसे निवेश विकल्पों के बावजूद आम लोग डाक घर की स्कीमों पर ही सबसे ज्यादा विश्वास करते हैं।
दरअसल हम बात कर रहे हैं पोस्ट ऑफिस पब्लिक प्रोविडेंट फंड स्कीम यानी पीपीएफ की। सरकार ने छोटी जमाओं पर घोषित दरों के तहत अभी पीपीएफ पर 7.10 फीसदी का इंट्रेस्ट रेट घोषित किया है। सरकार समय समय पर इसमें बदलाव करती है। लेकिन इन बदलावों के बावजूद इस स्कीम में ब्याज की दरें ज्यादा नहीं घटती हैं। इस स्कीम के अंतर्गत एक शख्स केवल एक अकाउंट खुलवा सकता है।
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कितना करना होगा निवेश
पीपीएफ के तहत आप एक वित्त वर्ष में कम से कम 500 रुपए जहां कर सकते हैं। आप अधिकतम कितनी भी रकम इसमें जमा कर सकते हैं। लेकिन आपको आयकर की धारा 80सी के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक ही छूट मिलेगी। मैच्योरिटी पर इंट्रेस्ट इनकम भी पूरी तरह टैक्स फ्री होगा। इसका मैच्योरिटी पीरियड 15 सालों का है और उसके बाद 5 सालों के ब्लॉक में इसे बढ़ाया जा सकता है।
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तीन महीने पर अपडेट होती हैं ब्याज की दरें
वित्त मंत्रालय हर तीन महीने पर इंट्रेस्ट रेट रिवीजन करता है. जून तिमाही के लिए इंट्रेस्ट रेट 7.1 फीसदी है। 30 जून को ब्याज दर पर वित्त मंत्रालय फैसला लेगा। हर वित्त वर्ष के अंत में इंट्रेस्ट इनकम आपके अकाउंट में ट्रांसफर हो जाती है। वर्तमान दर के हिसाब से अगर आप रोजाना 100 रुपए का निवेश करते हैं तो 15 साल बाद जब यह मैच्योर होगा तो आपको एकमुश्त 989931 रुपए मिलेंगे जो पूरी तरह टैक्स फ्री होंगे। 15 सालों के दौरान आपकी कुल जमा राशि 547500 रुपए होगी।
मिलता है लोन
आपको पीपीएफ पर लोन का फायदा भी मिलता है। आप जिस वित्त वर्ष से निवेश शुरू करते हैं आपको अगले वित्त वर्ष से लोन की सुविधा मिलती है। पांच सालों की अवधि तक यह सुविधा रहती है। आपके अकाउंट में जितना जमा किया गया है उसका 25 फीसदी तक लोन मिल सकता है। एक वित्त वर्ष में केवल एकबार लोन उठाया जा सकता है। दूसरा लोन तब तक नहीं मिलेगा जब तक पहला लोन चुका नहीं दिया जाता है। अगर तीन सालों के भीतर लोन चुकाया जाता है तो इंट्रेस्ट रेट केवल 1 फीसदी सालाना होगा।
समय से पहले पैसा निकालने के नियम
निकासी की बात करें तो पांच सालों के लॉक-इन पीरियड के बाद एक वित्त वर्ष में एकबार निकासी किया जा सकता है। यह आपके अकाउंट में जमा राशि का 50 फीसदी तक हो सकता है। प्रीमैच्योर क्लोजर की बात करें तो अगर अकाउंट होल्डर बीमार हो जाता है या फिर खुद या बच्चों के हायर एजुकेशन के लिए इसकी अनुमति है। इसके लिए कुछ चार्जेज काटा जाता है।