नई दिल्ली। नए साल की शुरूआत के साथ आप अपनी बहुत सी प्लानिंग को अमल में लाने की तैयारी में जुट गए होंगे। बहुत से लोगों की विशलिस्ट में इस साल अपनी पहली कार या बाइक खरीदना भी शामिल होगा। या फिर आप अपनी पुरानी गाड़ी को एक्सचेंज करना चाह रहे होंगे। आपकी इसी ख्वाहिश को पूरा करने और अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए व्हीकल और फाइनेंस कंपनियां भी आपको बेहतर ऑफर दे रही हैं। लेकिन जब आप हजारों से लेकर लाखों रुपए का व्हीकल लोन लेते हैं, तो आपके लिए यह सब इतना आसान भी नहीं होता। बैंक और फाइनेंस कंपनियां इस वक्त आपसे कई सवाल पूंछेंगी, कागजात मांगेंगी। वहीं आपको भी लोन के अमाउंट और प्रकार का फैसला लेना होगा। यही ध्यान में रखते हुए इंडिया टीवी पैसा की टीम आपको बताने जा रही है जो व्हीकल लोन लेने से पहले आपको जानना जरूरी है।
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किस प्रकार का लोन लेंगे आप
लोन लेने से पहले जान लें कि लोन पर ब्याज दरें दो तरह की होती हैं, पहली फ्लोटिंग और दूसरी फिक्स्ड। फ्लोटिंग में ब्याज दरें बैंक के बेस रेट से जुड़ी होती हैं और कर्ज अवधि के दौरान अगर बैंक अपनी ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला लेता है तो बेंक इसमें बदलाव कर सकता है। फिक्स्ड में पूरी कर्ज अवधि के दौरान ब्याज दरें अपरिवर्तित रहती हैं। अगर आप टू व्हीलर लोन ले रहे हैं तो फिक्स्ड लोन बेहतर है।
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आपको देनी पड़ सकती प्रोसेसिंग फीस
इसे आवेदन शुल्क भी कहा जाता है जो वित्तीय संस्था डॉक्यूमेंट्स को प्रोसेस करने के नाम पर लेती है। कुछ बैंकों की फीस फिक्स्ड होती है और कुछ के मामले में ये इस बात पर निर्भर करता है कि किस सेगमेंट के दो पहिया वाहन के लिए कर्ज ले रहे हैं या फिर कर्ज के तौर पर कितनी राशि चाहिए। लोन लेने से पहले प्रोसेसिंग फीस के बारे में पूरी तरह से आश्वस्त हो लें। सामान्यतया ये वाहन की कीमत के 2 से 3-4 फीसदी तक होती है।
कर्ज की राशि और समय सीमा
लोन लेने से पहले जान लें कि बैंक आपको कितना लोन दे रहा है। अधिकतर बैंक 80 से 90 फीसदी तक लोन ऑफर करते हैं। यानि कि आपको शेष 10 से 20 फीसदी अमाउंट अपनी जेब से डाउनपेमेंट के रूप में देना होता है। इसके अलावा आपको रजिस्ट्रेशन, बीमा और टैक्स आदि भी अपनी जेब से ही चुकाना होता है। समय की बात की जाए तो बैंक 3 से 5 साल और विशेष परिस्थितियों में 7 साल के लिए कर्ज देते हैं।
फोर क्लोजर फीस
जब आप लोन लेते हैं तो वह किसी विशेष समय सीमा तक के लिए लेते हैं ऐसे में अगर आप समय से पहले पूरा चुकाना चाहते हैं तो आपको इसके लिए कुछ निश्चित फोर क्लोजर फीस देनी पड़ सकती है। इसे प्री पेमेंट फीस भी कहा जाता है। हर बैंक में ये फीस अलग अलग होती है। आम तौर पर इसकी गणना बचे हुए कर्ज राशि के आदार पर की जाती है। कुछ बैंक इसकी अनुमति तब तक नहीं देते जब तक की एक निश्चित अवधि तक कर्ज न चुका दिया जाए। वहीं, अन्य बैंक ऐसे में प्री पेमेंट लेते हैं।
क्या-क्या डॉक्यूमेंट्स है जरूरी
लोन के लिए बैंक आपसे एड्रेस, आइडेंटिटी और इनकम प्रूफ मांगते हैं। ऐड्रेस प्रूफ के रूप में आप ड्राइविंग लाइसेंस, रेंट एग्रीमेंट, पासपोर्ट, आधार दे सकते हैं। अब आपको वाहन खरीदने के लिए पैन कार्ड भी देना होगा। इसके अलावा आपके इनकम प्रूफ के लिए बैक स्टेटमेंट और सैलरी स्लिप भी मांग सकता है।